Loading election data...

झारखंड में मोटे अनाज की खेती को मिलेगा बढ़ावा, जानें राज्य में कितनी है संभावना

झारखंड में मोटे अनाज को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया है. पहले बाजार नहीं होने के कारण इसको बढ़ावा नहीं मिल सका. लेकिन, अब मोटे अनाज को बाजार की दिक्कत नहीं है. यह पूरी तरह आर्गेनिक फसल है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 26, 2023 7:45 PM
an image

Jharkhand News: कृषि विभाग ने भारत सरकार के आदेश के आलोक में मोटे अनाज (मिलेट्स) को भी बढ़ावा देने का निर्णय लिया है. झारखंड में मोटे अनाज को बढ़ावा देने को लेकर कोई विशेष स्कीम नहीं है. अब विभाग ने 10 करोड़ रुपये की योजना बनायी है. इसमें आनेवाले सालों में झारखंड के विभिन्न जिलों में मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना तैयार की गयी है. कृषि विभाग की इकाई समेति ने योजना तैयार की है. राज्य में मोटे अनाज को बढ़ावा देने की पूरी संभावना है. यहां पहले कई प्रकार के मोटे अनाज होते थे.

अतिथियों को मोटे अनाज का उत्पाद ही परोसता है कृषि विभाग

कृषि विभाग पिछले दो साल से अपने बड़े कार्यक्रम में मोटे अनाज के उत्पाद ही अतिथियों को परोसता है. कृषि विभाग की कार्यशाला में मड़ुआ की रोटी, मड़ुआ का पीठा, छिलका रोटी आदि परोस रहा है. कृषि विभाग मोटे अनाज की उपयोगिता और संभावना पर राज्य से लेकर प्रखंड स्तर सेमिनार का आयोजन करेगा. भारत सरकार 2023 को मिलेट्स ईयर के रूप में मना रहा है. इसको देखते हुए राज्य सरकार ने भी योजना तैयार की है. इसमें मोटे अनाज पर काम करने वाले विशेषज्ञों की राय भी ली जायेगी.

झारखंड में क्या है संभावना

झारखंड में रागी उत्पादन की अच्छी संभावना है. एपिडा की रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में 15 हजार टन के करीब रागी का उत्पादन होता है. वित्तीय वर्ष 2017-18 में यहां 18 हजार टन के करीब उत्पादन हुआ था. ज्वार का भी उत्पादन करीब एक हजार टन हो रहा है. यह तब हो रहा है, जब सरकार की प्राथमिकता सूची में यह नहीं था.

Also Read: झारखंड की महिला अधिकारी ने गणतंत्र दिवस पर दिया तोहफा, मुसाबनी के सबर जनजाति के गांव में अब दिखेगा विकास

झारखंड के लिए यह है काफी अनुकूल : अजय कुमार

समेति के निदेशक अजय कुमार कहते हैं कि राज्य में वर्षों पहले से मोटे अनाज की खेती होती थी. यहां के जनजातीय समुदाय मोटे अनाज की भरपूर की खेती करते थे. बाजार नहीं होने के कारण इसको बढ़ावा नहीं मिल सका. अब मोटे अनाज को बाजार की दिक्कत नहीं है. यह बाजार में काफी महंगा भी बिक रहा है. इसका सबसे बड़ा फायदा है कि यह पूरी तरह आर्गेनिक फसल है. इसमें कीटनाशक की जरूरत नहीं होती है. कम पानी में तैयार हो जाता है. झारखंड में समय-समय पर सूखा पड़ जाता है. इसको देखते हुए झारखंड के लिए यह काफी अनुकूल है.

Exit mobile version