झारखंड में 15,000 करोड़ का कपड़ों का कारोबार, सूरत, मुंबई और अहमदाबाद सहित अन्य जगहों से आता है माल
झारखंड में गारमेंट्स का सालाना कारोबार 15,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. इस बिक्री में थोक कपड़े और रेडिमेड गारमेंट्स की बिक्री शामिल है. वहीं, कुल बिक्री में सबसे अधिक साड़ी और कुर्ती की बिक्री होती है.
राजेश कुमार, रांची : रांची सहित पूरे झारखंड के लोग फैशन की दुनिया के साथ चल रहे हैं. बाजार में जो भी लेटेस्ट ट्रेंड आ रहा है, लोग उसे तुरंत अपना रहे हैं. लोग फैशन और स्टाइल पर खर्च करने में पीछे नहीं हैं. यही कारण है कि रांची सहित पूरे झारखंड में कपड़ों का कारोबार तेजी से बढ़ा है. बाजार के जानकारों का कहना है कि झारखंड में गारमेंट्स का सालाना कारोबार 15,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. इस बिक्री में थोक कपड़े और रेडिमेड गारमेंट्स की बिक्री शामिल है. वहीं, कुल बिक्री में सबसे अधिक साड़ी और कुर्ती की बिक्री होती है. कुल बिक्री में साड़ी और कुर्ती की हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत है.
फैंसी और अच्छी गुणवत्ता वाले कपड़ों की डिमांड
झारखंड में फैंसी और अच्छी गुणवत्ता वाले कपड़ों की डिमांड काफी तेजी से बढ़ी है. जबकि, प्रीमियम क्वालिटी के कपड़ों की बिक्री में हिस्सेदारी 10 प्रतिशत तक पहुंच गयी है. यही कारण है बड़े-बड़े ब्रांडों के शोरूम झारखंड के विभिन्न शहरों में खुल गये हैं. वहीं, कपड़ों की सिलाई महंगी होने के कारण लोग अच्छे कपड़े ही खरीदना पसंद रहे हैं.
कपड़ा बाजार में सालाना 10 से 15 प्रतिशत ग्रोथ
बाजार जानकारों का कहना है कि कपड़ों के सालाना कारोबार में साल-दर-साल 10 से 15 प्रतिशत की ग्रोथ हो रही है. हालांकि, कोरोना के कारण कपड़ा बाजार बेपटरी हुआ था. लेकिन, अब यह वापस पटरी पर लौट चुका है.
झारखंड में कपड़ों के थोक कारोबारी 400 से अधिक
झारखंड में ही कपड़ों के छोटे-बड़े थोक कारोबारी 400 से अधिक हैं. जबकि, झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ के लगभग 151 रजिस्टर्ड सदस्य हैं. वहीं, रेडिमेड गारमेंट्स एवं होजियरी दुकानदारों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. रांची सहित पूरे झारखंड में सूरत, मुंबई, अहमदाबाद, राजस्थान के भीलवाड़ा सहित अन्य जगहों से माल मंगाया जाता है.
पहले की तुलना में फैशन में बदलाव आया है. लोग फैंसी आइटम की डिमांड कर रहे हैं. लोगों की क्रय क्षमता बढ़ने के कारण ही कपड़े का कारोबार रांची सहित पूरे झारखंड में बढ़ा है. कारोबार अब पटरी पर लौट आया है.
– विक्रम खेतावत, अध्यक्ष, झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ
पहले की तुलना में प्रीमियम कपड़ों की मांग बढ़ी है. सिलाई भी महंगी होने के कारण लोग गुणवत्तापूर्ण कपड़े ही लेना पसंद कर रहे हैं. साथ ही कारोबार में भी पहले की तुलना में अब बदलाव आया है.
– प्रवीण लोहिया, पूर्व अध्यक्ष, झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