रांची.
झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने कहा कि लोगों के बीच यदि कोई समस्या हो, तो सबसे बेहतर विकल्प होता है आपसी सुलह-समझौता. किसी प्रकार का केस लड़ने के पहले आपसी समझाैते की संभावना पर ध्यान देना चाहिए. जब किसी समझौते का विकल्प नहीं बचा हुआ हो, तभी केस लड़ने का निर्णय लेना चाहिए. लोगों में यह प्रवृति विकसित होगी, तो न्याय व्यवस्था पर भी कुछ बोझ कम होगा. अमृतांश वत्स झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता हैं. वह पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से वकालत कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के भी मामले देखते हैं. शनिवार को प्रभात खबर की ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में वह लोगों के सवालों पर कानूनी सलाह दे रहे थे.रांची के मधुकर का सवाल :
1984 में बजरा माैजा में 11 लोगों ने जमीन खरीदी थी. उसका म्यूटेशन भी हुआ. 2019-20 तक लगान रसीद भी निर्गत किया गया, लेकिन उसके बाद जमीन को गैरमजरूआ मालिक बता कर रसीद काटना बंद कर दिया गया है, उन्हें क्या करना चाहिए?अधिवक्ता की सलाह :
देखिए, इस मामले में मेरी सलाह यह होगी कि आप उपायुक्त को सारी बातें लिखते हुए आवेदन दें. सभी कागजात की प्रति भी संलग्न करें. फिर भी यदि समस्या बनी रहती है, तो हाइकोर्ट में रिट दायर कर सकते हैं.चाैपारण के गोपाल का सवाल :
हम दो भाई हैं. बड़े भाई माता-पिता की देखभाल पर ध्यान नहीं देते हैं. पिताजी अचल संपत्ति उन्हें देना चाहते हैं, क्या संपत्ति हमारे नाम से हो सकती है?अधिवक्ता की सलाह :
कोई भी व्यक्ति अपने जीवनकाल में स्वयं से अर्जित संपत्ति को किसी को भी दे सकता है. खानदानी संपत्ति पर सभी वारिस का अधिकार होता है. इसलिए आपके पिताजी सिर्फ आपको ही संपत्ति नहीं दे सकते हैं.रातू के अजय कुमार का सवाल :
पहले वह सीआइएसएफ में सिपाही पद पर नियुक्त थे. अब पंचायत सचिव के पद पर योगदान दिये हैं. पे प्रोटेक्शन का लाभ लेने के लिए उन्हें क्या करना होगा?अधिवक्ता की सलाह :
पंचायत सचिव की परीक्षा में शामिल होने के लिए आपने अपने सक्षम अधिकारी से अनुमति ली होगी. पे-प्रोटेक्शन के लिए आप अपने विभाग में आवेदन दें और पे प्रोटेक्शन की मांग करें. निदान नहीं होने पर हाइकोर्ट में रिट दायर कर सकते हैं.हजारीबाग के विक्की मंडल का सवाल :
वह 2015 में सेवानिवृत्त हुए थे. उन्हें छठे वेतनमान का लाभ मिला. सातवें वेतनमान का लाभ नहीं मिल रहा है. क्या करें?अधिवक्ता की सलाह :
सातवें वेतनमान का लाभ आपको जरूर मिलेगा. इसके लिए आपको अपने विभाग में लिखित आवेदन करना चाहिए. समय देने के बाद भी आपके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है, तो आप हाइकोर्ट में रिट दायर कर न्याय मांग सकते हैं.लोहरदगा के मो अजहर का सवाल :
संविदा पर वर्ष 2017 से वह कार्यरत हैं. लेखापाल सह कंप्यूटर ऑपरेटर का काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पुरानी दर पर मानदेय मिल रहा है. सरकार द्वारा लागू मानदेय नहीं मिल रहा है.अधिवक्ता की सलाह :
सरकार द्वारा लागू संशोधित मानदेय का लाभ मिलेगा. इसके लिए सक्षम अधिकारी या विभागाध्यक्ष के पास लिखित आवेदन किया जाना चाहिए. निदान नहीं होने पर हाइकोर्ट की शरण में जा सकते हैं.रांची के अंजनी कुमार का सवाल :
उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से सूचनाधिकार के तहत सूचना मांगी थी, लेकिन पीआइओ ने नहीं दी, तो अपील दायर किया. अपील में भी उन्हें सूचना नहीं दी गयी. इसके खिलाफ राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील दायर की है, लेकिन वह लंबित है. क्या करें?अधिवक्ता की सलाह :
राज्य सूचना आयोग खाली है. कोई भी आयुक्त नहीं है. मामलों की सुनवाई नहीं हो रही है, लेकिन अब जल्द ही आयुक्तों की नियुक्ति की संभावना है. झारखंड हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. आप थोड़ा धीरज रखें. आपको सूचना जरूर मिलेगी.सबसे ज्यादा सवाल भूमि विवाद व सर्विस से संबंधित :
प्रभात खबर की ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में निर्धारित समय के बाद भी राज्य की विभिन्न जगहों से फोन आते रहे. जिन लोगों ने सवाल किये, उन्हें अपनी सलाह से अधिवक्ता श्री वत्स ने पूरी तरह से संतुष्ट करने का प्रयास किया. अधिवक्ता का जोर सुलह समझौते पर रहा. वे लोगों को अनावश्यक मुकदमे से बचने की सलाह दे रहे थे. सबसे ज्यादा सवाल भूमि विवाद व सर्विस से संबंधित मामलों के आये.लीगल काउंसेलिंग में इन लोगों ने भी सलाह ली :
कोडरमा के सन्नी कुमार मिश्रा, गढ़वा से परमानंद ठाकुर, गोला से दिवाकर कुशवाहा, रांची से अन्ना सांगा, जमशेदपुर से अमित कुमार, रामगढ़ से विजय कुमार, बोकारो से मो आसिफ, रांची से अमरेश कुमार झा आदि.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है