17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बहुत ‘तनाव’ में है सीआईपी रांची, डायरेक्टर को हटाने-ट्रांसफर के पीछे 500 करोड़ का हॉस्पिटल!

एनसीडीसी का प्रभार लेने के लिए आए व्यक्ति को सीआईपी रांची का ऑफिशियो डायरेक्टर बना दिया गया. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि डॉ दास जैसे व्यक्ति के रहते 500 करोड़ के अस्पताल में कोई गैरवाजिब काम नहीं कर पाता.

केंद्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान (सीआईपी) रांची इन दिनों बेहद तनाव में है. डॉक्टर से लेकर कर्मचारी और ठेके पर काम करने वाले लोग भी तनाव में हैं. डॉक्टर किसी कागज पर साइन करने से पहले कई बार सोचते हैं. अचानक से हाउस कीपिंग स्टाफ छुट्टी पर चले जाते हैं. चार दिन तक उनसे कोई बात नहीं करता. चौथे दिन प्रदर्शन और हड़ताल खत्म हो जाती है. इन सबका कनेक्शन सीआईपी रांची में प्रस्तावित 500 करोड़ के हॉस्पिटल से बताया जा रहा है. सीआईपी रांची में बेंगलुरु स्थित निम्हांस हॉस्पिटल जैसे बड़े अस्पताल का निर्माण होना है. 500 बेड का अस्पताल होगा. बहुमंजिली इमारत होगी. अस्पताल में न्यूरोसर्जरी की भी व्यवस्था होगी. इस अस्पताल के निर्माण का उद्देश्य यही है कि पूर्वी भारत के लोगों को नस संबंधी बीमारियों का इलाज कराने के लिए दक्षिण भारत के बेंगलुरु स्थित निम्हांस (National Institute of Mental Health and Neuro Science) या वेल्लोर जाने की जरूरत न पड़े. साइकियैट्री के साथ-साथ न्यूरो का इलाज भी रांची में ही लोगों को उपलब्ध हो जाए. लेकिन, इस अस्पताल का निर्माण शुरू होने से पहले ही सीआईपी रांची, जो मानसिक रोगों के इलाज के लिए देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में गिना जाता है, खुद तनावग्रस्त हो गया है. खासकर डॉ बासुदेव दास को सीआईपी रांची के निदेशक पद से हटाये जाने के बाद. इस मामले में हालांकि कोई भी स्टाफ खुलकर तो कुछ नहीं बोल रहा, लेकिन दबी जुबान से यह जरूर कह रहा है कि डॉ बासुदेव दास को दोषी साबित करने के लिए कई तरह के कुचक्र अस्पताल में रचे जा रहे हैं. और यह सब स्वास्थ्य महानिदेशालय के उच्चाधिकारियों के इशारे पर हो रहा है. यही वजह है कि साइकियैट्री के इतने बड़े संस्थान में एक गैर-साइकियैट्री के डॉक्टर को डायरेक्टर का पदभार दे दिया गया है. यह सब इसलिए हुआ है, ताकि बड़े अस्पताल में बड़ा ‘खेल’ हो सके. यही वजह है कि एनसीडीसी का प्रभार लेने के लिए आए व्यक्ति को सीआईपी रांची का ऑफिशियो डायरेक्टर बना दिया गया. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि डॉ दास जैसे व्यक्ति के रहते 500 करोड़ के अस्पताल में कोई गैरवाजिब काम नहीं कर पाता.

