तीन दिन ठप रहेगा कोयले का उत्पादन, रांची में श्रमिक यूनियनों ने किया हड़ताल का ऐलान
कोयला श्रमिक यूनियनों ने तीन दिन तक कोयला उद्योग में हड़ताल का ऐलान कर दिया है. साथ ही ऑफिसर्स एसोसिएशन की ओर से कोर्ट में याचिका दाखिल करने की निंदा भी की गई है. श्रमिक यूनियनों ने कहा है कि यह पहला मौका है कि अधिकारियों के इस कदम से श्रमिकों और अफसरों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों में खटास आई है.
कोयला यूनियनों ने कोयला उद्योग में 5 से 7 अक्टूबर तक हड़ताल करने का ऐलान कर दिया है. झारखंड की राजधानी रांची में पांच श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक में यह फैसला किया गया. 14 सितंबर को रांची के सीसीएल दरभंगा हाउस में कोयला उद्योग में काम करने वाले सभी फेडरेशंस के प्रतिनिधियों की बैठक हुई. इसमें कोल इंडिया के ऑफिसर्स एसोसिएशन के सदस्यों की ओर से 11वें वेतन समझौते के खिलाफ की गई कार्रवाई की वजह से कोयला उद्योग में उत्पन्न परिस्थितियों पर विचार करने के बाद हड़ताल करने का निर्णय लिया गया.
ऑफिसर्स एसोसिएशन और श्रमिकों के संबंधों में आई खटास
पांचों श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने अधिकारियों की ओर से की गई कार्रवाई की निंदा की. श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि ऑफिसर्स एसोसिएशन की वजह से कोयला उद्योग में श्रमिकों और अधिकारियों के सौहार्दपूर्ण संबंध में खटास आ गई है. प्रतिनिधियों ने कहा कि अगर 10 साल में भारत सरकार का कोल इंडिया प्रबंधन ने अधिकारियों के वेतन, सुविधाओं एवं भत्तों में किसी प्रकार की वृद्धि की, तो सभी श्रमिक संगठन इसका विरोध करेंगे.
अफसरों के साथ किसी बैठक में शामिल नहीं होंगे श्रमिक संगठन
श्रमिक संगठनों ने कहा कि इसके बावजूद अगर प्रबंधन अफसरों के लिए वेतन एवं भत्तों में वृद्धि करता है, तो उसे श्रमिकों पर भी लागू करना होगा. इतना ही नहीं, कोयला श्रमिक संगठनों ने कहा कि अब कोल इंडिया के किसी भी फोरम पर होने वाले किसी भी कार्यक्रम में अधिकारियों के साथ श्रमिक संगठन के प्रतिनिधि शामिल नहीं होंगे. बैठक के बाद तय किया गया कि 5, 6 और 7 अक्टूबर 2023 को कोयला उद्योग में तीन दिन तक हड़ताल की जाएगी.
21, 22 सितंबर और 3 अक्टूबर को प्रदर्शन करेंगे श्रमिक
सभी फेडरेशंस ने कोयला मजदूरों का आह्वान किया कि हड़ताल को सफल बनाने के लिए सभी कंपनियों/क्षेत्रों और कोलियरियों में एकजुट होकर हड़ताल की तैयारी शुरू कर दें. इस सिलसिले में 21 एवं 22 सितंबर को इकाई स्तर पर और 3 अक्टूबर को एरिया के स्तर पर संयुक्त रूप से प्रदर्शन करें.
बैठक में ये लोग थे शामिल
बैठक में भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के प्रभारी लक्ष्मा रेड्डी, बीएमएस के एबीकेएमएस के उपाध्यक्ष मजरुल हक अंसारी, इंटक के वरीय उपाध्यक्ष फेडरेशन एके झा, एचकेएमएफएफ के अध्यक्ष नाथूलाल पांडेय, एचएमएस के आरबी राघवन, आईएमडब्ल्यूएफ (एटक) के रमेंद्र कुमार, आईएमडब्ल्यू (एटक) के उपाध्यक्ष अशोक यादव, एआईसीडब्ल्यूएफ (सिटू) के महामंत्री डीडी रामानंदन और एआईसीडब्ल्यूएफ (सिटू) के उपाध्यक्ष आरपी सिंह शामिल थे.
जबलपुर हाईकोर्ट ने वेतन समझौते पर लगाई है रोक
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश की जबलपुर हाईकोर्ट ने कोल इंडिया के कर्मियों के लिए हुए नए वेतन समझौते (एनसीडब्ल्यूए-11) के संदर्भ में 22 जून 2023 के आदेश को रद्द कर दिया. डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेज (डीपीई) की याचिका पर सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि 60 दिन के अंदर सभी पक्षों को सुनने के बाद इस पर इसे लागू करने पर कोई अंतिम निर्णय लिया जाए. साथ ही यह भी कहा था कि अगर कोयला मंत्रालय को लगता है कि इसमें कोई विसंगति नहीं हुई है, तो वेतन समझौते से संबंधित आदेश वह जारी कर सकता है.
क्यों हुआ विवाद
डीपीई ने वेतन समझौते का इस आधार पर विरोध किया था कि इस मसझौते के बाद ए-1 ग्रेड के कर्मचारियों का वेतन ई-2 रैंक के अफसरों से अधिक हो गया है. अधिकारियों ने 29 अगस्त को याचिका दायर में कहा कि यह कैबिनेट की ओर से पारित डीपीई की गाइडलाइन का उल्लंघन है. यह अधिकारियों के मौलिक अधिकार का हनन है. भारत सरकार की कैबिनेट ने पूर्व में तय किया था कि अधिकारियों का वेतन कर्मचारियों से कम नहीं होगा.
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