कोल ब्लॉक नीलामी मामला : दो जुलाई को वामदलों का राज्यव्यापी विरोध

कॉमर्शियल माइनिंग के लिए कोल ब्लॉक की नीलामी के मुद्दे पर केंद्र सरकार के पूरी तरह बेनकाब हो जाने से भाजपा के नेता बौखला गये हैं. गलत बयानी कर सच्चाई पर पर्दा डालने का काम कर रहे हैं

By Prabhat Khabar News Desk | June 24, 2020 11:46 PM

रांची : कॉमर्शियल माइनिंग के लिए कोल ब्लॉक की नीलामी के मुद्दे पर केंद्र सरकार के पूरी तरह बेनकाब हो जाने से भाजपा के नेता बौखला गये हैं. गलत बयानी कर सच्चाई पर पर्दा डालने का काम कर रहे हैं. इस पर भाजपा गलत बयानी बंद करे. यह बातें सीपीआइ (एमएल) के जर्नादन प्रसाद और सीपीआइ (एम) के प्रकाश विप्लव ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में संयुक्त रूप से कही. उन्होंने कहा कि कॉमर्शियल माइनिंग के लिए चिन्हित कोल ब्लॉक की नीलामी में केंद्र सरकार पांच बार विफल रही है, क्योंकि कोई भी खरीदार सामने नहीं आया.

केंद्र सरकार इतनी उतावली है कि उसने खनिज विधि (संशोधन) अधिनियम 2020 जिसकी अवधि 14 मई को खत्म हो गयी, इसके बाद पहले 11 जून और बाद में 18 जून को नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी. देश के मुखिया ही इसकी मॉनिटरिंग कर रहे थे. केंद्र सरकार की इस जन विरोधी, मजदूर विरोधी और राष्ट्र विरोधी निर्णय के खिलाफ सबसे पहले देश के कोयला मजदूरों ने विरोध का बिगुल फूंका.

अब कोयला मजदूर पुन: कॉमर्शियल माइनिंग के फैसले के खिलाफ दो से चार जुलाई तक तीन दिवसीय हड़ताल पर जा रहे हैं. आगामी दो जुलाई को वामदलों का राज्यव्यापी विरोध दिवस से इसकी शुरुआत होगी.जंगल पूरी तरह से नष्ट हो जायेंगे : दोनों नेताओं ने कहा कि कॉमर्शियल माइनिंग के पीछे कॉरपोरेट घरानों को औने-पौने नीलामी मूल्य में हमारे राज्य की खनिज संपदा को सौंपने का एजेंडा शामिल है.

झारखंड में कोल ब्लॉक की नीलामी के लिए लातेहार, पाकुड़, दुमका और गिरिडीह जिले में जिन स्थानों को चिन्हित किया गया है, वहां वनों का घनत्व अधिक है. निजी कंपनियों द्वारा असंवैधानिक तरीकों से खनन किये जाने के चलते यह इलाका तबाह हो जायेगा. जंगल पूरी तरह से नष्ट हो जायेंगे. मौके पर सीपीआइ के अजय सिंह एवं मासस के सुशांत मुखर्जी उपस्थित थे.

posted by : Pritish Sahay

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