Ranchi News : सीएमपीडीआइ होगी साइंस टेक्नोलॉजी की नोडल एजेंसी
कोयला सचिव की अध्यक्षता में बनी साइंटिफिक कमेटी
मनोज सिंह, रांची. कोयला मंत्रालय ने साइंस एंड टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए कोल इंडिया की कंपनी सीएमपीडीआइ को नोडल एजेंसी बनाया है. इसके लिए भारत सरकार ने एक 14 सदस्यीय स्टैंडिंग साइंटिफिक रिसर्च कमेटी (एसएसआरसी) और एक सब कमेटी बनायी है. यह कमेटी अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के मुद्दे पर सुझाव देगी. इस कमेटी के चेयरमैन कोयला मंत्रालय के सचिव बनाये गये हैं. सदस्य सचिव कोयला मंत्रालय के सलाहकार (प्रोजेक्ट) होंगे. कमेटी में मंत्रालय के वित्त सलाहकार, कोल इंडिया के चेयरमैन, सीएमपीडीआइ के सीएमडी, एनएलसीआइएल के सीएमडी, एससीसीएल के सीएमडी को सदस्य बनाया गया है. इसके अतिरिक्त डीजीएमएस के डीजी, नीति आयोग के सलाहकार (एनर्जी), टेरी नयी दिल्ली के निदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रतिनिधि, सिंफर के निदेशक भी सदस्य होंगे.
आइआइटी बीएचयू के खनन के हेड होंगे सब कमेटी के चेयरमैन
सब कमेटी अपने पास आने वाले स्टार्टअप प्रोजेक्ट का आकलन करेगी. कमेटी की अनुशंसा के बाद ही प्रोजेक्ट को स्वीकृति दी जायेगी. इस कमेटी में आइआइटी खड़गपुर के खनन विभागाध्यक्ष, आइएसएम के खनन विभागाध्यक्ष, कोयला मंत्रालय के सलाहकार (प्रोजेक्ट), कोल इंडिया के निदेशक तकनीकी, कोल इंडिया कंपनियों के दो-दो तकनीकी निदेशक (पीएंडपी), एनएलसीएल के निदेशक (पीएंडपी), एससीसीएल के निदेशक (पीएंडपी), सीएमपीडीआइ के निदेशक तकनीकी (आरडी एंड टी), विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग के प्रतिनिधि, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, डीजीएमएस के सदस्य तथा कोल इंडिया के सीजीएम भी सदस्य होंगे.सीएमपीडीआइ में स्थापित हुआ है एनसीसीइआर
भारत सरकार ने कोयला और लिग्नाइट क्षेत्र में अनुसंधान और विकास कार्यों को बढ़ावा देने के लिए नेशनल सेंटर फॉर कोल एंड एनर्जी रिसर्च (एनसीसीइआर) की स्थापना सीएमपीडीआइ में की है. यह कोयला क्षेत्र में अनुसंधान की संभावना पर काम करेगा. इसी केंद्र के माध्यम से अभी संस्थाएं काम करेंगी. सेंटर अभी कोयला मंत्रालय अनुसंधान की छोटी-छोटी अवधि (एक से तीन साल) के प्रोजेक्ट को सहयोग करेगा. इसके सफल प्रयोग का वाणिज्यिक उपयोग किया जायेगा.नौ फोकस एरिया पर होगा काम
कोयला मंत्रालय ने तय किया है कि अभी नौ फोकस एरिया पर काम होगा. इसमें उत्पादन, उत्पादकता, सुरक्षा और उत्खनन शामिल है. इसके अतिरिक्त पर्यावरण, इकोलॉजी, संरक्षण और स्थायित्व पर भी अनुसंधान किया जाना है. कोयला खनन के कचरा को संपत्ति बनाने पर भी अनुसंधान होगा. क्लीन कोल टेक्नोलॉजी, कोयला के अन्य उपयोग, गैर पारंपरिक ऊर्जा, 5-जी का उपयोग आदि मुद्दे पर भी काम किया जाना है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है