झारखंड में फिर मंडराने लगा कोयला संकट का खतरा, DVC और TVNL के पास बचा है सिर्फ इतने दिनों का स्टॉक
अभी झारखंड के कई इलाकों में लगातार बारिश हो रही है. इसी वजह से राज्य के की पावर प्लांट में कोयले की कमी हो गयी है, डीवीसी के प्लांटों में तीन से चार दिन का ही स्टॉक बचा है तो वहीं टीवीएनएल में केवल 2 से 3 दिनों का ही केवल स्टॉक बाकी है.
रांची : झारखंड के पावर प्लांटों में तीन दिनों की बारिश के बाद फिर से कोयला संकट का खतरा हो गया है. किसी भी पावर प्लांट में कोयला का पर्याप्त स्टॉक नहीं है. किसी भी प्लांट में कोयला स्टॉक का लेवल न्यूनतम 25 दिनों का होता है, जबकि झारखंड के डीवीसी के प्लांटों में तीन से चार दिन का ही स्टॉक बचा है.
टीवीएनएल में भी दो से तीन दिन का ही स्टॉक है. जिस कारण टीवीएनएल की एक ही यूनिट चालू है. टीवीएनएल एमडी अनिल शर्मा ने बताया कि कोयले की आपूर्ति नहीं हुई तो चालू यूनिट को भी बंद करना पड़ सकता है.
प्लांटों में विद्युत उत्पादन घटा : राज्य के सभी प्लांटों में विद्युत उत्पादन भी घट गया है. बिजली कंपनियां सीसीएल और बीसीसीएल से लगातार गुहार लगा रही हैं. इधर झारखंड बिजली वितरण निगम ने बताया कि एनटीपीसी के बाढ़ और फरक्का में भी कोयले की कमी से उत्पादन कम हो रहा है. झारखंड को 700 मेगावाट की जगह केवल 400 मेगावाट बिजली एनटीपीसी से मिल रही है. फिलहाल झारखंड के ग्रामीण इलाकों में ही शेडिंग चल रही है.
डीवीसी के प्लांट क्षमता का 75 % ही कर रहे उत्पादन
डीवीसी के अधिकारियों ने बताया कि झारखंड में डीवीसी के तीन थर्मल पावर प्लांट हैं. यहां बारिश में फिर कोयला आपूर्ति घटा दी गयी. ऐसे में सभी प्लांट अपनी क्षमता का 75 प्रतिशत ही उत्पादन कर रहे हैं. स्टॉक लेवल भी कम है. डीवीसी अधिकारी ने बताया कि डीवीसी के केटीपीएस की क्षमता 1000 मेगावाट की है. यहां रोज 11 हजार मीट्रिक टन कोयले की जरूरत पड़ती है, जबकि छह से सात हजार मीट्रिक टन ही मिल रहा है. यहां 500 से 600 मेगावाट बिजली का ही उत्पादन हो पा रहा है.
इसी तरह चंद्रपुरा थर्मल पावर प्लांट (सीटीपीएस) की क्षमता 500 मेगावाट की है. यहां रोज छह हजार मीट्रिक टन कोयले की जरूरत है, जबकि केवल दो से तीन हजार मीट्रिक टन की ही आपूर्ति हो रही है. उत्पादन 400 मेगावाट के करीब हो रहा है. बोकारो थर्मल पावर प्लांट (बीटीपीएस) की क्षमता 500 मेगावाट की है. यहां भी कोयले की आपूर्ति कम हो रही है . जिससे बिजली का उत्पादन प्रभावित हो रहा है. फिलहाल झारखंड को 600 मेगावाट की जगह 500 मेगावाट बिजली दी जा रही है. इधर निजी कंपनी आधुनिक पावर प्लांट में भी मांग के अनुरूप कोयले की आपूर्ति नहीं हो रही है.यहां भी पांच से 10 दिनों का ही स्टॉक बचा हुआ है. हालांकि उत्पादन पूरी क्षमता के साथ हो रहा है.
Posted by : Sameer Oraon