बगैर रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं कई निजी अस्पताल व अल्ट्रासाउंड क्लीनिक, नहीं हो रही कोई कार्रवाई
क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत निबंधन नहीं रहने पर निजी अस्पताल व अल्ट्रासाउंड क्लिनिकों पर कार्रवाई फिलहाल नहीं के बराबर हो रही है.
क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत निबंधन नहीं रहने पर निजी अस्पताल व अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों पर कार्रवाई फिलहाल नहीं के बराबर हो रही है. इन सेंटरों का रजिस्ट्रेशन और इसका समय पर रिन्युअल नहीं कराने के कारण विभाग का अकेले रांची में ही करीब 1,03,17,312.58 रुपये से ज्यादा का बकाया हो गया है.
अप्रैल-मई में लगातार हुई थी कार्रवाई :
अप्रैल से लेकर मई के मध्य तक लगातार कार्रवाई हो रही थी. इस दौरान निरीक्षण तथा छापेमारी के दौरान करीब एक दर्जन सेंटर को बंद करने के साथ भारी जुर्माना भी लगाया गया. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग पर भारी दबाव था, जिससे सात मई के बाद इस मामले में जांच प्रक्रिया शिथिल कर दी गयी.
स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक्ट के तहत सभी निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, पॉली क्लीनिक, पैथोलॉजी सेंटर और रेडियोलॉजी सेंटर को एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराने या रिन्युअल कराने का निर्देश दिया गया था, लेकिन बड़ी संख्या में केंद्रों ने निबंधन नहीं कराया.
महज 37 फीसदी सेंटर की ही हो सकी जांच :
पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट के तहत जून तक रांची के 266 अल्ट्रासाउंड और रेडियोलॉजी सेंटर की जांच करने का काम पूरा कर लेना था. हालांकि, अक्तूबर तक इसमें महज 98 सेंटर का ही भौतिक सत्यापन हो सका है. हाल ही में डीसी की अध्यक्षतावाली कमेटी ने आठ अल्ट्रासाउंड सेंटर का निबंधन और तीन के रिन्युअल की मंजूरी दी थी. उस वक्त इन सेंटरों के संचालन की खामियों पर चर्चा हुई थी.
जांच में ढिलाई का फायदा उठा रहे जांच केंद्र
रांची में चल रहे रेडियोलॉजी और अल्ट्रासाउंड सेंटर में बड़ी संख्या में एक्ट के अधिकांश नियमों का पालन नहीं हो रहा है. यहां नियमों की धज्जियां उड़ा कर बड़े पैमाने पर कारोबार हो रहा है. मरीजों से मनमानी फीस ली जा रही है. यहां तक कि अस्पताल आनेवाले हर मरीज का इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ डेटा और मेडिकल हेल्थ रिकॉर्ड सेंटर के पास सुरक्षित नहीं है.