सीएम के पूर्व प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का ने टेंडर में की गड़बड़ी, अधिक कीमत पर सामग्री खरीदी और घूस में लिया

राजीव अरुण एक्का ने विशाल चौधरी के माध्यम से आइएएस अधिकारी मनोज कुमार व अन्य की पोस्टिंग के लिए पैसे लिये. विशाल ने राजीव अरुण एक्का के साथ मिल कर नाजायज कमाई का हिसाब किताब रखा.

By Prabhat Khabar News Desk | October 1, 2023 8:21 AM

रांची, शकील अख्तर : मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव रहे राजीव अरुण एक्का ने टेंडर में गड़बड़ी कर विशाल चौधरी के साथ मिल कर बाजार से तीन गुना से भी अधिक कीमत पर सामान खरीदे. सामग्री के बाज़ार मूल्य और आपूर्ति किये गये मूल्य के अंतर का 50 प्रतिशत रिश्वत के तौर पर लिया. विशाल चौधरी ने अपनी एफजीएस कंस्ट्रक्शन कंपनी में निशीथ केसरी को निदेशक बनाया. मुनाफे में निशीथ के हिस्से को राजीव अरुण एक्का के पारिवारिक सदस्यों के खाते में जमा किया गया. विशाल ने अपनी काली कमाई के चार करोड़ रुपये से पुनदाग में 59 डिसमिल जमीन खरीदी भवन बनाने के लिए निशीथ को (एनकेपीसीएल) डेवलपर बना कर उसे 60 प्रतिशत हिस्सा दिया. विशाल चौधरी ने अपने सहयोगियों के माध्यम से निशीथ केसरी को नकद 1.36 करोड़ रुपये दिये.

बाद ने निशीथ ने यह रकम बैंकों के माध्यम से विशाल चौधरी को वापस कर दिया. राजीव अरुण एक्का ने विशाल चौधरी के माध्यम से आइएएस अधिकारी मनोज कुमार व अन्य की पोस्टिंग के लिए पैसे लिये. विशाल ने राजीव अरुण एक्का के साथ मिल कर नाजायज कमाई का हिसाब किताब रखा. इसमें राजीव एक्का के लिए आर सर, आरएइ और अपनी पत्नी श्वेता सिंह चौधरी के लिए एसएससी जैसे कोर्ड वर्ड का इस्तेमाल किया. पैसों के लेन-देन में लाख के लिए “फाइल” और करोड़ के लिए “ फोल्डर” जैसे कोड वर्ड का इस्तेमाल किया. प्रवर्तन निदेशालय ने पीएमएलए की धारा 66(2) के तहत राजीव अरुण एक्का व अन्य के सिलसिले में राज्य सरकार के साथ साझा की गयी सूचना में इन तथ्यों का उल्लेख किया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में एक्का व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया है.

पत्नी, बेटी के वेतन के रूप में दिखायी काली कमाई

ईडी की ओर से सरकार को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि पूजा सिंघल मामले की जांच के दौरान इस बात की जानकारी मिली कि विशाल चौधरी राज्य के वरीय अधिकारियों के लिए रिश्वत की वसूली करता है. इस सूचना के आधार पर विशाल के कार्यालय और घर पर छापामारी की गयी. इस दौरान गड़बड़ी से संबंधित दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस ज़ब्त किये गये. डिजिटल डिवाइस के डाटा से इस बात की जानकारी मिली है कि विशाल चौधरी अपने सहयोगियों और मुख्यमंत्री के तत्कालीन प्रधान सचिव के साथ मिल कर अवैध गतिविधियों को अंजाम देता है. इन अवैध गतिविधियों से होनेवाली आमदनी का एक हिस्सा राजीव अरुण एक्का को मिलता है. नाजायज तरीके से कमायी गयी इस राशि की मनी लाउंड्रिंग कर एक्का की पत्नी और बेटी के बैंक खातों में जमा किया जाता है.

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इडी ने जांच में यह पाया कि राजीव अरुण एक्का की काली कमाई को उनकी पत्नी डॉक्टर सुप्रिया मिंज और बेटी सराहना एक्का के खातों में वेतन के रूप में दिखाया जाता है. मनी लाउंड्रिंग के इस काम को सीए गौरव गुंजन द्वारा अंजाम दिया जाता है. सुप्रिया मिंज को दिल्ली की डरमा प्यूरिटिज नामक क्लिनिक में कंसल्टेंट के रूप में दिखा कर वेतन के रूप में एक लाख रुपये प्रति माह की दर से भुगतान किया जाता है. हालांकि सुप्रिया मिंज कभी दिल्ली स्थित क्लिनिक में नहीं गयी हैं. इस अस्पताल और विशाल चौधरी दोनों का ही सीए गौरव गुंजन ही है. इसी तरह राजीव अरुण एक्का की बेटी सराहना एक्का को भी एक कंपनी में काम करते हुए दिखा कर काली कमाई को वेतन के रूप में दिखाया जाता है.

