Coal mines auction : नई दिल्ली/ रांची : सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने वाणिज्यिक खनन (Commercial mining) के लिए कोयला खदानों की नीलामी के सरकार के फैसले के खिलाफ झारखंड सरकार की याचिका पर मंगलवार (14 जुलाई, 2020) को केंद्र से जवाब मांगा. प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने झारखंड सरकार की याचिका और अलग से दायर वाद पर जवाब देने के लिए केंद्र को चार सप्ताह का वक्त दिया है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोल ब्लॉक की नीलामी के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति देने पर धन्यवाद दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पर्यावरण, वनों और वन में निवास करने वाले समुदायों को सुरक्षित करने के लिए सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है.
आपको बता दें कि कोयला ब्लॉक नीलामी के खिलाफ झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए सहमति दे दी है. न्यायालय ने केंद्र को वाणिज्यिक खनन के लिए कोयला ब्लॉक नीलामी के खिलाफ झारखंड सरकार की याचिका पर चार सप्ताह यानी एक महीने के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. इन याचिकाओं में राज्य सरकार ने कोयला खदानों को नीलाम करने के केंद्र के निर्णय पर सवाल उठाये हैं. राज्य सरकार ने कहा है कि केंद्र ने उससे परामर्श के बगैर ही इस तरह की एकतरफा घोषणा की है.
पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एफएस नरीमन और अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि वह इस मामले में नोटिस जारी कर रही है और इस पर रोक लगाने के बारे में सुनवाई करेगी.
पीठ ने कहा कि इस मामले को जल्द सूचीबद्ध किया जा रहा है. वरिष्ठ अधिवक्ता श्री नरीमन ने पीठ से कहा कि यदि इस मामले को सुनवाई के लिए 18 अगस्त से पहले सूचीबद्ध किया जायेगा, तो बेहतर होगा, क्योंकि तब तक नीलामी हो जायेगी.
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि इसमें कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि यह तारीख आगे बढ़ायी जा सकती है. उन्होंने कहा कि अटार्नी जनरल इस पर गौर करेंगे. शीर्ष अदालत ने 6 जुलाई को कहा था कि वह 41 कोयला खदानों की वाणिज्यिक खनन के लिए नीलामी के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका और राज्य सरकार द्वारा दायर वाद पर एक साथ सुनवाई करेगा.
झारखंड सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के खिलाफ वाद दायर किया है. राज्य सरकार ने अपने वाद में दावा किया है कि केंद्र का कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) के दौरान कोयला खदानों की नीलामी का निर्णय बहुत अनुचित है, क्योंकि यह समय इस संक्रमण से पीड़ित जनता की परेशानियों को कम करने का है.
वाद में यह भी दावा किया गया है कि झारखंड की सीमा में स्थित 9 कोयला खदानों की वाणिज्यिक नीलामी करने के लिए केंद्र के मनमाने, निरंकुश, एकतरफा और गैरकानूनी कार्रवाई के खिलाफ दायर किया गया है. वाद में कहा गया है कि ये कोयला खदान उसके क्षेत्र में स्थित हैं और इन पर उसका स्वामित्व है.
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वाद के अनुसार, इस संबंध में फरवरी, 2020 में हुई बैठकें निरर्थक हो चुकी हैं, क्योंकि अब कोविड-19 महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों को ध्यान में नहीं रखा गया है. राज्य सरकार का कहना है कि इसके लिए अब नये सिरे से परामर्श की आवश्यकता है.
झारखंड सरकार ने अपने वाद में संविधान की पांचवीं अनुसूची का भी हवाला दिया है, जो आदिवासी इलाकों और आदिवासियों के बारे में है. राज्य सरकार ने कहा है कि झारखंड में 9 कोयला खदानों में से 6- छकला, छितरपुर, उत्तरी धाडू, राजहरा उत्तर, सेरगढ़ और उर्मा पहाड़ीटोला पांचवीं अनुसूची में शामिल इलाकों में स्थित हैं.
वाद के अनुसार, झारखंड की 3,29, 88,134 आबादी में से 1,60,10,448 लोग आदिवासी इलाकों में रहते हैं. राज्य सरकार का यह भी दावा है कि केंद्र सरकार की कार्रवाई से पर्यावरण मानकों का उल्लंघन होता है और कोयला खदानों की नीलामी से पर्यावरण, वन और भूमि को काफी नुकसान पहुंचेगा.
Posted By : Samir ranjan.