रांची. सीजीएल परीक्षा-2023 में गड़बड़ी के आरोप में सीआइडी ने दो केस दर्ज कर लिये हैं. पहला केस रांची पुलिस से टेकओवर करने के बाद दर्ज किया गया है, जो रातू थाने में दर्ज हुआ था. जबकि, दूसरा केस झारखंड कर्मचारी चयन आयोग(जेएसएससी) की शिकायत पर दर्ज किया गया है. वहीं, इस मामले के अनुसंधान के लिए डीजीपी सह सीआइडी के डीजी अनुराग गुप्ता ने एसआइटी भी गठित कर दी है. एसआइटी का अध्यक्ष सीआइडी की डीआइजी संध्या रानी मेहता को बनाया गया है, जबकि सदस्य के रूप में सीआइडी की एसपी निधि द्विवेदी, ग्रामीण एसपी सुमित अग्रवाल, डीएसपी मुख्यालय-01 अमर कुमार पांडेय और सीआइडी के डीएसपी मुन्ना प्रसाद गुप्ता को शामिल किया गया है. एसआइटी ने केस से जुड़े सभी बिंदुओं पर अनुसंधान शुरू कर दिया है. डीजीपी ने परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों से भी अपील की है कि अगर किसी के पास केस से जुड़ा कोई साक्ष्य है, तो वह इसकी जानकारी सीआइडी को दे सकता है. सीआइडी मामले में निष्पक्ष अनुसंधान सुनिश्चित करेगी.
रातू थाने में 18 दिसंबर 2024 को दर्ज हुआ था पहला मामला
गौरतलब है कि सीजीएल परीक्षा में गड़बड़ी से जुड़ा एक केस रातू थाना में 18 दिसंबर 2024 को हजारीबाग निवासी राजेश प्रसाद की शिकायत पर दर्ज हुआ था. शिकायतकर्ता का आरोप था कि सीजीएल परीक्षा में पेपर लीक होने के साथ-साथ कदाचार भी हुआ है. शिकायतकर्ता के अनुसार एक अभ्यर्थी ने उन्हें बताया था कि जब वह परीक्षा देने केंद्र में पहुंचा, तब एक व्यक्ति फोन पर बात करते हुए कागज में कुछ नोट करता दिखा. जबकि, दूसरा मामला धनबाद के कुमार बीएड कॉलेज सेंटर का है, जहां एक अभ्यर्थी मोबाइल पर किसी से बात करते हुए कागज पर कुछ लिख रहा था. बाद में अभ्यर्थी ने उस कागज को फाड़कर फेंक दिया. पेपर लीक होने से संबंधित एक घटना रातू के मखमंद्रो सेंटर की है. यहां भी एक अभ्यर्थी किसी से मोबाइल पर बात करते हुए कागज पर कुछ लिख रहा था. तीनों घटनाएं परीक्षा शुरू होने से पहले की हैं. शिकायतकर्ता ने यह भी बताया है कि परीक्षा से दो-तीन दिन पूर्व आसनसोल के किसी होटल में अभ्यर्थियों को एकत्र कर उन्हें प्रश्न और उत्तर भी बताये गये थे. इसी तरह मुजफ्फपुर, रांची, मांडू, दिल्ली और काठमांडू से भी प्रश्नपत्र लीक किये गये हैं. इस केस में जेएसएससी के अज्ञात अधिकारी और कर्मचारी के अलावा एजेंसी एवं अन्य को आरोपी बनाया गया है.जेएसएससी ने भी दर्ज कराया है केस
सीजीएल परीक्षा को लेकर दूसरा केस जेएसएससी की शिकायत पर दर्ज किया गया था. इसमें शिकायतकर्ता ने बताया है कि कुछ लोगों द्वारा फर्जी पेपर और वीडियो तैयार कर परीक्षा को प्रभावित करने का प्रयास किया गया है. जबकि, सच्चाई यह है कि न तो किसी स्तर से गड़बड़ी हुई है और न ही कोई पेपर लीक हुआ है. लेकिन, कुछ लोग अभ्यर्थियों को गलत तथ्यों के आधार पर गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं.हाइकोर्ट ने कहा था, तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर जांच करें
सीजीएल-2023 में गड़बड़ियों की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने इस मामले में तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था. चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने कहा था कि जब परीक्षा में कथित पेपर लीक का इतना गंभीर मामला है और पिछले तीन महीनों से एफआइआर दर्ज करने और इसकी जांच करवाने में प्रतिवादियों की निष्क्रियता के लिए कोई उचित स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है. इन परिस्थितियों में हम प्रतिवादी जेएसएससी को निर्देश देते हैं कि वह 21 व 22 सितंबर 2024 को उनके द्वारा आयोजित सीजीएल परीक्षा-2023 का परिणाम अगले आदेश तक घोषित न करे. प्रतिवादी राज्य सरकार, मुख्य सचिव, गृह विभाग के प्रधान सचिव व सदर थाना प्रभारी को प्रार्थियों द्वारा की गयी शिकायत पर तत्काल एफआइआर दर्ज करने, आरोपों की जांच करने और अगली सुनवाई की तारीख तक जांच का स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है