Coal India : पहली बार राज्य को कोल इंडिया ने जमीन के एवज में 250 करोड़ रुपये दिये

कोल इंडिया द्वारा कोयल खनन के लिए अधिग्रहित की गयी जमीन के एवज में पहली बार राज्य सरकार को 250 करोड़ रुपये दिये गये हैं. राज्य सरकार ने इसके लिए आठ हजार करोड़ रुपये की मांग की थी.

By Prabhat Khabar News Desk | July 31, 2020 2:02 AM

रांची : कोल इंडिया द्वारा कोयल खनन के लिए अधिग्रहित की गयी जमीन के एवज में पहली बार राज्य सरकार को 250 करोड़ रुपये दिये गये हैं. राज्य सरकार ने इसके लिए आठ हजार करोड़ रुपये की मांग की थी. केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने गुरुवार को राशि का चेक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सौंपा. उनके साथ केंद्रीय जनजातीय कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा भी थे.

केंद्रीय मंत्री ने कॉमर्शियल माइनिंग अॉक्शन को लेकर राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किये जाने पर पुनर्विचार का आग्रह किया. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा : पूर्व में यदि इसी तरह की वार्ता होती, तो आज राज्य सरकार का अलग स्टैंड होता. यहां लोगों के अधिकार और राज्य के हित में क्या हो सकता है, इस पर अधिकारियों के साथ मंथन करके विधिसम्मत फैसला लिया जायेगा. गुरुवार को प्रोजेक्ट भवन में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कोयला खनन से संबंधित बैठक हुई. बैठक में दोनों केंद्रीय मंत्रियों के अलावा कोयला मंत्रालय के सचिव, कोल इंडिया के अधिकारी, मुख्य सचिव झारखंड सुखदेव सिंह, सीएम के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, खान सचिव, राजस्व सचिव व अन्य पदाधिकारी उपस्थिति थे.

सत्यापन के बाद होगा शेष राशि का भुगतान : बैठक में राज्य सरकार द्वारा एक अप्रैल 2009 से 31 मार्च 2020 तक की अवधि में कोल इंडिया द्वारा अधिग्रहित की गयी 14296 एकड़ सरकारी भूमि के एवज में 5439 करोड़ तथा 5298 एकड़ जंगल-झाड़ भूमि के लिए 2787 करोड़ रुपये की मांग की. बैठक के दौरान ही 19 वर्ष पुराने इस मुद्दे का समाधान निकला और राशि को सरकार को मिली. कहा गया कि सत्यापन के बाद शेष राशि का भुगतान किया जायेगा. वहीं उक्त अवधि में अधिग्रहित की गयी सराकरी भूमि के एवज में कोल इंडिया द्वारा भुगतान की जानेवाली राशि से संबंधित मांग भी शीघ्र भेजने का निर्णय लिया गया.

बैठक में विस्थापितों का भी उठा मुद्दा : बैठक में विस्थापितों का मुद्दा भी उठाया गया. कहा गया कि कोल इंडिया विस्थापितों को उसी जगह बसा देती हैं, जहां पहले से ही कोयला है, फिर दोबारा उन्हें वहां से हटाया जाता है. सीबीए के अंतर्गत अर्जित होनेवाली भूमि के लिए रैयतों को समुचित मुआवजा एवं पुनर्वास की व्यवस्था करने की मांग रखी गयी. सीएम ने वास्ड कोल की बिक्री दर के अाधार पर रॉयल्टी भुगतान और बंद पड़े खदानों को समतल कर वहां वृक्षारोपण करने की मांग भी रखी.

कॉमर्शियल माइनिंग पर विधि सम्मत निर्णय लिया जायेगा : कॉमर्शियल माइनिंग अॉक्शन के खिलाफ राज्य सरकार के सुप्रीम कोर्ट में जाने के सवाल पर सीएम ने कहा कि हमने मंत्री को बताया कि हमारे जाने की मजबूरी थी. मंत्री ने भी माना कि संवाद में कमी रह गयी थी, जिसके वजह से ये स्थिति उत्पन्न हुई है. मंत्री ने कोल अॉक्शन के विषय पर विचार करने का आग्रह किया है. हमने कहा है कि खनिज संपदा को पूर्व में राज्य के अभिशाप के रूप में देखा जाता था. हमारी सरकार इसे वरदान के रूप में बदलना चाहती है.

रेलवे से कोयला जाने पर रॉयल्टी नहीं : सीएम ने कहा कि रेलवे से कोयला जाने पर सरकार को रॉयल्टी नहीं मिलती. पता ही नहीं चलता कितना कोयला गया है. हमने राज्य सरकार के डिजिटल पोर्टल और रेलवे पोर्टल को जोड़ने की मांग रखी है ताकि सही तरीके से रॉयल्टी मिल सके. अब कोल इंडिया की हर गतिविधि पर हमारी नजर रहेगी. राज्य का हक है, जिसे सरकार हर हाल में ले कर रहेगी.

  • सीएम हेमंत सोरेन के साथ केंद्रीय कोयला मंत्री और केंद्रीय जनजातीय कल्याण मंत्री ने की बैठक

  • सीएम ने कहा : कॉमर्शियल माइनिंग ऑक्शन पर राज्य के हित में विधिसम्मत निर्णय लिया जायेगा

Post by : Pritish Sahay

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