रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य में पहली बार सिविल सर्विसेज डे कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है. आप सभी लोग कार्यपालिका के ऐसे हिस्सेदार हैं जिसके बगैर राज्य की व्यवस्था चलाना संभव नहीं है. आप सभी के कंधों पर तमाम चुनौतियों के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण कार्यों की जिम्मेदारियां भी दी जाती हैं. किसी भी राज्य अथवा देश को मजबूत करने की दिशा में कार्यपालिका की अहम भूमिका होती है. लोक सेवकों के कार्य करने का दायरा बहुत बड़ा है. झारखंड में 2000 लोक सेवकों का स्ट्रेंथ है. राज्य की सवा तीन करोड़ जनता की सेवा के लिए 2 हजार लोक सेवकों का आंकड़ा कहीं से भी कम दिखाई नहीं पड़ता है. जरूरत है कि हम और आप सभी लोग अपने कार्यों को ईमानदारी, संवेदनशीलता और गंभीरता के साथ पूरा करें. ये बातें उन्होंने झारखंड मंत्रालय स्थित सभागार में सिविल सर्विसेज डे-2023 के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहीं.
भाषा, संस्कृति तथा रहन-सहन के साथ कम्युनिकेशन बनाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सभी लोक सेवक झारखंड की भौगोलिक बनावट से भलीभांति परिचित हैं. झारखंड एसटी/एससी बहुल आबादी वाला राज्य है. झारखंड अलग हुए 20 साल से अधिक हो चुके हैं. आज भी झारखंड जहां था वहीं खड़ा है. झारखंड देश के पिछड़े राज्यों में आता है. झारखंड में प्रकृति ने अपार संपदाएं दी हैं. झारखंड सिर्फ खनिज संपदा ही नहीं बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य एवं बहुप्रतिभा मानव बल के लिए भी जाना जाता है. हमारे पास वैसा कोई कारण नहीं है जिससे हम पिछड़े राज्यों के गिनती में शुमार हों परंतु यह सत्य है कि आज के समय में झारखंड देश के पिछड़े राज्यों में से एक राज्य है. सरकारें आती-जाती रहती हैं. राजनेता आते-जाते रहते हैं, परंतु आप सभी लोक सेवक लंबे समय तक राज्य की सेवा में कार्यरत रहते हैं. सरकार की योजनाएं तभी सफलतापूर्वक धरातल पर उतारी जा सकती हैं जब अधिकारी झारखंड की जनता के रहन-सहन तथा भाषा, संस्कृति के साथ समन्वय बनाएंगे. हमारे राज्य का पिछड़ापन होने का एक मुख्य कारण है यह भी है कि यहां के लोगों के साथ अधिकारियों का कम्युनिकेशन बिल्कुल नहीं बन पा रहा है और जब तक कम्युनिकेशन यहां की जनता के साथ अधिकारियों का नहीं बनेगा तब तक योजनाएं सफल नहीं हो पाएंगी. जब तक स्थानीय लोगों के साथ आप भाषा का समन्वय नहीं बनाएंगे तब तक उनके बीच चीजों को ठीक तरह से नहीं रख पाएंगे और विकास की यात्रा आगे नहीं बढ़ पाएगी. मौके पर मुख्यमंत्री ने सभी लोक सेवकों से आग्रह किया कि राज्य की जनता के साथ कम्युनिकेशन बनाते हुए विकास की पहिए को आगे बढ़ाएं. मुख्यमंत्री ने सभी लोक सेवकों से अपील की कि आप ऐसा कार्य करें कि आप जहां भी जाएं, तो वहां लोग आपका मान-सम्मान करें.
किसान से खेतिहर मजदूर बन रहे हैं लोग
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने किसानों की वर्तमान हालात को लेकर चिंता जताई. मुख्यमंत्री ने कहा कि विजन के अभाव में लगातार किसान वर्ग के लोग खेतिहर मजदूर बन रहे हैं. राज्य में किसानों की संख्या निरंतर घटती जा रही है. खेतिहर मजदूरों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्वांगीण विकास की चाह में कहीं न कहीं कुदरती संसाधनों के साथ छेड़-छाड़ करने का गुनाह किया जा रहा है. यह बात सत्य है कि विकास अत्यंत आवश्यक है परंतु प्राकृतिक संसाधनों के साथ समन्वय बैठाना भी उतना ही आवश्यक है. प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर हम विकास की लकीर नहीं खींच सकते हैं. वर्ष 1933 में झारखंड में जंगलों की स्थिति क्या थी और आज स्थिति कैसी है और आने वाले 20 साल बाद की स्थिति क्या होगी? किस तरह वन्य प्राणियों को संरक्षित किया जा सके, यह अब हम सबके बीच चुनौती बनता जा रहा है.
त्रैमासिक पत्रिका ‘पलाश’ का विमोचन
कार्यक्रम में संजय श्रीवास्तव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, झारखंड द्वारा ‘Conservation of Forest and Wildlife in the Context of infrastructure development’, श्री प्रशान्त कुमार, सचिव जल संसाधन विभाग, झारखण्ड द्वारा ‘Improving Efficiency of Office Administration’ अखिलेश झा, भा.पु.से., पुलिस महानिरीक्षक (HR), झारखंड द्वारा ‘Challenges in Law and Order/Crime Management’ उमाशंकर सिंह, निदेशक भू-अर्जन, झारखंड द्वारा ‘Improvements in Land Administration’, एवं अरवा राजकमल, उपायुक्त, सरायकेला-खरसावां द्वारा ‘Citizen Friendly Administration-Citizen interface, विषयक PPT प्रस्तुतीकरण के साथ विचार व्यक्त किए गए. इस अवसर पर मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथिगणों द्वारा Jharkhand IAS Officers Association की त्रैमासिक पत्रिका ‘पलाश’ का विमोचन किया गया. मौके पर मुख्यमंत्री को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया. मौके पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, डीजीपी अजय कुमार सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजय श्रीवास्तव, प्रधान सचिव मुख्यमंत्री वंदना डाडेल, कई विभिन्न विभागों के प्रधान सचिव/ सचिव, वन सेवा के पदाधिकारी तथा पुलिस सेवा के पदाधिकारी सहित अन्य लोक सेवक उपस्थित थे.