डॉ करमा उरांव की याद में शोक सभा कर रांची यूनिवर्सिटी के शिक्षाविदों ने दी श्रद्धांजलि, बोले-आपको न भूल पाएंगे
रांची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि उनका जाना रांची विश्वविद्यालय ही नहीं, झारखंड के लिये भी बहुत बड़ी क्षति है. खराब स्वास्थ्य के बाद भी वह काम के प्रति समर्पित रहते थे. उनमें बेहतरीन नेतृत्व क्षमता थी.
रांची: रांची विश्वविद्यालय के कुलपति सभागार में कुलपति प्रो डॉ अजीत कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में स्व. करमा उरांव की याद में शोक सभा आयोजित की गयी और दो मिनट का मौन रखा गया. इस शोक सभा में रांची विश्वविद्यालय के सभी विभागों के प्रमुख, संकायाध्यक्ष, प्राध्यापक, वरीय पदाधिकारी एवं कर्मी शामिल हुए. सभी ने डॉ करमा उरांव को याद किया और बिताए पल को साझा कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी. शोक सभा के बाद रांची विश्वविद्यालय में कार्य बंद कर दिए गए. आपको बता दें कि 14 मई 2023 को रांची विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित शिक्षाविद् रहे प्रो डॉ करमा उरांव का निधन हो गया था.
रांची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि उनका जाना रांची विश्वविद्यालय ही नहीं, झारखंड के लिये भी बहुत बड़ी क्षति है. खराब स्वास्थ्य के बाद भी वह काम के प्रति समर्पित रहते थे. उनमें बेहतरीन नेतृत्व क्षमता थी. उन्होंने 25 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में विदेशों में जाकर झारखंड और देश का प्रतिनिधित्व किया था. उन्होंने झारखंड को नयी पहचान दिलायी. एक ऐसे संवेदनशील शिक्षाविद् और आत्मीय व्यक्ति के जाने से हम सभी बहुत आहत हैं. हम सभी प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर उनके परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति दे.
रांची विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ मुकुंद चंद्र मेहता ने डॉ करमा उरांव की जीवनी और रांची विश्वविद्यालय में उनके योगदान की यात्रा की जानकारी दी. इन्होंने बताया कि 1978 में राम लखन सिंह यादव कॉलेज से रांची विश्वविद्यालय में अध्यापन शुरू करने से लेकर 2017 में अपने सेवानिवृति तक उन्होंने रांची विश्वविद्यालय और झारखंड के लिये जो कार्य किया, वह अप्रतिम है. वह रांची विश्वविद्यालय में उपाचार्य, विश्वविद्यालय प्राचार्य, मानवशास्त्र विभागाध्यक्ष, समाज विज्ञान विभाग के संकायाध्यक्ष, एकीकृत बिहार में बिहार लोकसेवा आयोग, पटना के सदस्य जैसे पदों पर रहे. कुलसचिव ने कहा कि प्रो डॉ करमा उरांव अंतरराष्ट्रीय स्तर के शिक्षाविद्, चिंतक, विचारक और नेतृत्वकर्ता थे. उनका इस तरह से चला जाना हमारे लिये बहुत ही दुखद है.
पूर्व विधानसभाध्यक्ष प्रो डॉ दिनेश उरांव ने कहा कि मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मैंने उनके ही मार्गदर्शन में पीएचडी की और उनके साथ काम करने का अवसर प्राप्त हुआ. उनके अंदर संयम और धीरज इतना था कि वह किसी भी विकट परिस्थिति से आसानी से पार पा जाते थे. उनका मार्गदर्शन हम सभी के लिये सदैव काम आता रहेगा, वहीं डीएसडब्ल्यू डॉ सुदेश कुमार साहू ने कहा कि प्रो डॉ करमा उरांव के साथ बहुत दिनों तक काम किया. उनसे सीखा हुआ आज भी हम सभी के काम आता है. वह काम के प्रति इतने समर्पित थे कि कहते थे कि मैं काम करते हुए ही इस दुनिया से जाना चाहूंगा.
टीआरएल विभागाध्यक्ष डॉ हरि उरांव ने कहा कि बिशुनपुर जैसे सुदूर गांव के सरकारी स्कूल से पढ़ कर रांची विश्वविद्यालय में अध्यापन को आये थे. इसके कारण से वह जमीन से जुड़े व्यक्ति थे. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया. एक ऐसे शिक्षाविद्, प्राध्यापक और चिंतक थे जो सदैव रांची विश्वविद्यालय के हित के लिये प्रयत्नशील रहते थे, वहीं डॉ अशोक कुमार सिंह ने कहा कि प्रो डॉ करमा उरांव इतने सहज व्यक्तित्व के थे कि नि:संकोच अपनी बातें रखते थे और सुनते थे. किसी भी तरह के भेदभाव से दूर रहने वाले ऐसे व्यक्ति का हम सब के बीच से चला जाना बहुत बड़ी क्षति है. इस शोक सभा में प्रतिकुलपति डॉ अरुण कुमार सिन्हा, एफए डॉ देवाशीष गोस्वामी, सीसीडीसी डॉ पीके झा, परीक्षा नियंत्रक डॉ आशीष कुमार झा, एफओ डॉ कुमार आदित्यनाथ शाहदेव, डिप्टी डायरेक्टर वोकेशनल डॉ स्मृति सिंह व रांची विश्वविद्यालय के सभी विभागों के प्रमुख, डीन, प्राध्यापक, अन्य वरीय पदाधिकारी और कर्मी उपस्थित थे.