रांची. सीबीआइ की दिल्ली स्थित विशेष अदालत ने कोयला घोटाले में अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड व कंपनी के प्रबंध निदेशक मनोज कुमार जायसवाल और रमेश जायसवाल को दोषी करार दिया है. कंपनी और उसके निदेशकों को फर्जी दस्तावेज के आधार पर झारखंड में कोल ब्लॉक आवंटित कराने के मामले में दोषी करार दिया गया है. सजा के बिंदु पर बाद में सुनवाई होगी.
26 जनवरी 2016 को कंपनी और उसके पदाधिकारियों पर दर्ज की गयी थी प्राथमिकी
सीबीआइ ने 26 जनवरी 2016 को कोयला घोटाले के आरोप में कंपनी और उसके पदाधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. जांच के बाद सीबीआइ ने इस मामले में 29 अक्तूबर 2020 को आरोप पत्र दायर किया. सीबीआइ ने संबंधित कंपनी व उसके पदाधिकारियों पर फर्जी दस्तावेज के सहारे कोल ब्लॉक आवंटित कराने में सफल होने का आरोप लगाया था. जांच के दौरान पाया गया कि कंपनी ने हजारीबाग में जमीन खरीद के फर्जी दस्तावेज, मशीन आदि की आपूर्ति आदेश के फर्जी दस्तावेज के अलावा वित्तीय मामलों में बैंक की सहमति से संबंधित दस्तावेज के सहारे कोल ब्लॉक आवंटन के लिए आवेदन दिया था. इन्हीं फर्जी दस्तावेज के सहारे कंपनी ने झारखंड में वृंदा-सिसई-मेराल कोल ब्लॉक आवंटित कराने में सफलता पायी थी और सरकार को नुकसान पहुंचाया. सीबीआ द्वारा दायर आरोप पत्र पर दिल्ली स्थित सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सीबीआइ की ओर से 38 गवाह और 74 दस्तावेज पेश किये गये. मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद न्यायालय ने नौ दिसंबर 2024 को कंपनी और उसके पदाधिकारियों को आइपीसी की धारा-420, 120बी और 471 के तहत दोषी करार दिया.
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