रतन हाइट मामले में झारखंड हाईकोर्ट में अंतिम बहस, सरकारी वकील बोले- चार्जशीटेड हैं बिल्डर और जमीन मालिक
झारखंड की राजधानी रांची स्थित रतन हाइट के निवासियों ने उस वक्त राहत की सांस ली, जब एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने खुद झारखंड हाईकोर्ट को बताया कि इस अपार्टमेंट के संशोधित नक्शा को कभी मंजूरी दी ही नहीं गयी.
रांची के चर्चित रतन हाइट मामले में झारखंड हाईकोर्ट में बृहस्पतिवार (22 जून) को अंतिम सुनवाई हुई. जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में हुई सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने साफ कर दिया कि बुटाला और परमार बंधुओं ने जो रिवाइज्ड नक्शा कोर्ट में पेश किया है, उसे कभी मंजूरी दी ही नहीं गयी. एडवोकेट जनरल ने यह भी कहा कि नरेंद्र बुटाला और परमार बंधुओं के खिलाफ विजिलेंस में केस चल रहा है. ये सभी चार्जशीटेड हैं. रतन हाइट रेसिडेंशियल सोसाइटी के महासचिव जयशंकर जयपुरियार ने उम्मीद जतायी है कि इस मामले में 13 जुलाई को हाईकोर्ट का फैसला आ सकता है.
रतन हाइट के खिलाफ फर्जी शिकायत दर्ज करवायी
जयशंकर जयपुरियार ने बताया कि वर्ष 2005 में 86 कट्ठा जमीन का एक नक्शा (1049/05) पास कराने का आवेदन दिया गया था. वर्ष 2009 में यह नक्शा पास हुआ. वर्ष 2009 में तलवार के माध्यम से लीगल डिपार्टमेंट में एक शिकायत दर्ज करवायी गयी कि रतन हाइट ने सड़क की जगह का अतिक्रमण कर लिया है. नक्शा (संख्या 1049/05) गलत है. इस पर बिल्डर और जमीन के मालिक को नोटिस जारी हुआ और उनसे नक्शा पेश करने को कहा गया.
40 कट्ठा का गलत नक्शा पेश किया गया
श्री जयपुरियार ने बताया कि म्यूनिसिपल कमिश्नर की अदालत में केस चला. इसमें बिल्डर ने डिमार्केशन के लिए 40 कट्ठा का गलत नक्शा डाल दिया. बाद में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत इसकी सर्टिफाइड कॉपी निकाली गयी, तो पता चला कि जो नक्शा (संख्या 39/09) पेश किया गया है, उसे मंजूरी मिली ही नहीं. यानी यह फर्जीवाड़ा है. इसके बाद बुटाला और परमार बंधुओं के खिलाफ विजिलेंस में केस दर्ज कराया गया. इनके खिलाफ मुकदमा चल रहा है और सभी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है.
नगर आयुक्त के एक आदेश पर थी आपत्ति
रतन हाइट के महासचिव ने बताया कि जूनियर इंजीनियर ने भी स्पष्ट लिखा है कि 46 कट्ठा जमीन रतन हाइट की है. जय परमार ने जो नक्शा दिया है, वह रिवाइज्ड नहीं है. श्री जयपुरियार ने कहा कि म्यूनिसिपल कमिश्नर ने 7 बिंदुओं पर अपना आदेश दिया. इनमें से 5 बिंदु रतन हाइट के पक्ष में थे. इसमें एक बिंदु यह भी था कि 46 कट्ठा में एक नया नक्शा पास करवा सकते हैं. श्री जयपुरियार ने कहा कि कमिश्नर का यह आदेश अनुचित था.
जनवरी में चर्चा में आया था रतन हाइट
श्री जयपुरियार ने कहा कि कमिश्नर के इस आदेश के खिलाफ हमलोग हाईकोर्ट गये और इस मामले में आज अंतिम सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल राजीव रंजन और एडिशनल एडवोकेट जनरल सुमित कुमार ने कोर्ट को बताया कि इस जमीन का कोई रिवाइज्ड नक्शा सरकार ने कभी पास नहीं किया. बता दें कि रतन हाइट जनवरी 2023 में उस वक्त चर्चा में आया था, जब इस अपार्टमेंट के बगल में नये अपार्टमेंट के निर्माण के लिए जमीन खोदने का काम शुरू हुआ, जिसकी वजह से रतन हाइट के फ्लैट्स में दरारें पड़ गयीं.
हाईकोर्ट पहुंची रतन हाइट रेसिडेंशियल सोसाइटी
अपार्टमेंट के लोगों ने रतन हाइट के बगल में बन रहे भवन के नक्शा को रद्द करने और निर्माण पर रोक लगाने की मांग झारखंड हाईकोर्ट और नगर आयुक्त से की. उस वक्त नगर आयुक्त (म्यूनिसिपल कमिश्नर) ने स्थल का निरीक्षण कर कहा था कि सुरक्षा के उपाय किये जायेंगे, लेकिन बाद में कुछ नहीं किया गया. नाराज रतन हाइट्स के निवासियों ने हाईकोर्ट का रुख किया.
सोसाइटी के लोगों में जगी न्याय की उम्मीद
रतन हाइट रेसिडेंशियल सोसाइटी की ओर से सीनियर एडवोकेट इंद्रजीत सिन्हा और रोहित रंजन सिन्हा ने झारखंड हाईकोर्ट में बहस की. सोसाइटी के चेयरमैन मुरली रन, कोषाध्यक्ष दिलीप सिंह और सोसाइटी के सदस्यों केके खंडेलवाल, कमल किशोर, प्रमोद गुप्ता, मिली सरकार ने कहा है कि वे बहस से संतुष्ट हैं और उनमें उम्मीद जगी है कि 13 जुलाई को जब माननीय हाईकोर्ट का फैसला आयेगा, तो उन्हें न्याय मिलेगा.