रांची : राज्य में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) के तहत जमीन विवाद के मामलों की सुनवाई अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण सह परिवहन मंत्री चंपई सोरेन करेंगे. मामलों की सुनवाई कर मंत्री जमीन वापसी का फैसला कर सकेंगे. उनके निर्णयों को कार्यपालक नियमावली के तहत राज्यपाल व मुख्यमंत्री के समक्ष पेश किया जायेगा. उनका निर्णय अंतिम होगा.
अनुमति के बाद विवादित जमीन आदिवासियों को वापस की जायेगी. भू-राजस्व विभाग ने मंत्री श्री सोरेन को सीएनटी एक्ट की धारा 49 (5) के तहत आदिवासियों की भूमि वापसी की सुनवाई व निष्पादन के लिए पीठासीन पदाधिकारी के रूप में प्राधिकृत किया है. इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया गया है.
सीएनटी एक्ट की धारा 49 (5) के तहत अनुसूचित जनजाति की भूमि की वापसी का प्रावधान सरकार द्वारा किये जाने का प्रावधान है. सीएनटी एक्ट लागू क्षेत्र में चैरिटेबल ट्रस्ट जैसे हाउसिंग सोसाइटी, अस्पताल या अन्य कार्यों के लिए उपायुक्त को जमीन के हस्तांतरण की शक्ति प्रदत्त है.
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सेक्शन 49 में आदिवासी जमीन हस्तांतरित करने के बाद भी गड़बड़ी पाये जाने पर जमीन वापसी का प्रावधान है. जमीन के इस्तेमाल का उद्देश्य बदल जाने पर भी भूमि वापसी की जा सकती है. जमीन हस्तांतरित करने के 12 साल या उससे अधिक समय गुजर जाने के बाद भी मामले की सुनवाई करके जमीन वापस लेने से संबंधित प्रावधान किया गया है.
झारखंड गठन के बाद सीएनटी एक्ट के तहत आदिवासी जमीन वापसी के मामलों की सुनवाई करनेवाले चंपई सोरेन दूसरे मंत्री होंगे. वर्ष 2001 में तत्कालीन भू-राजस्व मंत्री मधु सिंह ने भी आदिवासी जमीन वापसी के मामलों की सुनवाई शुरू की थी.
हालांकि, उनके द्वारा मामलों की सुनवाई शुरू करने के बाद काफी विवाद हो गया था. जिसके कारण उनको सुनवाई बंद करनी पड़ी थी. उसके बाद से आदिवासी जमीन वापसी के मामलों की सुनवाई के लिए किसी को प्राधिकृत नहीं किया गया था.
posted by : sameer oraon