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झारखंड में इंटरमीडिएट की परीक्षा होनी चाहिए या नहीं, CM हेमंत ने मांगी अभिभावक, शिक्षक, छात्रों की राय

रांची : झारखंड में कक्षा 12वीं बोर्ड की परीक्षा होनी चाहिए या नहीं. यह जानने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने अभिभावकों की राय मांगी है. उन्होंने ट्विटर पर एक पोस्ट ट्वीट करते हुए कहा कि झारखंड में 12वीं बोर्ड की परीक्षा (Jharkhand Intermediate Exam 2021) को लेकर 12वीं में पढ़ने वाले बच्चों, अभिभाकों और शिक्षकगण अपनी राय दें कि प्रदेश में 12वीं बोर्ड की परीक्षा कैसे ली जाए.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 23, 2021 10:38 AM
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रांची : झारखंड में कक्षा 12वीं बोर्ड की परीक्षा होनी चाहिए या नहीं. यह जानने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने अभिभावकों की राय मांगी है. उन्होंने ट्विटर पर एक पोस्ट ट्वीट करते हुए कहा कि झारखंड में 12वीं बोर्ड की परीक्षा (Jharkhand Intermediate Exam 2021) को लेकर 12वीं में पढ़ने वाले बच्चों, अभिभाकों और शिक्षकगण अपनी राय दें कि प्रदेश में 12वीं बोर्ड की परीक्षा कैसे ली जाए.

हेमंत सोरेन ने ट्वीट किया कि प्रदेश के कक्षा बारहवीं में पढ़ने वाले सभी बच्चों के अभिभावक, अध्यापकों और खुद छात्रों से इस वर्ष इंटरमीडिएट बोर्ड की परीक्षा पर राय जानना चाहता हूं. उन्होंने आगे लिखा कि कृपया अपना बहुमूल्य सुझाव कमेंट कर साझा करें. इससे मुझे भारत सरकार के साथ होने वाली बैठक में राय और दिक्कतों को बेहतर ढंग से रखने में मदद मिलेगी.

बता दें कि झारखंड में कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण सभी स्कूल कॉलेज बंद हैं. प्रदेश में होने वाली 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा पर असमंजस की स्थिति है. देखा जाए तो परीक्षा का तय समय फरवरी-मार्च में होता है. जहां सीबीएसई ने 10वीं बोर्ड की परीक्षा रद्द कर दी है वहीं, प्रदेश सरकार ने अभी तक इसपर निर्णय नहीं लिया है.

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परीक्षा आयोजित कराना चाहते हैं अभिभावक

मुख्यमंत्री ने यह पोस्ट फेसबुक और ट्विटर दोनों पर शेयर किया है. इसके जवाब में एक घंटे से भी हम समय में हजारों कंमेंट आ गये हैं. इसमें अधिकतर अभिभावकों की राय है कि देर से ही सही लेकिन परीक्षा का आयोजन हो. ताकि उनके बच्चों की मेहनत बेकार न जाए. लोगों ने कहा कि क्या कोरोना हमारे बच्चों का भविष्य खराब कर देगा. परीक्षा ऑफलाइन ही होनी चाहिए.

कुछ अभिभावकों ने राज्य सरकार को परीक्षा के लिए सेंटर बढ़ाने के भी सुझाव दिये हैं. कुछ ने कहा कि देर से ही सही लेकिन परीक्षा ऑफलाइन ही ली जाए. क्योंकि ऑनलाइन परीक्षा में कई विद्यार्थी शामिल नहीं हो पायेंगे. जिनके पास साधन नहीं हैं, वे बच्चे ऑनलाइन परीक्षा कैसे दे पायेंगे. इस प्रकार उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो जायेगा. वहीं कुछ ने ऑनलाइन परीक्षा लेने की भी तरफदारी की है.

Posted By: Amlesh Nandan.

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