रांची: सैनिटरी नैपकिन उत्पादन इकाई ‘महिमा’ यूनिसेफ एवं सीआईपी की संयुक्त पहल है. यह समुदाय में लड़कियों एवं महिलाओं को सुलभ एवं किफायती सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्थापित की गयी है. यूनिसेफ झारखंड एवं सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकाइट्री (सीआईपी) के संयुक्त तत्वावधान में आज शुक्रवार को सैनिटरी नैपकिन उत्पादन इकाई ‘महिमा’ का उद्घाटन सीआईपी के प्रांगण में यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख डॉ कनीनिका मित्र व सीआईपी के निदेशक डॉ बासुदेव दास के द्वारा किया गया. यहां प्रतिदिन 15,000 सैनिटरी पैड का उत्पादन किया जाएगा, जिसका उपयोग महिला एवं बालिका मरीजों के द्वारा किया जाएगा. इस मौके पर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी), कांके के वार्डन और छात्राओं के अलावा वर्ल्ड विजन इंडिया के प्रतिनिधि उपस्थित थे.
किफायती सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराना है उद्देश्य
सीआईपी में स्थापित यह सैनिटरी नैपकिन यूनिट, यूनिसेफ झारखंड और सीआईपी की एक संयुक्त पहल है, जिसका उद्देश्य महिलाओं एवं किशोरियों को किफायती और सुलभ सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराना है. इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में यूनिसेफ की कम्यूनिकेशन, एडवोकेसी एवं पार्टनरशिप स्पेशलिस्ट (यूनिसेफ) आस्था अलंग, यूनिसेफ के जल एवं स्वच्छता विशेषज्ञ कुमार प्रेमचंद, यूनिसेफ की जल एवं स्वच्छता अधिकारी डॉ लक्ष्मी सक्सेना, डॉ अविनाश शर्मा (प्रशासनिक अधिकारी, सीआईपी) एवं अन्य अधिकारी व डॉक्टर उपस्थित थे.
सैनिटरी नैपकिन उत्पादन इकाई का मिलेगा लाभ
यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख डॉ कनीनिका मित्र ने कहा कि यूनिसेफ और सीआईपी के इस संयुक्त प्रयास को साकार होते देखकर मुझे काफी खुशी हो रही है. माहवारी से जुड़े मिथ्या धारणाओं, गरीबी तथा किफायती सैनिटरी नैपकिन जैसी बुनियादी सेवाओं तक पहुंच की कमी के कारण माहवारी स्वच्छता प्रबंधन की जरूरतें पूरी नहीं हो पाती हैं, जिसके कारण महिलाओं एवं लड़कियों में संक्रमण का खतरा बना रहता है. माहवारी स्वास्थ्य एवं स्वच्छता प्रबंधन से जुड़ी सुविधाएं यदि सभी के लिए उपलब्ध कराया जाए तो यह माहवारी से जुड़ी मिथ्या धारणाओं एवं बाधाओं को दूर करने में मदद करने के साथ-साथ किशोरियों को स्वस्थ एवं सशक्त महिला के रूप में विकसित होने में भी सहायता कर सकता है. इसे ध्यान में रखते हुए यूनिसेफ और सीआईपी एक सैनिटरी नैपकिन उत्पादन इकाई को स्थापित करने के लिए आगे आया है, ताकि यहां की महिला रोगियों को सैनिटरी पैड मिल सके और वे अपने मासिक धर्म को बेहतर, स्वच्छ तथा स्वस्थ तरीके से प्रबंधन करने के अलावा, पैड निर्माण और पैकेजिंग कौशल में खुद को प्रशिक्षित कर सकें. यह बहुत खास है, क्योंकि इससे सीआईपी में भर्ती मानसिक स्वास्थ्य समस्या वाले मरीजों को अपनी गरिमा व स्वच्छता बनाए रखने में मदद मिलेगी और वे सैनिटरी नैपकिन की पैकेजिंग में भी अपना योगदान दे सकेंगे, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ने के साथ-साथ वे उत्पादक गतिविधियों में भी संलग्न होंगे. इसका उद्देश्य स्थिर महिला रोगियों को अन्य रोगियों के बीच माहवारी स्वच्छता के प्रति जागरूकता पैदा करने और उन्हें सैनिटरी नैपकिन उत्पाद इकाई की पैकेजिंग/परिचालन में संलग्न करना है.
Also Read: यूपी के कांवरिया की झारखंड के दुमका में मौत, बासुकिनाथ धाम में पूजा करने के बाद अचानक बिगड़ी तबीयत
महिला व बालिका मरीजों को मिलेगी सैनिटरी नैपकिन
सीआईपी के निदेशक डॉ बासुदेव दास ने कहा कि वे इस अभिनव साझेदारी के लिए यूनिसेफ के बहुत आभारी हैं. सैनिटरी नैपकिन उत्पादन इकाई, जिसका आज उद्घाटन किया गया है, यूनिसेफ और सीआईपी की एक संयुक्त पहल है. इसे समुदाय में लड़कियों एवं महिलाओं के लिए सुलभ तथा किफायती सैनिटरी नैपकिन की जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है. यह पहल यहां की महिलाओं, बालिकाओं तथा मरीजों के लिए काफी मददगार साबित होगा. इस पहल के तहत, यूनिसेफ के सहयोग तथा साझेदारी के माध्यम से हम महिलाओं को सशक्त बनाने और उनके स्वास्थ्य और बेहतरी को सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण को साकार करने में सक्षम हुए हैं. उन्होंने कहा कि यहां प्रतिदिन 15,000 सैनिटरी पैड का उत्पादन किया जाएगा, जिसका उपयोग महिला एवं बालिका मरीजों के द्वारा किया जाएगा. इसके अलावा आसपास के क्षेत्रों के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) के छात्राओं को भी यह सैनिटरी नैपकिन मामूली कीमत पर उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है.