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अस्पताल में बंधक प्रसूता को सीआइडी ने कराया मुक्त

रनिया थाना क्षेत्र के नवाटोली गांव की गरीब आदिवासी महिला सुनीता देवी को प्रसव के बाद इलाज के पैसे का भुगतान नहीं करने पर बरियातू रोड स्थित जेनेटिक अस्पताल में 15 दिन से बंधक बनाकर रखा गया था.

वरीय संवाददाता (रांची/रनिया).

रनिया थाना क्षेत्र के नवाटोली गांव की गरीब आदिवासी महिला सुनीता देवी को प्रसव के बाद इलाज के पैसे का भुगतान नहीं करने पर बरियातू रोड स्थित जेनेटिक अस्पताल में 15 दिन से बंधक बनाकर रखा गया था. इस बात की शिकायत लेकर गुरुवार को कुछ लोगों के साथ महिला के पति मंगलु सिंह सीआइडी डीजी अनुराग गुप्ता के पास पहुंचे और अपनी पीड़ा सुनायी. तब सीआइडी डीजी ने सीआइडी थाना प्रभारी के नेतृत्व में एक टीम को तत्काल अस्पताल भेजा. इस दौरान वहां सीआइडी को सहयोग करने के लिए सदर थाना की पुलिस भी पहुंची. इसके बाद सीआइडी की टीम ने महिला को मुक्त कराने के बाद उसे वापस घर भेज दिया. सीआइडी डीजी को मंगलु सिंह ने बताया कि उसकी पत्नी को 28 मई को प्रसव पीड़ा हुई थी. इसके बाद एक ऑटो वाले को बुलाकर मैंने पत्नी को रिम्स पहुंचाने के लिए कहा. लेकिन उसने रिम्स की जगह पत्नी को जेनेटिक अस्पताल पहुंचा दिया. सीआइडी डीजी के अनुसार मंगलु का कहना था कि जब उसकी पत्नी को बच्चा हुआ, तब अस्पताल का खर्च 1.50 लाख रुपये बताया गया. मंगलु पैसा दे पाने में असमर्थ था. इस वजह से सुनीता को बंधक बना कर रखा गया था. उसे न तो ठीक से खाना दिया जा रहा था, न ही इलाज किया जा रहा था. इधर, अस्पताल से 15 दिनों पूर्व अपने बच्चे को लेकर घर पहुंचा मंगलु बकरी का दूध पिलाकर बच्चे को पाल रहा था. इस संबंध में जेनेटिक अस्पताल के संचालक मनोज कुमार अग्रवाल का कहना है कि महिला के परिजन द्वारा बंधक बनाने का लगाया गया आरोप निराधार है. महिला को गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था. जच्चा-बच्चा दोनों की जान काे खतरा था. परिजनों के आग्रह पर महिला डॉक्टर ने ऑपरेशन किया. फिर बच्चे को एनआइसीयू में रखा गया. जब बच्चा ठीक हो गया, तो परिजन उसे घर ले गये. महिला की हालत ठीक नहीं थी, इसलिए उसे अस्पताल में रखा गया था. इलाज में कुल 2.90 लाख रुपये का खर्च आया था. इसमें से 1.80 लाख रुपये का भुगतान किया गया. शेष 1.20 लाख रुपये का भुगतान करना बाकी था. अस्पताल कर्मी सिर्फ पैसा मांग रहे थे, महिला को बंधक नहीं बनाया गया था.

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