रांची : झारखंड में कोयला चोरी और तस्करी का खेल काफी पुराना है. इसमें पुलिस और कोयला माफिया की मिलीभगत की बात भी उतनी ही पुरानी है. झारखंड के पुलिस महानिदेशक ने कोयला माफिया और पुलिस वालों के बीच बने नेक्सस को तोड़ने के लिए कोयला चोरी का मामला सीआइडी को सौंप दिया है.
दरअसल, कोयला चोरी को लेकर लातेहार के बालूमाथ थाना में केस दर्ज किया गया था. इस मामले में एसपी प्रशांत आनंद ने डीजीपी सहित अन्य अफसरों को जांच रिपोर्ट भेजी है. रिपोर्ट में लिखा है कि केस में गिरफ्तार व्यक्तियों के बैंक खाते से जानकारी मिली है कि नियमित रूप से कोयला माफियाओं के खाते से करोड़ों रुपये के लेन-देन हुए हैं.
पुलिस संबंधित खाते का सत्यापन नहीं कर सकी थी. यही वजह है कि अब यह मामला सीआइडी को ट्रांसफर हो गया है. मामले में पुलिस के कुछ अफसरों द्वारा भी बड़ी रकम माफियाओं से लेने की बात सामने आयी थी. इसलिए सीआइडी अब यह पता लगायेगी कि किस-किस अफसर ने कितनी रकम ली थी.
एसपी की रिपोर्ट के अनुसार, बालूमाथ थाना अंतर्गत ओसीपी माइनिंग एरिया में कोयला का अवैध कारोबार किया जा रहा था, जिसे लेकर प्रोजेक्ट इंचार्ज अशोक कुमार की शिकायत पर कामेश्वर कुमार दास, ट्रक के मालिक चेतलाल सहित अन्य ट्रक मालिकाें व उसके चालकों के खिलाफ बालूमाथ थाना में छह जून को केस दर्ज किया गया था.
आरोपियों के मोबाइल को देखने से भी स्पष्ट होता है पुलिसकर्मियों एवं कोयला माफियाओं के बीच कारोबार से संबंधित मैसेज का आदान-प्रदान होता था. अवैध कोयला परिवहन के लिए डालटनगंज का संतोष मिश्रा, जिसका ऑफिस अरगोड़ा में है, वह कोयला परिवहन से संबंधित फर्जी पेपर माफियाओं को उपलब्ध कराते था. इसकी पुष्टि उसने पूछताछ में भी हुई है.
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इस काम के लिए उसे पैसे मिलते थे. उसका संपर्क रामगढ़ के कुजू निवासी अमित केसरी, जो साइबर कैफे चलाता है, उससे था. उसके सहयोग से संतोष मिश्रा फर्जी कागजात बनवाता था और व्हाट्सएप्प पर मंगाता था. पुलिस की टीम कुजू स्थित अमित केसरी के ऑफिस में भी छापेमारी कर चुकी है. उसने पूछताछ में बताया था कि वह कोयला ऑफिस जाने पर कंप्यूटर से फर्जी पेपर तैयार करता था.
Posted By : Mithilesh Jha