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झारखंड में बैंकों से कर्ज मिलने के बाद सुधर रही किसानों की दशा, पारंपरिक खेती के अलावा भी खुली नयी राह

झारखंड सरकार का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम फसल ऋण माफी योजना से भी किसानों को बड़ी राहत मिल रही है. बैंक द्वारा ऋण माफी योजना के तहत सभी किसानों को शामिल किए जा चुके हैं. अपलोड किए गये डेटा में से 3.62 लाख किसानों को कवर किया गया.

झारखंड की लगभग 70 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है और उसकी आमदनी का प्रमुख जरिया खेती है. कृषि की आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करने में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अहम भूमिका निभा रहे हैं. किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड मुहैया कराने के साथ ही कृषि यंत्र व उपकरणों की खरीद के लिए सुगमता से ऋण मुहैया कराने की दिशा में बैंकों की ओर से ठोस पहल की जा रही है. वित्तीय संस्थाओं द्वारा किसानों को फसल उत्पादन के लिये फसल ऋण दिये जाते हैं. जिससे खाद्यान्न सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है.

खेती से जुड़ी गतिविधियों के लिए भी आसान कर्ज

राज्य में कृषि और इन क्षेत्रों की विभिन्न गतिविधियों के लिए ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है. इसका आधार पांच चीजें हैं. इनमें जन (मानव), जल (पानी), जमीन (भूमि), जानवर (पशुधन) और जंगल (वन) पर कर्ज नीति आधारित है. इनमें जरूरतमंद ऋणी किसानों को कार्यशील पूंजी, कृषि उपकरणों तथा अन्य उत्पादक उपकरणों की खरीद और मरम्मत, उत्पाद का भंडारण, ग्रेडिंग, खाद्य सामग्रियों की पैकेजिंग, विपणन गतिविधियां सहित अन्य कृषि से जुड़ी गतिविधियां आदि शामिल हैं.

कोविड-19 महामारी के बाद कृषि क्षेत्र में बढ़ी चुनौतियां

कोविड-19 महामारी और इसके परिणामस्वरूप किए गए लॉकडाउन का कृषि क्षेत्र पर बुरा असर हुआ था. हालांकि, कृषि संस्थाओं और मौजूदा नीतियों की उपलब्धियां शायद कभी भी इतनी स्पष्ट नहीं थी जितनी कि आज हैं. अलावा मवेशियों और मुर्गियों के आहार बेचने वाले डीलरों, ड्रिप और स्प्रिंकलर्स बेचने वाले, खेती में इस्तेमाल आने वाली मशीनों को बेचने वालों के साथ-साथ बिजली के लिए सौर ऊर्जा, एग्रीक्लिनिक्स और एग्रीबिजनेस सेंटर चलाने वालों को भी शामिल किया गया है.

किसानों को मिलनेवाले कर्ज के दायरे को बढ़ा रहे बैंक

किसान को सरल तरीके से कर्ज चाहिए. उसके उत्पाद को उसके गांव में ही विपणन करने और सुरक्षित भंडारण की स्थानीय व्यवस्था होनी चाहिए. किसान को सब्सिडी से ज्यादा जरूरी है कि उसके खाद-बीज-दवा की गारंटी हो. सरकारी एजेंसियां खुद गांव-गांव जाकर खरीदारी करें. सब्जी-फल-फूल जैसे उत्पाद की खरीद-बिक्री स्वयं सहायता समूह या सहकारी के माध्यम से करना कोई कठिन काम नहीं है.

फसल ऋण माफी योजना से भी राहत

झारखंड सरकार का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम फसल ऋण माफी योजना से भी किसानों को बड़ी राहत मिल रही है बैंक द्वारा ऋण माफी योजना के तहत सभी किसानों को शामिल किए जा चुके हैं अपलोड किए गये डेटा में से 3.62 लाख किसानों को कवर किया गया शेष 2.38 लाख किसानों को ऋण माफी के तहत बैंकों के द्वारा तेजी से कवर किया जा रहा है.

राज्य सरकार के प्रयास से किसानों को मिला लाभ

झारखंड सरकार के फसल ऋण माफी योजना से भी किसानों को राहत मिल रही है. योजना से सभी किसान जुड़ चुके हैं. अब तक 3.62 लाख किसानों को कवर किया गया. शेष 2.38 लाख किसानों को ऋण माफी के तहत बैंकों के द्वारा तेजी से कवर किया जा रहा है.

दूसरी तिमाही में प्रदर्शन

  • केनरा बैंक 47.53%

  • यूनियन बैंक 45.71%

  • बैंक ऑफ इंडिया 41.57%

राज्य में खोले गये केसीसी खाते

  • बैंक ऑफ इंडिया 4,33,896

  • इंडियन बैंक 60,388

  • सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 43,688

  • पंजाब नेशनल बैंक 75,285

  • केनरा बैंक 34,297

  • यूनियन बैंक 60,000

स्वयं सहायता समूह को सपोर्ट

  • बैंक ऑफ इंडिया 48,699

  • केनरा बैंक 7,289

  • सेंट्रल बैंक 3,853

  • इंडियन बैंक 6,562

  • पंजाब नेशनल बैंक 10,281

  • यूनियन बैंक 7,000

बैंक ऑफ इंडिया : 15 जिलों में अग्रणी बैंक

बैंक ऑफ इंडिया झारखंड के 15 जिलों में अग्रणी बैंक की भूमिका निभा रहा है. राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति का दायित्व भी बैंक ऑफ इंडिया के पास ही है. बैंक 486 शाखाओं से सुदूरवर्ती इलाकों के किसानों के जीवन में बदलाव ला रहा है. मौजूदा वित्त वर्ष में रांची अंचल द्वारा 11,792 किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड, डेयरी, एनिमल हसबेंड्री के माध्यम से 98 करोड़ का कर्ज दिया गया है. 2,770 नए स्वयं सहायता समूहों को 144 करोड़ ऋण, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में 1,19,636, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत 98,075, अटल पेंशन योजना के 11,171 और प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत 40,129 खाते खोले गये हैं. जिसमें सबसे ज्यादा संख्या किसानों के हैं.

