झारखंड से रोज निकल रहा है 530 ट्रक अवैध कोयला, जब्ती सिर्फ 5.25 करोड़ की, आंकड़ों से समझे पूरा गणित
कोयला की चोरी सीसीएल, बीसीसीएल, इसीएल की बंद पड़ी खदान, अवैध उत्खनन और फॉरेस्ट लैंड से की जाती है. हालांकि इस दौरान पुलिस ने भी कार्रवाई की है. एक अनुमान के मुताबकि राज्य में रोजाना 530 ट्रक कोयले की चोरी हो रही है.
रांची, अमन तिवारी : झारखंड में धनबाद, गिरिडीह, बोकारो, रामगढ़, हजारीबाग, चतरा और लातेहार में जमकर कोयले की तस्करी हो रही है. अवैध कोयला को स्थानीय प्लांट में भेजने से लेकर कोक भट्ठा, ईंट भट्ठा और जीटी रोड के रास्ते बनारस, पश्चिम बंगाल और बिहार में खपाया जा रहा है. स्थानीय प्लांट, कोक भट्ठा या ईंट भट्ठा की अपेक्षा राज्य से बाहर भेजने में कोयला तस्करों के सिंडिकेट को सबसे ज्यादा मुनाफा होता है.
उक्त क्षेत्रों में कोयला की चोरी सीसीएल, बीसीसीएल, इसीएल की बंद पड़ी खदान, अवैध उत्खनन और फॉरेस्ट लैंड से की जाती है. हालांकि इस दौरान पुलिस ने भी कार्रवाई की है. पर जब्ती सिर्फ 5.25 करोड़ की है. वैसे कोयला चोरी रोकने की प्रारंभिक जिम्मेवारी कोयला कंपनियों की है.
एक अनुमान के मुताबकि राज्य में रोजाना 530 ट्रक कोयले की चोरी हो रही है. एक ट्रक में करीब 20 टन कोयला लोड होता है. एक टन कोयले की कीमत बाजार में कोयला के ग्रेड के अनुसार 6,000 से लेकर करीब 11 हजार रुपये तक है. न्यूनतम सात हजार प्रति टन भी मान लें, तो इस हिसाब से प्रति ट्रक कोयला का बाजार मूल्य करीब 1.40 लाख होता है. इस तरह 530 ट्रक के हिसाब से रोजाना 7,42,00,000 रुपये कीमत की कोयला चोरी हो रही है.
और वर्ष 2022 में 823 छापेमारी :
कोयले का अवैध कारोबार महीने में 20 दिन से अधिक नहीं चलता. इस तरह एक माह में 1,48,40,00,000 रुपये कीमत की कोयला चोरी होती है. हालांकि, पुलिस और प्रशासन ने मिल कर वर्ष 2022 में 823 छापेमारी की थी, जिसमें महज 5,25,14,000 रुपये का कोयला ही बरामद किया जा सका है. झारखंड पुलिस की ओर से 2020 से लेकर अगस्त 2022 तक राज्य में अवैध कोयला के खिलाफ छापेमारी और कार्रवाई को लेकर तैयार ब्योरा के अनुसार 2022 में छापेमारी के दौरान कुल 7,502 टन कोयला बरामद किया गया था.
इस तरह सात हजार प्रति टन के हिसाब से बरामद कोयले का अनुमानित बाजार मूल्य करीब 5,25,14,000 हुआ. इसी तरह वर्ष 2020 में 17,667 टन कोयला जब्त किया गया था, जबकि वर्ष 2021 में कोयले की बरामदगी में कमी आयी थी.
आंकड़ों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि जिस तरह से पुलिस ने वर्ष 2020 में कार्रवाई थी, उस तरह की कार्रवाई 2022 में नहीं हुई, जिसकी वजह से कोयले का अवैध कारोबार होता रहा. रांची जिला के खलारी और बुढ़मू इलाके से कोयले का अवैध कारोबार हुआ, लेकिन कोयला तस्करी में शामिल होने के आरोप में किसी के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हुई. यानी पुलिस और प्रशासन ने छापेमारी सिर्फ खानापूर्ति के लिए की.
वर्ष छापेमारी दर्ज केस गिरफ्तारी बरामदगी
2022 1021 823 862 7,502 टन
2021 1168 697 870 4,623 टन
2020 832 716 1255 17,667 टन