आमदनी से ज्यादा रकम बैंक खाते में

इडी ने मामले की जांच के दौरान वित्तीय वर्ष 2016-17 से वित्तीय वर्ष 2021-22 तक की अवधि में सुप्रिया मिंज और सराहना के बैंक खातों और आयकर रिटर्न का मिलान किया. इसमें दोनों के ही खातों में भारी नक़द जमा होने और रिटर्न में घोषित आमदनी से ज़्यादा बैंक खाते में जमा होने की पुष्टि हुई. बेटी ने तो पांच वर्ष तक आयकर रिटर्न ही दाखिल नहीं किया था. पत्नी के खाते में इस अवधि में कुल 1.66 करोड़ रुपये जमा हुए थे. इसमें से 19.59 लाख रुपये नक़द जमा किये गये थे, लेकिन इस अवधि में उन्होंने अपने आयकर रिटर्न में सिर्फ़ 63.08 लाख रुपये की आमदनी का उल्लेख किया था. इडी ने तथ्यों के सबूत के तौर पर सरकार को बैंक खातों का ब्योरा और रांची में विशाल के कर्मचारियों द्वारा राजीव अरुण एक्का के पारिवारिक सदस्यों के खातों में नकद राशि जमा करने का सीसीटीवी फ़ुटेज भी भेजा है.

कर्मचारियों से नकद राशि जमा करवाता था विशाल चौधरी

इडी ने बाज़ार से तीन गुना से ज़्यादा क़ीमत पर सामान ख़रीदने का विस्तृत ब्योरा भी सरकार को दिया है. इसमें यह दिखाया गया है कि टेंडर के माध्यम से कुल 42 प्रकार की सामग्रियां ख़रीदी गयी. सरकार से इसके लिए 1.15 करोड़ रुपये का भुगतान लिया गया. जांच में पाया गया कि बाज़ार में इस सभी सामग्रियों की क़ीमत सिर्फ़ 30.60 लाख रुपये है. इस ख़रीद में जीएसटी, ढुलाई सहित अन्य प्रकार के ख़र्चों को काट कर 45.67 लाख रुपये बचे. इसमें से 50% राजीव अरुण एक्का और 50% विशाल की पत्नी श्वेता सिंह चौधरी ने ले लिया. इन लोगों ने अधिक मूल्य पर सामान ख़रीद के बंटवारे का फ़ार्मूला तय कर रखा था. इसके तहत कुल रक़म में से 40%, 10%, 10% की दर से विशाल और उसकी कंपनियों को मिलता था. इसके बाद बाक़ी बची हुई रकम में से राजीव अरुण एक्का और श्वेता सिंह चौधरी के बीच 50-50 प्रतिशत बंटता था.

जांच में यह भी पाया गया कि विशाल चौधरी अपने कर्मचारियों जैसे नीलोफर आरा, एम अनवर सहित अन्य के खातों में नक़द राशि जमा करवाता है और बाद में उनके खातों से अपने खातों में ट्रांसफ़र करवाता है. इडी ने जांच में पाया कि विशाल चौधरी ने पुनदाग में सेल डीड संख्या 6402/5794 और सेल डीड संख्या 6404/5795 के सहारे 21 अगस्त 2021 को चार करोड़ की लागत पर कुल 1.18 एकड़ ज़मीन ख़रीदी. इस ज़मीन पर भवन बनाने के लिए एनकेपीसीएल को डेवलपर बनाया. कंपनी निशीथ केसरी की है. वह राजीव अरुण एक्का के रिश्तेदार हैं. विशाल ने इस काम में निशीथ को 60 प्रतिशत हिस्सा दिया. इडी ने श्वेता चौधरी के मोबाईल से मिली तस्वीरों की जांच में पाया कि विशाल चौधरी के एक कर्मचारी ने निशीथ को 1.36 करोड़ रुपये नक़द दिये. इसके बाद निशीथ ने लाउंड्रिंग कर इसे विशाल चौधरी के खाते में ट्रांसफर कर दिया.

लाख के लिए फाइल और करोड़ के लिए फोल्डर का होता था इस्तेमाल

विशाल चौधरी और उसकी पत्नी के मोबाइल से मिले आंकड़ाें से इस बात की भी जानकारी मिली है कि अधिकारियों के ट्रांसफ़र पोस्टिंग के लिए भी पैसों की वसूली की जाती था. इस बात की पुष्टि के लिए इजी वाट्सएप चैट भी सरकार के साथ साझा किया है. इसमें ट्रांसफ़र पोस्टिंग के लिए हुए लेन देन में लाख रुपये के लिए ‘फाइल’ और करोड़ के लिए ‘फ़ोल्डर’ शब्द का प्रयोग किया गया है. चैट में आइएएस मनोज कुमार को ज़ैप आइटी में सीइओ की पोस्टिंग के लिए 50 लाख व कामेश्वर सिंह को आदिवासी कल्याण आयुक्त बनाने के लिए एक करोड़ के लेन देन का उल्लेख है.

वाट्सएप चैट का ब्योरा

  • भेजनेवाला – पाने वाला – मैसेज

  • विशाल चौधरी – राजीव अरुण एक्का – मनोज कुमार, आइएएस के ट्रांसफर के सिलसिले में

  • विशाल – श्वेता – मनोज कुमार आइएएस-2010, वर्तमान में एमडी, एग्री मार्केटिंग बोर्ड को जैप, आईटी सीइओ, 50 फाइल अच्छा डील.

  • विशाल – श्वेता – कामेश्वर सिंह को टीडब्ल्यूसी में करवाना ठीक होगा. चंपई सोरेन से, ओके, 50 लाख गुड डील, टोटल वन फोल्डर

  • श्वेता – विशाल – सर, बोल रहे हैं कि अगर 2.5 फोल्डर में एग्री है, तो बॉस से बात कर लेंगे.

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