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इंडियन बैंक ने बांटे 26.27 करोड़ के ऋण

रांची अंचल के अधीनस्थ शाखाओं द्वारा किसानों को कुल स्वयं सहायता समूह के 2,997 खाता में 47.52 करोड़ रुपये, 16,392 कृषि ऋण (केसीसी) में यह कुल 93.08 करोड़ रुपये की राशि शामिल है. अन्य कृषि कार्य जैसे मछलीपालन, मुर्गीपालन और पशुपालन के साथ ही कृषि उपकरणों को खरीदने के लिए 26.27 करोड़ का कर्ज बांटा गया है. बैंक व्यावसायिक खेती को बढ़ावा दे रहा है.

इन क्षेत्रों में कृषि ऋण की सुविधा

कृषि गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, स्वयं सहायता समूह (शक्ति), कृषि ज्वेल ऋण, आइबी स्टार एग्रो मिल (चावल मिल, दाल मिल, तेल मिल और आटा चक्की) और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी).

एफपीओ को आगे बढ़ाने में बैंकों निभा रहे रोल

किसानों के लिए फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन एफपीओ बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. इस क्षेत्र में वित्त पोषण से सभी वर्गों को फायदा होगा मौजूदा स्थिति में एसपीओ को 25 लाख से 100.00 लाख तक के टर्म लोन अथवा कार्यशील पूंजी को बैंक पूरा कर सकते हैं. वित्तीय सेवाएं विभाग के द्वारा केसीसी डेयरी और फिशरीज के लिए साप्ताहिक कैंप लगाकर किसानों को बैंक को तक पहुंचाया जा रहा है. केसीसी खातों से जुड़े 2,640 दुग्ध उत्पादकों को ऋण की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है.

पीएनबी : बिना गारंटी 50 हजार का लोन

पंजाब नेशनल बैंक किसान तत्काल ऋण योजना के तहत किसानों को 50000 हजार रुपये का अधिकतम लोन बिना किसी गारंटी के प्रदान कर रहा है. इसके अलावा पशुपालन, डेयरी तथा मत्स्य पालन को भी लोन सपोर्ट दिया जा रहा है. ताकि कृषि क्षेत्रों में भी एक तरह की औद्योगिक क्रांति आ सके किसानों की आय दोगुनी हो और यह क्षेत्र युवा पीढ़ी को ज्यादा से ज्यादा रोजगार के नए अवसर प्रदान कर सकें उन्हें कृषि उद्योग की ओर आकर्षित करें.

केनरा बैंक : 8.21 करोड़ का दिया ऋण

केनरा बैंक ने किसान क्रेडिट कार्ड के तहत केसीसी केनरा, किसान तत्काल, बागवानी व पशुपालन के लिए ऋण वितरित करने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत पीएम एआइएफ प्रधानमंत्री कृषि अवसंरचना कोर्स योजना के द्वारा किसानों को कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउस, नर्सरी, वर्मी कंपोस्ट यूनिट जैसी संरचना स्थापित करने के लिए कर्ज मुहैया करा रही है. इस योजना के तहत केंद्र बैंक ने राज्य में कुल 8.21 करोड़ ऋण की राशि स्वीकृति दी है.

यूनियन बैंक : आसान कर्ज नीित लागू किया

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया कृषि उत्पादों को आसान कर्ज नीति से बढ़ावा दे रहा है. पशुपालकों और डेयरी किसानों को केसीसी के जरिये कर्ज उपलब्ध कराया गया है. क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के 60 हजार खातों में 34577.10 लाख का कर्ज दिये गये. स्वयं सहायता समूह (एसएसजी) से जुड़े 7 हजार खातों में 17049.16 लाख, ज्वाइंट लैबलिटी ग्रुप (जेएलजी) के 250 खातों को 500.00, गोल्ड लोन एग्रीकल्चर सेक्टर से जुड़े 586 खातों में 889.52 लाख दिये गये.

स्टेट कोऑपरेटिव बैंक ने बांटे 500 करोड़

झारखंड स्टेट कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड ने फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को 500 करोड़ का ऋण वितरण किया है. आर्थिक रूप से कमजोर किसानों के उत्थान के लिए प्रयासरत है. केसीसी और एफसीसी मद में बैंक ने 7.00 (सात) करोड़ का ऋण करोड़ का ऋण वितरण किया है. वहीं, गरीब महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से अलग से तीन करोड़ के ऋण वितरण में सहकारी बैंक ने प्रमुख भूमिका निभाई है. संयुक्त देयता समूह जेएलजी के माध्यम से बैंक 1.50 करोड़ का ऋण वितरण किया है.

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