डॉ बासुदेव दास को सीआईपी रांची से दूर करने की जल्दी क्यों

इसलिए स्वास्थ्य महानिदेशालय ने नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) का चार्ज लेने के लिए रांची आए डॉक्टर तरुण कुमार को पहले सीआईपी रांची का कार्यकारी निदेशक बनाया. फिर डॉ दास का आनन-फानन में दिल्ली तबादला करने का आदेश जारी कर दिया. सूत्र बताते हैं कि अगर डॉ दास यहां रहे और इस दौरान कुछ गलत काम सीआईपी रांची में हुआ, तो इसकी पोल खुलने में देर नहीं लगेगी. इसलिए उनका तबादला दिल्ली कर दिया गया. नियमत: केंद्र सरकार के कर्मचारी का तबादला किसी केंद्रीय संस्थान में ही होना चाहिए, लेकिन डॉ दास के मामले में ऐसा नहीं हुआ. ऐसा उन्हें परेशान करने के इरादे से किया गया. इस बारे में पूछने पर डॉ दास ने कहा कि मुझे पद से हटाया गया, यह कोई नई बात नहीं है. किसी को भी पद से हटाया जा सकता है. मुझे क्यों हटाया गया, इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं दी गई. मुझे कोई नोटिस भी नहीं दिया. मुझे पदभार सौंपने का जो आदेश मिला, उसमें भी मुझ पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है. लेकिन, मीडिया में जो रिपोर्ट आई, उसमें कहा गया है कि मेरे ऊपर कई गंभीर आरोप हैं. मेरे खिलाफ कई शिकायतें हैं. इससे मुझे काफी ठेस पहुंची है. अगर मैं डायरेक्टर नहीं रहूंगा, तो अपने स्टूडेंट्स और पेशेंट्स को ज्यादा समय दे पाऊंगा. मुझसे कहा गया, मैंने पद छोड़ दिया, लेकिन मेरे ऊपर गलत आरोप लगाकर मुझे बदनाम करने की कोशिश की जा रही है.

500 करोड़ के अस्पताल पर प्रतिक्रिया देने से इंकार

उन्होंने बताया कि अगर किसी और को निदेशक बनाना था, तो सीधे तौर पर विभाग मुझे कहा जा सकता था. मुझसे कहा कि एनसीडीसी के रांची के प्रमुख सीआईपी रांची में बैठेंगे. बाद में मुझसे कहा गया कि आप एनसीडीसी के रांची सेंटर के प्रमुख को पदभार दे दीजिए, तो मैंने वो भी दे दिया. मैंने विभाग के सभी आदेशों का पालन किया, फिर मुझ पर गलत आरोप क्यों लगाए गए. गलत आरोप लगाकर निदेशक के पद से हटाया और बाद में ट्रांसफर भी कर दिया. यह पूछने पर कि क्या इसके पीछे 500 करोड़ रुपए से सीआईपी रांची के परिसर में बनने वाले अस्पताल का भी कोई कनेक्शन है, उन्होंने इस पर कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया.

Also Read: EXCLUSIVE|सीआईपी रांची के पूर्व निदेशक डॉ बासुदेव दास का दिल्ली ट्रांसफर, मामला कोर्ट पहुंचा
डॉ तरुण कुमार बोले – डॉ बासुदेव दास के खिलाफ थीं कई शिकायतें

एनसीडीसी रांची सेंटर के प्रमुख डॉ तरुण कुमार से प्रभात खबर ने डॉ बासुदेव दास पर लगे आरोपों के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि मंत्रालय तक उनके खिलाफ कई शिकायतें पहुंचीं थीं. शिकायतों की जांच के लिए टीम आई थी. टीम ने जहां भी हाथ डाला, कुछ न कुछ गड़बड़ी मिली. उन्होंने कहा कि प्रक्रियागत गड़बड़ियां मिलीं हैं. उन्होंने बताया कि डॉ दास के कार्यकाल में कई ऐसे काम हुए, जिसकी जरूरी अनुमति नहीं ली गई. यह पूछे जाने पर कि क्या इसमें कोई पैसे की भी गड़बड़ी हुई, उन्होंने कहा कि इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता. लेकिन, हो सकता है कि वित्तीय गड़बड़ी भी हुई हो. उन्होंने कहा कि मामले की जांच चल रही है. इस संबंध में स्वास्थ्य महानिदेशालय के डिप्टी डायरेक्टर मनोज कुमार वर्मा से पूछने पर उन्होंने कहा कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है. इस विषय पर वह कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.

स्वास्थ्य महानिदेशालय के फैसले के खिलाफ कोर्ट पहुंचे डॉ बासुदेव दास

बता दें कि अक्टूबर में अचानक से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से डॉ बासुदेव दास को एक आदेश जारी कर कहा गया कि वे सीआईपी रांची का पदभार डॉ तरुण कुमार को सौंप दें. इसके लिए डॉ दास को महज 70 मिनट का वक्त दिया गया. इसके बाद डॉ दास को तीन नोटिस मिले. सभी का उन्होंने जवाब दिया. फिर एक दिन अचानक से उनके दबादले का आदेश जारी हो गया. कहा गया कि अब आप दिल्ली सरकार के अधीन काम करेंगे. डॉ दास ने महानिदेशालय से अर्जी लगाई कि उनका बच्चा नौवीं क्लास में पढ़ रहा है, ऐसे में उसकी पढ़ाई डिस्टर्ब होगी. सो अभी उनके तबादले को टाल दिया जाए, लेकिन, उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया. इसके बाद डॉ बासुदेव दास ने गलत इरादे और गलत तरीके से उन्हें सीआईपी रांची के निदेशक के पद से हटाये जाने और बाद में उनका तबादला करने के स्वास्थ्य मंत्रालय के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी.

