झारखंड में ट्रिपल टेस्ट के लिए अबतक नहीं बना आयोग, लंबे समय तक टल सकता है निकाय चुनाव
झारखंड में नगर निकाय चुनाव लंबे समय तक के लिए टल सकता है. ट्रिपल टेस्ट के लिए अब तब आयोग का गठन नहीं हुआ है जबकि कैबिनेट द्वारा ट्रिपल टेस्ट के लिए आयोग गठित करने का फैसला लिया गया था.
Jharkhand News: झारखंड में नगर निकाय चुनाव के लिए ओबीसी या पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए ‘ट्रिपल टेस्ट’ शुरू होने में विलंब हो रहा है. कैबिनेट द्वारा ट्रिपल टेस्ट के लिए आयोग गठित करने के फैसले के लगभग दो महीने बाद भी इसे अमली जामा नहीं पहनाया गया है. आयोग द्वारा पंचायत और निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने के लिए थ्री लेयर टेस्ट करेगा. ओबीसी का सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण कर आयोग आरक्षण की सीमा तय करेगा. इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम छह महीने लगेंगे. वर्ष 2024 में लोकसभा के साथ राज्य में विधानसभा चुनाव भी संपन्न होना है. ऐसे में चालू वर्ष में नगर निकायों का चुनाव नहीं होने पर इसके लंबे समय तक लंबित रहने की संभावना है.
14 निकायों में 2020 से ही लंबित है चुनाव
राज्य के 14 नगर निकायों में मई 2020 से ही चुनाव लंबित है. धनबाद, देवघर और चास नगर निगम के अलावा विश्रामपुर, झुमरी तिलैया, गोमिया व चक्रधरपुर नगर परिषद और कोडरमा, बड़की सरिया, धनवार, हरिहरगंज, बचरा व महगामा नगर पंचायत का कार्यकाल मई 2020 में ही पूरा हो गया है. शेष 34 नगर निकायों का कार्यकाल भी इस महीने पूरा हो गया. रांची, हजारीबाग, गिरिडीह, मेदिनीनगर और आदित्यपुर नगर निगम, गढ़वा, चतरा, मधुपुर, गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़, मिहिजाम, चिरकुंडा, फुसरो, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, रामगढ़, चाईबासा और कपाली, नगर उंटारी, हुसैनाबाद, छतरपुर, लातेहार, डोमचांच, राजमहल, बरहरवा, बासुकीनाथ, जामताड़ा, खूंटी, बुंडू और सरायकेला-खरसांवा में भी निकाय बोर्ड भंग हो गया है. निकायों की व्यवस्था पूरी तरह से अफसरों के हवाले कर दी गयी है.
बिना ओबीसी आरक्षण के हुआ था पंचायत चुनाव
राज्य में ट्रिपल टेस्ट नहीं होने तक ओबीसी को पंचायत या नगर निकाय चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता है. इसी वजह से गत वर्ष संपन्न पंचायत चुनाव में ओबीसी समुदाय को आरक्षण नहीं दिया गया था. ट्रिपल टेस्ट होने तक पूर्व में ओबीसी के लिए आरक्षित सीट को सामान्य कैटेगरी में ही मान कर चुनाव कराने की बाध्यता है. नगर निकायों का चुनाव भी ओबीसी आरक्षण के बिना ही किया जा रहा था. लेकिन, मेयर के पद पर आरक्षण को लेकर उभरे विवाद के बाद निकाय चुनाव टाल दिया गया था. अब ट्रिपल टेस्ट के बाद ही नगर निकायों का चुनाव होगा.
क्या है ट्रिपल टेस्ट
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल रमेश बाघ बनाम महाराष्ट्र सरकार के मामले की सुनवाई के बाद राज्य सरकारों द्वारा बिना ट्रिपल टेस्ट कराये ओबीसी को चुनाव में आरक्षण नहीं देने से संबंधित आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में होनेवाले पंचायत और नगर निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण प्रदान करने की तीन जांच अर्हताएं तय की हैं. इसके मुताबिक पिछड़े वर्ग के लोगों की सामाजिक, राजनीतिक व शैक्षणिक स्थिति मालूम करने के बाद ही आरक्षण तय किया जायेगा. आयोग विस्तृत और व्यावहारिक डाटा के आधार पर निकायों में ओबीसी के प्रतिनिधित्व का निर्धारण करेगा. हालांकि, इसके लिए कुछ आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी से अधिक नहीं होगी. यानी, निकायों में एसटी-एससी को मिलने वाले आरक्षण को 50 फीसदी की सीमा से घटाते हुए शेष सीटों पर ओबीसी को आरक्षण मिलेगा.