रांची. बीआइटी मेसरा 70वां प्लेटिनम जुबली वर्ष मना रहा है. इस कड़ी में संस्थान में ”एटमॉस्फेयरिक साइंसेस 2024” अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हुआ. हमारे वातावरण को जानें विषय पर विमर्श हुआ. वक्ताओं ने वायुमंडलीय चुनौतियों, उनके पर्यावरणीय प्रभावों और संभावित समाधान पर विचार किया. मुख्य वक्ता यूनिवर्सिटी डी स्ट्राॅसबर्ग फ्रांस के सीएनआरएस रिसर्च साइंटिस्ट डॉ नाडेगे ब्लॉन्ड ने पर्यावरण को सभी जीव-जंतु के लिए उपयोगी कारक बताया. कहा कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन के लिए मानव ही जिम्मेदार है. इसके शुद्धिकरण का समाधान जटिल है. ऐसे में परिवर्तन को रोकने के लिए उपयोगी सिद्धांतों को अपनाने की जरूरत है.
मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन पर चर्चा
मौसम केंद्र रांची के प्रभारी अभिषेक आनंद ने ”मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन” पर चर्चा की. वहीं, झारखंड सरकार के वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के तहत संचालित संस्था सोशल इनिशिएटिव थ्रू डेवलपमेंट एंड ह्यूमैनिटेरियन एक्शन के शोध प्रमुख डॉ मनीष कुमार ने झारखंड में वायु गुणवत्ता प्रबंधन का मॉडल पेश किया. डॉ तनुश्री भट्टाचार्य ने वातावरण में हो रहे बदलाव के लिए जरूरी जमीन आधारित अवलोकन, सैटेलाइट डेटा और वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए जरूरी मॉडल के बीच तालमेल रखने की बात कही. अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में देशभर के शैक्षणिक संस्थानों से शिक्षाविद व शोधार्थी शामिल हुए. आयोजन को सफल बनाने में बीआइटी मेसरा के वीसी डॉ इंद्रनील मन्ना, भौतिकी विभाग के अध्यक्ष डॉ राजीव कुमार सिन्हा, डॉ निशि श्रीवास्तव, डॉ स्वागता पायरा, डॉ सुदीप दास, डॉ निशि श्रीवास्तव मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है