मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रविवार को नयी दिल्ली में हुई नीति आयोग के शासी इकाई की बैठक में शामिल हुए. इस मौके पर मुख्यमंत्री ने नीति आयोग से बैंकों को केसीसी की स्वीकृति के लिए जरूरी निर्देश देने का आग्रह किया. बताया कि 2019 तक 38 लाख किसानों में से मात्र 13 लाख किसानों को ही केसीसी मिला था. राज्य सरकार के प्रयास से पिछले दो वर्षों में पांच लाख नये किसानों को केसीसी का लाभ प्राप्त हुआ है. अब तक 10 लाख से अधिक आवेदन विभिन्न बैंकों में लंबित हैं.
श्री सोरेन ने कहा कि राज्य में फसलों में विविधता लाने की दिशा में किसी विशेष कार्ययोजना पर काम नहीं किया गया है. राज्य सरकार की कोशिशों से धान अधिप्राप्ति को दो वर्षों के अल्पकाल में चार से आठ लाख टन तक पहुंचाया गया है. इस क्षेत्र में और आगे बढ़ने के लिए केंद्र सरकार और एफसीआइ से विशेष सहयोग की जरूरत है.
मुख्यमंत्री ने कहा िक राज्य में सिंचाई सुविधाओं का घोर अभाव है. केवल 20 प्रतिशत भूमि पर ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है. राज्य में पांच लाख हेक्टेयर खरीफ की भूमि अपलैंड की श्रेणी में आती है. झारखंड में दलहन एवं तिलहन के उत्पादन की असीम संभावना है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बागवानी के क्षेत्र में विस्तार के लिए राज्य में बिरसा हरित ग्राम योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है. इससे राज्य के गरीब किसान परिवारों को आजीविका का स्थायी अवसर मिल रहा है.
योजना के तहत अब तक लगभग 60,000 एकड़ टांड़ भूमि में आम की खेती व मिश्रित बागवानी की जा रही है. चालू वित्तीय वर्ष के दौरान 25,000 एकड़ में की जा रही बागवानी की प्रारंभिक गतिविधियों से किसानों को प्रति एकड़ प्रति वर्ष औसतन 25 से 30 हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी हो रही है.