अचानक एक जनवरी को हाउस कीपिंग स्टाफ्स ने कर दी हड़ताल

डॉ दास के कोर्ट जाने के कुछ ही दिन बाद अचानक सीआईपी रांची में ठेका पर काम कर रहे 81 हाउस कीपिंग स्टाफ एक जनवरी को अचानक हड़ताल पर चले गए. चार दिनों तक उनसे किसी ने बात तक नहीं की. चार दिन बाद चार जनवरी की शाम को कार्यकारी निदेशक डॉ तरुण कुमार ने उनके प्रतिनिधियों और सुपरवाइजर को बुलाया. इन लोगों से काम जारी रखने को कहा. शिवा प्रोटेक्शन फोर्स को जब मैनपावर सप्लाई का ठेका मिला था, तब इन लोगों को यहां काम पर लगाया गया था. अगस्त से इनके वेतन का भुगतान नहीं हुआ. इसके विरोध में इन्होंने हड़ताल शुरू की. इन लोगों से जब पूछा गया कि ये लोग अब तक काम क्यों कर रहे थे, तो उन्होंने बताया कि उनसे कहा गया था कि काम बंद न करें. सरकार से बात करेंगे और आपके काम के बदले आपको पैसा मिलेगा.

Also Read: डॉ बासुदेव दास को हटाकर सीआईपी में नए निदेशक की नियुक्ति का इंडियन साइकेट्रिक सोसाइटी ने किया विरोध
डॉ बासुदेव दास ने कहा था- काम करो, वेतन दिलवाऊंगा : ठेका कामगार

हाउसकीपिंग स्टाफ्स ने बताया कि जुलाई 2023 में शिवा प्रोटेक्शन फोर्स (कामगार सप्लाई करने वाली एजेंसी) का कांट्रैक्ट खत्म हो गया. डॉ बासुदेव दास ने हमें कहा कि आप काम करते रहें. मैं विभाग से बात करके आपलोगों को भुगतान करवाऊंगा. डॉ दास अब निदेशक नहीं हैं. हमें वेतन नहीं मिल रहा. नए निदेशक कह रहे हैं कि अगर बिना पैसे के काम करना है, तो कीजिए. अगर आप काम नहीं करना चाहते, तो अपने घर जाइए. हम आपमें से कुछ लोगों को ही काम पर रखेंगे. ठेका पर काम कर रहे लोगों ने कहा कि हमने कोरोना काल में मरीजों की देखभाल की. अपने और अपने परिवार की परवाह नहीं की. अब हम कहां जाएं. किससे नौकरी मांगें. हम खाएंगे क्या. बच्चों को कैसे पढाएंगे. लेकिन, कैमरे के सामने इन्होंने वह बात नहीं कही, जो ऑफ द कैमरा उन्होंने कार्यकारी निदेशक के बारे में कहीं थीं.

Also Read: झारखंड के लिए खुशखबरी : NIMHANS की तर्ज पर रांची में बनेगा 500 बेड का अस्पताल, मिलेंगी ये सुविधाएं
सब पुराने निदेशक का किया-धरा है : डॉ तरुण कुमार

इस संबंध में जब कार्यकारी निदेशक डॉ तरुण कुमार से पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि ये सब मेरे पहले के निदेशक का किया-धरा है. हमने हड़ताल करके प्रदर्शन कर रहे इन लोगों को समझाया और ये लोग मेरी बात मानकर काम पर लौट गए हैं. हमने इनसे कहा है कि बाहर धरना-प्रदर्शन से कोई फायदा नहीं होगा. अगर आप काम पर लौट आएंगे, तो मैं विभाग से बात करूंगा और आपलोगों का भुगतान करवाने की कोशिश करूंगा. उन्हें मेरी बात समझ आई और उन्होंने हड़ताल वापस ले लिया है. वहीं, डॉ बासुदेव दास से जब इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य महानिदेशालय के निर्देश पर मैंने उनका टेंडर रद्द करके नए सिरे से टेंडर की प्रक्रिया शुरू की थी. 20 अक्टूबर से मैं निदेशक के पद पर नहीं हूं. इसलिए उसके बाद क्या हुआ, मैं नहीं जानता.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें