‘2020 कॉमनवेल्थ शॉर्ट स्टोरी प्राइज’ की विजेता झारखंड की कृतिका पांडे को पहले भी मिल चुके हैं कई पुरस्कार

commonwealth short story prize 2020, kritika pandey, jharkhand news : रांची : ‘कॉमनवेल्थ शॉर्ट स्टोरी प्राइज, 2020’ की विजेता कृतिका पांडे अपनी इस उपलब्धि पर बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि उन्हें भरोसा है कि उनको यह पुरस्कार मिलने के बाद लोगों का बेटियों में और उनके सपनों में भरोसा बढ़ेगा. अम्हर्स्ट मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय ने एक बयान में मंगलवार को बताया कि 29 वर्षीय भारतीय लेखिका कृतिका पांडे को उनकी लघु कथा ‘द ग्रेट इंडियन टी एंड स्नैक्स’ के लिए पुरस्कार से नवाजा गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 2, 2020 3:03 PM
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रांची : ‘कॉमनवेल्थ शॉर्ट स्टोरी प्राइज, 2020’ की विजेता कृतिका पांडे अपनी इस उपलब्धि पर बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि उन्हें भरोसा है कि उनको यह पुरस्कार मिलने के बाद लोगों का बेटियों में और उनके सपनों में भरोसा बढ़ेगा. अम्हर्स्ट मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय ने एक बयान में मंगलवार को बताया कि 29 वर्षीय भारतीय लेखिका कृतिका पांडे को उनकी लघु कथा ‘द ग्रेट इंडियन टी एंड स्नैक्स’ के लिए पुरस्कार से नवाजा गया है.

कृतिका को कॉमनवेल्थ फाउंडेशन ने एक ऑनलाइन कार्यक्रम में पुरस्कार से नवाजा. उन्होंने अम्हर्स्ट मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ फाइन आर्ट्स फॉर पोएट्स एंड राइटर्स से 2020 में स्नातक किया है. बयान में बताया गया कि उनकी यह लघु कथा दो युवाओं के बारे में है, जो सदियों पुरानी, मानवीय अस्तित्व से जुड़ी इस पहेली को सुलझाने की कोशिश करते हैं कि नफरत और पूर्वाग्रह के दौर में कोई प्रेम कैसे कर पायेगा.

पिछले सप्ताह कृतिका के, उनके काम के लिए वर्ष 2020 के कॉमनवेल्थ शॉर्ट स्टोरी प्राइज के पांच क्षेत्रीय विजेताओं में शामिल होने की घोषणा की गयी थी. कृतिका का ताल्लुक झारखंड से है. वह वर्ष 2020 जेम्स डब्ल्यू फोले मेमोरियल अवॉर्ड और 2018 हार्वे स्वाडोस फिक्शन प्राइज समेत अन्य पुरस्कारों से नवाजी जा चुकी हैं.

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उन्होंने कॉमनवेल्थ प्राइज विजेताओं के नाम घोषित करने वाले ऑनलाइन कार्यक्रम में पुरस्कार जीतने को ‘अद्भुत क्षण’ करार दिया है. उन्होंने उम्मीद जतायी है कि यह पुरस्कार लोगों को ‘अपनी बेटियों और उनके सपनों पर भरोसा करने में मदद देगा.’

पहले से ही रिकॉर्ड किये गये एक वीडियो में कृतिका ने कहा कि उन्होंने अपनी कहानी को कॉमनवेल्थ मंच पर देना इसलिए बेहतर समझा, क्योंकि उनका मानना है कि उत्तर औपनिवेशिक काल के लेखकों के अनूठे परिदृश्य वाली कहानियों के महत्व को यह मंच समझता है.

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Posted By : Mithilesh Jha

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