मैं दोषी हूं तो मुझे सजा दें, भ्रम की स्थिति झारखंड के लिए बड़ी सजा : CM हेमंत सोरेन
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) ने मीडिया से संवाद के दौरान सरकार की नीतियों, राजनीति और वर्तमान प्रकरण पर अपनी बात रखी है. उन्होंने कहा कि मैं दोषी हूं तो मुझे सजा दें, भ्रम की स्थिति झारखंड के लिए बड़ी सजा है.
Ranchi News: मैं दोषी हूं तो मुझे सजा दें. मैं तो सजा पाने के लिए राज्यपाल से गुहार लगा रहा हूं. कभी ऐसा आरोपी देखा है, जो खुद ही सजा सुनाने की गुहार लगा रहा हो. आज यदि मैं सजा का पात्र हूं, संवैधानिक पद पर बैठा हुआ हूं और फैसला ले रहा हूं, तो इसकी जिम्मेवारी किसकी है. इसके बावजूद मैं खुद ही राज्यपाल से मांग कर रहा हूं कि चुनाव आयोग ने जो भी सजा दी है, उसे सुनाया जाये. दूसरी ओर राज्यपाल सजा न सुनाकर जो स्थिति बनाये हुए हैं, वह मेरे लिये किसी सजा से कम नहीं है. आज विरोधी नैतिकता की बात करते हैं, पर इस मामले में उनकी नैतिकता कहां गयी है. हमें तो राज्यपाल के फैसले का इंतजार है. ये बातें शनिवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडिया से संवाद के दौरान कही.
मौके पर उन्होंने सरकार, राजनीति और वर्तमान प्रकरण पर खुलकर बात की. सीएम ने माइंस प्रकरण पर कहा कि हेमंत सोरेन 88 डिसमिल जमीन का घोटाला करेगा, यह सोचने की बात है. यदि आरोप है, तो सजा तो दो. किसने रोका है. उन्होंने कहा कि कई बार सरकार संभालने के बाद जो भी त्रुटियां आती हैं, उन्हें सुधारा जाता है.
जो लोग इस राज्य में हैं और भविष्य में आयेंगे, उन्हें भी मिलेगा अधिकार
सीएम ने 1932 खतियान को लेकर कहा कि किसी को भी घबराने की जरूरत नहीं है. जो लोग इस राज्य में हैं और जो 10 वर्ष के बाद भी राज्य में आयेंगे, सरकार सबके अधिकारों का ध्यान रखेगी. राज्य के आदिवासी-मूलवासी के अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए इनके अधिकारों को भी ध्यान में रखा जायेगा. किसी भी व्यक्ति को सवाल पूछने की गुंजाइश ही नहीं रहने देंगे. किसी की हकमारी नहीं होगी. उन्होंने कहा कि 1932 खतियान के नाम पर पूर्व में खून-खराबा होता था, लेकिन इस बार सभी ने स्वागत किया. इस निर्णय का लोगों ने खुले दिल से स्वागत किया.
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कुड़मी आंदोलन को कुछ राजनीतिक लोग हवा दे रहे
कुड़मी को आदिवासी में शामिल करने को लेकर चल रहे आंदोलन पर सीएम ने कहा कि कुछ राजनीतिक लोग इसे हवा ज्यादा दे रहे हैं. ओबीसी आरक्षण पर उन्होंने कहा कि 27 प्रतिशत देने से किसी को असुरक्षा की भावना नहीं होनी चाहिए. जिन वर्गों का जो अधिकार है, वह मिलेगा. इसके लिए पूरे तरीके से नीति बनायी जा रही है. जिस निर्णय से 90 प्रतिशत सहमत हों और 10 प्रतिशत असहमत हों, तो भी समाधान निकाला जायेगा.
1932 पर : सबके अधिकारों का ख्याल रखेगी सरकार
सीएम ने केंद्र सरकार पर गैर भाजपा शासित राज्यों को परेशान करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपनी असीम ताकत का असीम प्रयोग उन्हें परेशान करने के लिए कर रही है. लेकिन फिर भी वह डटे हुए हैं. सीएम ने केंद्रीय जांच एजेंसियों की स्वायत्तता पर संदेह जताया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो भी केंद्रीय जांच एजेंसियां हैं, उनके निर्णय और कार्य से ऐसा प्रतीत होता है कि कोई उनके पीछे खड़ा है. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि एक जिले में केवल पत्थर से एक हजार करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया गया है. तब तो केंद्र को कोयला और लोहा को माइनर मिनरल और पत्थर-बालू को मेजर मिनरल घोषित कर देना चाहिए. उनके विधायक प्रतिनिधि के घर से चेक मिलने की बाबत सीएम ने कहा कि यह सब कानूनी मामला है और कानूनी रूप से ही जवाब देंगे. उन्होंने कहा कि मकई का एक दाना जिसके घर से नहीं मिला, उसे गिरफ्तार कर लिया गया, वहीं भाजपा के एक पूर्व एमएलसी के करीबी के यहां पांच करोड़ कैश बरामद हुआ, तो उसे छोड़ दिया गया.
केंद्र सरकार के पास 1.36 लाख करोड़ रुपये है बकाया, मांगने पर बौखला गयी सरकार
सांसद शिबू सोरेन सहित उनके परिजनों के खिलाफ लोकपाल के यहां चल रहे आय से अधिक मामले पर हेमंत सोरेन ने कहा कि कानूनी मसलों पर कानूनी तरीकों से जवाब दिया जा रहा है. कुछ लोग राजनीतिक एजेंडे के तहत ऐसा करते हैं. उन्होंने कहा कि सीएम भला 88 डिसमिल जमीन को लेकर घोटाला करेगा, ऐसा आरोप लगानेवाले को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए. कोई आदिवासी, वंचित समाज से आगे आकर व्यवस्था संभाले, यह विपक्ष के कई नेताओं को नहीं पच रहा है. सीएम ने कहा कि केंद्र के पास रॉयल्टी का 1.36 लाख करोड़ रुपये बकाया है. मांगने पर केंद्र सरकार की बौखला गयी है. इसे राज्य लेकर रहेगा. लेकिन इसकी मांग करने पर जांच एजेंसियों के बहाने पीछे बेताल छोड़ दिया जाता है.
बेरोजगारी भत्ता के बजाय युवाओं को स्वरोजगार के लिए ऋण देकर आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं
सीएम हेमंत सोरेन ने बेरोजगारी भत्ता पर कहा कि हम इससे आगे की सोच रहे हैं. हम चाहते हैं कि भत्ता दिये जाने की बजाय युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल हो. वह स्वरोजगार या रोजगार में लगें. स्वरोजगार के लिए 25 लाख रुपये तक लोन दिये जा रहे हैं. पंचायतों और गांवों में शिविर लगा कर युवाओं को इसके लिए जागरूक किया जा रहा है. सरकारी योजनाओं से लाभ उठाने को जागरूक किया जा रहा है. इसके लिए बूढ़ा पहाड़ तक के इलाके में अधिकारी जा रहे हैं. पलायन पर उन्होंने कहा कि रोजगार के लिए लोगों को जहां जाना होगा, वह जायेंगे ही. लेकिन पलायन रोकने के लिए राज्य में स्वरोजगार की योजना लायी गयी है. 20 वर्षों से उनके लिए किसी ने कुछ नहीं किया, लेकिन अब कर रहे हैं. कहीं रौशनी जलेगी, तभी तो अंधरा हटेगा.