रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने बैंक अधिकारी बनकर करोड़ों की ठगी से जुड़े मामले में सजायाफ्ता की क्रिमिनल अपील के तहत जमानत याचिका पर सुनवाई की. अदालत ने प्रार्थी व प्रतिवादी प्रवर्तन निदेशालय (इडी) का पक्ष सुना. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने सजायाफ्ता संतोष मंडल, गणेश मंडल व अंकुश कुमार मंडल की सजा को निलंबित रखते हुए उन्हें सशर्त जमानत प्रदान की.
थाना में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी
जमानत की शर्त के मुताबिक प्रार्थियों को प्रति माह संबंधित थाना में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी. इनका जमानतदार उसी गांव का होगा, जिसकी उस जिले में अचल संपत्ति होगी. साथ ही अदालत ने इडी को यह छूट दी कि यदि ये प्रार्थी इसी तरह के अपराध में फिर से संलिप्त पाये जाते हैं, तो इडी इनकी जमानत खारिज करने के लिए अदालत आ सकती है. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अमित कुमार ने पैरवी की, जबकि इडी की ओर से अधिवक्ता एके दाम व अधिवक्ता सौरव कुमार ने पक्ष रखा.
अलग-अलग क्रिमिनल अपील याचिका दायर की
प्रार्थी संतोष मंडल, गणेश मंडल व अंकुश कुमार मंडल की ओर से अलग-अलग क्रिमिनल अपील याचिका दायर की गयी है. उन्होंने सजा को चुनौती दी है. साथ ही जमानत के लिए आइए याचिका दायर की थी. रांची के पीएमएलए की विशेष अदालत ने जुलाई 2024 में पांच आरोपियों अंकुश कुमार मंडल, गणेश मंडल, संतोष मंडल, प्रदीप मंडल व पिंटू मंडल को पांच-पांच वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनायी थी. साथ ही उन पर ढाई- ढाई लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. सभी सजायाफ्ता जामताड़ा जिले के नारायणपुर थाना क्षेत्र के मिरगा गांव निवासी हैं. इन पर फर्जी पते पर सिम कार्ड लेने व बैंक अधिकारी बन कर लोगों को कॉल करके साइबर ठगी करने का आरोप है. इडी ने साइबर अपराध के किसी मामले में पहली बार छह अगस्त 2018 को मनी लाउंड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया था.
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