रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड में राज्य चलाने के लिए भारी संघर्ष करना पड़ रहा है. इस समय झारखंड में ईडी का विचरण हो रहा है. राज्य के सभी अधिकारियों को डराकर रखा जा रहा है. सोची-समझी रणनीति के तहत पूरे देश में झारखंड की छवि खराब की जा रही है. हमारी सरकार की छवि को धूमिल करने का प्रयास हो रहा है.
श्री सोरेन रविवार को दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे़ इस मौके पर उन्होंने कहा कि केंद्र ने पिछले दो साल से मनरेगा में पैसा नहीं दिया है, लेकिन ईडी झारखंड में मनरेगा घोटाले की जांच कर रही है. मुझे नहीं लगता है कि ईडी के अधिकारियों ने किसी से पूछताछ की है. ईडी को घोटाले से कोई मतलब नहीं है. ईडी किसी और लक्ष्य से ही झारखंड में काम कर रही है.
उनको लगता है कि हम आदिवासियों के पास कोई पहुंच नहीं है. ज्ञान नहीं है. इनको बेवकूफ बनाना बहुत आसान है. मैं बताना चाहता हूं कि हम भले ही उनकी जैसी क्षमता और ज्ञान नहीं रखते हैं. लेकिन, हम में से ही एक आदमी ऐसा निकल जाता है, जो उनके जैसे 100 पर भी भारी पड़ता है. इसलिए हमें धमकी या डराने की कोशिश की मंशा छोड़ दें.
सीएम ने कहा कि गलत तरीके से माइंस लेने का आरोप लगाकर भाजपा ने तिल का ताड़ बना दिया है. झारखंड में सरकार की जड़ खोदने का काम हो रहा है. माइनिंग के काम में एक भी झारखंडी नहीं लगा है. राज्य को मुझसे बड़ी उम्मीद है. उनको विश्वास है कि उनका भला कोई भूमिपुत्र ही कर सकता है. देश में कम जनसंख्या वाले कई वर्गों को जनगणना में अलग धर्मकोड दिया गया है. पर, करोड़ों आदिवासियों को अलग धर्मकोड नहीं मिला. हम जातीय जनगणना के समर्थन में हैं.
मनरेगा या खान आवंटन मामले में हम आरोप लगानेवालों को कोई जवाब नहीं देंगे. हम कोर्ट में, चुनाव आयोग में जवाब देंगे. मनरेगा घोटाला आज का नहीं है. वर्ष 2008 का केस है. उस समय मैं तो सांसद या विधायक भी नहीं था. माइंस घोटाले की बात बेकार है.
सीएम के रूप में केवल 80 डिसमिल जमीन का घोटाला हेमंत क्यों करेगा. पत्थर खदान हमने वर्ष 2006-07 में ली थी. हमने थोड़ी सी जमीन ली, तो उनको दर्द हो रहा है. मेजर मिनरल, कोयला या आयरन ओर के घोटाले की बात नहीं हो रही है. हम काम करते हैं, इसलिए यह हो रहा है. हम बैठनेवालों में से नहीं है.
आदिवासी, दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक संघर्ष नहीं करेगा, तो सरवाइव नहीं करेगा. हम संतुलन में रहनेवाले लोग हैं. संघर्ष नहीं किया तो मारे जायेंगे. सत्ता में रह कर भी संघर्ष करना है. विपक्ष संवैधानिक संस्थाओं के सहारे राज्य की छवि खराब करना चाहती है.
वर्ष 2008 में पूजा सिंघल के डीसी के रूप में रहते हुए चार करोड़ के घोटाले के बहाने इडी ने कार्रवाई की. संवैधानिक संस्थाओं द्वारा राज्य सरकार की छवि को बदनाम करने का षड्यंत्र रचा गया है. गलत चीजों को लेकर कितने दिन आगे बढ़ा जा सकता है. छापेमारी में पूजा सिंघल के यहां से कुछ नहीं मिला. किसी सीए के पास से नगद मिला था. बोला जा रहा है कि उसकी जांच चल रही है. मैं याद दिलाना चाहता हूं कि सीबीआइ ने यूपी में भी छापा मारा था. 300 करोड़ रुपये मिले थे. वह राशि कहां गयी.
हम देश में इस समय केंद्रीय एजेंसियाें की हालत से वाकिफ हैं. मैं यहां आर्यन खान के एनसीबी केस का जिक्र करना चाहूंगा. काफी हो-हल्ले के बाद आर्यन को क्लीन चिट मिल गयी. झारखंड में भी पिछले 20-25 िदन से इडी की कार्रवाई हो रही है, लेकिन कोई डाटा इडी की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है.
Posted By: Sameer Oraon