Crime Control News : सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल अब रोकेगी सीआइडी

गूगल-फेसबुक जैसे संसाधनों का इस्तेमाल कर कंप्यूटर और मोबाइल के जरिये गैरकानूनी कार्यों को बढ़ावा देनेवालों पर अब झारखंड में कार्रवाई होगी. इस संबंध में गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने अधिसूचना जारी की है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 13, 2024 12:48 AM
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प्रणव (रांची). गूगल-फेसबुक जैसे संसाधनों का इस्तेमाल कर कंप्यूटर और मोबाइल के जरिये गैरकानूनी कार्यों को बढ़ावा देनेवालों पर अब झारखंड में कार्रवाई होगी. इस संबंध में गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने अधिसूचना जारी की है. इसमें कहा गया है कि ‘सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 79 की उप-धारा(3) के खंड(बी)’ द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत झारखंड सरकार सीआइडी को एजेंसी के रूप में नामित किया गया है.

गूगल-फेसबुक पर गैरकानूनी पोस्ट करनेवाले के साथ प्रसारण करनेवाली एजेंसी पर भी होगी कार्रवाई

जारी अधिसूचना के अनुसार, सीआइडी सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम से जुड़े कार्यों को निष्पादित कर सकेगी. वहीं, गैरकानूनी कार्य करने के लिए मध्यस्थ द्वारा नियंत्रित कंप्यूटर संसाधन में मौजूद या उससे जुड़ी सूचना, डेटा या संचार लिंक के मामलों को अधिसूचित भी कर सकेगी. यानी गूगल या फेसबुक जैसे संसाधनों पर अगर गैरकानूनी चीजें प्रसारित होंगी, तो उसे सीआइडी देखेगी. इस मामले में जिस साइट पर उसका प्रसारण हो रहा होगा, उस संस्थान को साक्ष्य के साथ पत्र लिखकर गैरकानूनी चीजों को हटाने के लिए कहेगी. अगर वह गैरकानूनी चीजों को नहीं हटाता है, तो गैरकानूनी चीज पोस्ट करनेवाले के साथ ही उसका प्रसारण करनेवाले के खिलाफ भी मामला दर्ज कर आगे की कानूनी कार्रवाई सीआइडी कर सकेगी. अब तक कानूनी अधिकार प्राप्त नहीं होने के कारण झारखंड पुलिस इस मामले में सिर्फ गैरकानूनी चीजें पोस्ट करनेवाले पर ही कार्रवाई करती थी. लेकिन पहली बार कानूनी शक्तियां मिलने की वजह से अब सीआइडी संबंधित एजेंसी के खिलाफ भी कार्रवाई कर सकेगी.

क्या है सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79 की उप-धारा (3) के खंड (बी) में

वास्तविक ज्ञान प्राप्त होने पर या उपयुक्त सरकार या उसकी एजेंसी द्वारा अधिसूचित किये जाने पर कि मध्यस्थ द्वारा नियंत्रित कंप्यूटर संसाधन में स्थित या उससे जुड़ी किसी भी जानकारी, डेटा या संचार लिंक का उपयोग गैरकानूनी कार्य करने के लिए किया जा रहा है, तब मध्यस्थ किसी भी तरह से साक्ष्य को खराब किये बिना उस संसाधन पर उस सामग्री तक पहुंच को शीघ्रता से हटाने या अक्षम करने में विफल रहता है. तब सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79 की उप-धारा (3) के खंड (बी) के तहत उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकेगी.

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