Coal Workers News: रांची, मनोज सिंह-रामगढ़ जिले की कोयला कंपनियों वाले इलाकों में रहने वाले लोग खाना बनाने के लिए आज भी कोयले का ही प्रयोग करते हैं. खदान क्षेत्र के पांच किमी दायरे में रहनेवाले 10 से नौ लोग खाना बनाने के लिए कोयला का प्रयोग करते हैं, जबकि कोल इंडिया हर माह एक-एक सिलेंडर का पैसा कर्मियों के खाते में देती है. यहां रहने वाले कोयला कर्मियों की वार्षिक आय करीब 15 लाख रुपये के आसपास है. वहीं, बोकारो जिले में यह निर्भरता कम है. यहां खदान के पांच किलोमीटर के क्षेत्र में रहने वाले 10 में से पांच लोग खाना बनाने के लिए कोयले का प्रयोग करते हैं. अमेरिकी संस्था स्वनीति इनिशिएटिव ने बोकारो और रामगढ़ जिले में कोयले पर निर्भरता का जमीनी स्तर पर अध्ययन कराया है.
झारखंड की जीडीपी में करीब 3.4 फीसदी का योगदान
रामगढ़ जिले का झारखंड की जीडीपी में करीब 3.4 फीसदी का योगदान है. यहां करीब 102 बिलियन का कारोबार है. करीब 15 कोल माइंस संचालित हैं. करीब 11.23 मिलियन कोयले का उत्पादन इस जिले में होता है. एनटीपीसी का एक पावर प्लांट भी पतरातू में है. इससे चार गिगावाट बिजली उत्पादन संभावित है.
जिले को लोगों की औसत आय 1.40 लाख
संस्था ने इस जिले में रहने वाले लोगों के घरों का भी सर्वे कराया है. इसमें पाया है कि इस जिले में रहने वाले लोगों की औसत आय करीब 139655 रुपये के आसपास है. इस जिले में खदान के आसपास रहने वाले लोगों की कमाई अन्य इलाकों में रहने वाले लोगों से अधिक है. यहां खदान के पांच किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों की वार्षिक आय करीब 1.42 लाख रुपये के आसपास है. पांच से 10 किलोमीटर के दायरे के बीच में रहने वाले लोगों की वार्षिक आय करीब 1.44 लाख रुपये है. खदान से 10 किलोमीटर दूर रहने वाले लोगों की कमाई 1.09 लाख रुपये के आसपास है.
कोयला कर्मियों की कमाई करीब 15 लाख प्रति वर्ष
संस्था ने अध्ययन में पाया है कि रामगढ़ जिले के सीसीएल कर्मी औसतन सलाना 15 लाख रुपये के आसपास कमाते हैं. यहां कोयला कंपनियों से करीब 1666 करोड़ रुपये वेतन और भत्ता के रूप में आता है. करीब 10968 कर्मी रामगढ़ के अलग-अलग इलाके में काम करते हैं.
कोयले पर निर्भरता का अध्ययन किया
संस्था के निदेशक संदीप पई बताते हैं कि पूरे देश में कोयले पर निर्भरता कम करने की बात हो रही है. ऐसे में झारखंड के कई जिले काफी महत्वपूर्ण हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए यहां की आर्थिक, सामाजिक, औद्योगिक स्थिति का अध्ययन कराया गया है. इस अध्ययन से कार्बन उत्सर्जन कम करने के प्रयास पर काम करने में मदद हो सकती है. यहां की आर्थिक, सामाजिक और औद्योगिक स्थिति पूर्व की तरह बनी रहे, इस पर काम हो सकता है.
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