निजी कंपनियों को दी जा सकेगी कोल माइंस की जमीन

कोल बियरिंग एरिया (एक्विजिशन एंड डेवलपमेंट) अमेंडमेंट एक्ट-1857 में संशोधन विधेयक का प्रस्ताव तैयार किया गया है. इस पर भारत सरकार के कोयला मंत्रालय ने आपत्ति मांगी है. लोगों से इस पर अपनी आपत्ति दर्ज कराने को कहा है. आपत्ति दर्ज होने के बाद इसको कानून में शामिल किया जायेगा.

By Prabhat Khabar News Desk | November 28, 2024 12:23 AM

मनोज सिंह(रांची). कोल बियरिंग एरिया (एक्विजिशन एंड डेवलपमेंट) अमेंडमेंट एक्ट-1857 में संशोधन विधेयक का प्रस्ताव तैयार किया गया है. इस पर भारत सरकार के कोयला मंत्रालय ने आपत्ति मांगी है. लोगों से इस पर अपनी आपत्ति दर्ज कराने को कहा है. आपत्ति दर्ज होने के बाद इसको कानून में शामिल किया जायेगा. विधेयक पर प्रतिक्रिया ई-मेल द्वारा 27 दिसंबर 2024 तक भेजी जा सकती है. इसमें कई संशोधन किये गये हैं. विधेयक में प्रस्ताव है कि कोयला खदानों के लिए अधिग्रहित की गयी भूमि को सरकारी कंपनी या केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार भूमि पर अधिकार सहित आवंटित या पट्टे पर भी दिया जा सकता है. यानी सरकारी कंपनियों के लिए अधिग्रहित भूमि को निजी संस्थाओं को आधारभूत परियोजनाओं के लिए दिया जा सकेगा. सरकारी कंपनी द्वारा अधिग्रहण की गयी भूमि के पट्टे की अवधि खदान के संपूर्ण जीवनकाल के लिए होगी. पहले यह पट्टा निश्चित समयावधि के लिए होता था. खनन पट्टा की अवधि खान का संपूर्ण जीवनकाल होने के कारण सरकारी कंपनियों को कोयला खनिज के खनन पट्टा की स्वीकृति व अवधि विस्तार से जो अतिरिक्त राशि राज्य सरकार को मिलती थी, वह अब नहीं मिल पायेगी.

मुआवजा भुगतान को लेकर भी विधेयक में किया गया है संशोधन

मुआवजा भुगतान को लेकर भी विधेयक में संशोधन किया गया है. इसमें किसी प्रकार की आपत्ति अथवा विवाद की स्थिति में न्यायाधिकरण के पास मुआवजा जमा करा दिया जायेगा. जमा राशि पर एक निश्चित ब्याज भी जमा होता रहेगा. जब विस्थापित को पैसा दिया जायेगा, तो वह ब्याज सहित पैसा प्राप्त करेगा.

भूमि का उपयोग नहीं होने पर वापसी का भी होगा प्रावधान

विधेयक की धारा-29 के तहत खदान बंद होने के बाद पुनः उपयोग के प्रावधान को शामिल किया गया है. इसके तहत खनन के लिए अव्यवहार्य भूमि के उपयोग के लिए भूमि का हस्तांतरण, वापसी की बात कही गयी है. अगर केंद्र सरकार को ऐसा प्रतीत होता है कि इस अधिनियम के तहत अधिग्रहित किसी भी भूमि की अब आवश्यकता नहीं है, वह ऐसी भूमि को विभिन्न उपयोगों के लिए हस्तांतरित या वापस भी कर सकती है. यह आंशिक या पूर्ण रूप से भी हो सकता है. ऐसी भूमि की अधिसूचना प्रकाशित की जायेगी.

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