झारखंड में बढ़ी ठंड, गलत दिनचर्या का असर पड़ सकता है स्वास्थ्य पर, ऐसे रखें ख्याल
झारखंड में नये साल से मौसम का मिजाज तेजी से बदलने लगा है. ठंड और कनकनी बढ़ गई है. ऐसे में लोगों को ठंड से बचकर रहने की जरूरत है. हल्की सी भी लापरवाही परेशानी में डाल सकती है.
Jharkhand Weather: ठंड में गलत दिनचर्या का सीधा असर व्यक्ति के स्वास्थ्य पर पड़ता है. तापमान में उतार-चढ़ाव के बीच हल्की लापरवाही बीमार बना देती है, इसलिए खुद को संयमित रखना जरूरी है. सही दिनचर्या के साथ-साथ संतुलित खाद्य पदार्थ का सेवन भी जरूरी है. मौसम और शरीर के बीच सही सामंजस्य स्थापित नहीं होने पर लोग मौसमी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं. ऐसे में ठंड से खुद को बचाकर रखें.
क्याें होती है परेशानी
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ठंड में प्रदूषण के कारण छाती में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
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ठंड में पसीना कम निकलता है, जिससे फेफड़ा में पानी जमा होने की संभावना.
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ठंड में प्रचूर मात्रा में
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धूप नहीं मिलने से विटामिन-डी का स्तर कम हो जाता है, इससे हार्ट की समस्या बढ़ जाती है.
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ठंड में सांस की नली सिकुड़ जाती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है.
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रक्त की धमनियां सिकुड़ जाने से ब्लड सर्कुलेशन के लिए तेज पंप करना पड़ता है, जिससे बीपी बढ़ जाता है.
इसका खास ख्याल रखें
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ठंड में पूरे शरीर को गर्म कपड़े से ढ़ककर रखें
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गुनगुने पानी का उपयोग करें
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ताजा और पौष्टिक खाना ही खायें
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गर्म पेय पदार्थ का ज्यादा इस्तेमाल करें
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रात में सोते वक्त हल्दी दूध मिलाकर पीयें
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सुबह जल्दी उठकर टहलने नहीं निकलें
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घर में ही नियमित व्यायाम करें
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धूप निकले, तो उसमें आधा घंटे जरूर बैठें
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शराब-तंबाकू के उत्पाद का इस्तेमाल न करें
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बच्चे-बूढ़ों को सुबह व शाम घर से निकलने नहीं दें
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अस्थमा, सीओपीडी और हार्ट के मरीज रखें विशेष ख्याल
रिम्स के फिजिशियन डॉ विद्यापति ने बताया कि ठंड में अस्थमा, सीओपीडी और हार्ट के मरीजों को विशेष ख्याल रखना चाहिए. अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों को सांस लेने में परेशानी होती है, क्योंकि सांस की नली सिकुड़ जाती है. ठंड में ब्लड प्रेशर भी असंतुलित हो जाता है, इसलिए बीपी के मरीज डॉक्टर से परामर्श लिए बिना दवा नहीं छोड़ें. दवा बदलनी नहीं चाहिए. वहीं, हार्ट के मरीजों को भी विशेष ध्यान देना चाहिए. हार्ट को पंप करने में दिक्कत होती है, जिससे हार्ट की जटिलता बढ़ जाती है.