Ranchi News : मकर संंक्रांति आज, रांची के बाजार में खूब बिके चूड़ा, गुड़ और तिलकुट
Ranchi News : हर चौक-चौराहों पर चूड़ा, गुड़, लाई, तिलकुट, घेवर, तिल लड्डू की दुकानें सजी रहीं. लोगों ने जमकर खरीदारी की.
रांची. आज मकर संंक्रांति है. मंगलवार सुबह भक्त नदी, डैम व तालाबों में जाकर आस्था की डुबकी लगायेंगे और भगवान सूर्य को अर्घ देंगे. घरों व मंदिरों में पूजा कर सबकी मंगलकामना करेंगे. भगवान को दही, चूड़ा, तिलकुट, लाई और तिल के लड्डू अर्पित किये जायेंगे. आज दिन के 3.26 बजे भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे, जिसका पुण्यकाल सुबह से ही मान्य होगा. दिन में खिचड़ी बनाकर भगवान को अर्पित की जायेगी. दान करने की भी परंपरा है. मकर संक्रांति के दिन ही खरमास का समापन हो जायेगा. इसे पहले मंकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर राजधानी के बाजारों में भीड़ उमड़ पड़ी. हर चौक-चौराहों पर चूड़ा, गुड़, लाई, तिलकुट, घेवर, तिल लड्डू की दुकानें सजी रहीं. लोगों ने जमकर खरीदारी की. सब्जियों की भी खरीदारी हुई. लोगों ने आलू, फूल गोभी, टमाटर, कोहड़ा आदि की खरीदारी की.
तमिल समाज का भोगी संपन्न, पोंगल आज
तमिल समाज का चार दिवसीय पोंगल सोमवार को शुरू हो गया. पहले दिन भोगी मनाया गया. सूर्यास्त होते ही घरों के बाहर निकाली गयी बेकार की वस्तुओं में आग लगायी गयी. भगवान से साल भर सबकी खुशहाली के लिए प्रार्थना की गयी. नजर-दोष से दूर रखने की कामना करते हुए एक-दूसरे को त्योहार की बधाई दी. मंगलवार को पोंगल मनाया जायेगा. अहले सुबह स्नान-ध्यान कर घरों के बाहर रंगोली बनाने की परंपरा है. फिर आंगन में ईख का घर बनाकर उसमें पोंगल तैयार किया जाता है. बुधवार को पशुधन की पूजा होगी, जबकि गुरुवार को कानन पोंगल मनाया जायेगा.माघ बिहू में अनाज की बेहतर पैदावार की कामना करते हैं किसान
असम के लोगों का प्रमुख त्योहार माघ बिहू 15 जनवरी को मनाया जायेगा. यह पर्व माघ में मनाया जाता है, जिस कारण इसे माघ बिहू के नाम से जाना जाता है. इसी के साथ शादी-विवाह के मुहूर्त शुरू हो जाते हैं. इस अवसर पर स्वादिष्ट पकवान बनाकर उसे भगवान को अर्पित किया जाता है. लोक गीत और नृत्य से लो अपनी खुशी का इजहार करते हैं. किसान भगवान से सालभर अनाज की बेहतर पैदावार की कामना करते हैं. चावल, दूध, तिल, नारियल से व्यंजन बनाये जाते हैं.झारखंड का प्रसिद्ध लोकपर्व है टुसू
टुसू पर्व झारखंड का प्रसिद्ध लोकपर्व है. इस दिन स्वर्णरेखा नदी के सती घाट सहित अन्य नदी घाटों में स्नान-दान किया जाता है. चौड़ल का विसर्जन होता है. वहीं घरों में पीठ्ठा सहित विभिन्न व्यंजन बनाये जाते हैं. इधर, सोमवार को बांउड़ी पर्व मनाया गया. लोगों ने सुबह चावल धोया और शाम में उसे कूटा गया. रात में गुड़ पीठा बनाया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है