राज्यसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस पस्त

राज्यसभा की दो सीटों को लेकर 19 जून को होने वाले चुनाव से पहले ही कांग्रेस पस्त हो गयी. प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह व पर्यवेक्षक पीएल पुनिया दिल्ली में बैठकर रणनीति बनाते रहे.

By Prabhat Khabar News Desk | June 15, 2020 1:11 AM

रांची : राज्यसभा की दो सीटों को लेकर 19 जून को होने वाले चुनाव से पहले ही कांग्रेस पस्त हो गयी. प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह व पर्यवेक्षक पीएल पुनिया दिल्ली में बैठकर रणनीति बनाते रहे. इधर भाजपा ने समीकरण पूरी तरह से अपने पक्ष में कर लिया. भाजपा प्रत्याशी दीपक प्रकाश को निर्दलीय विधायक सरयू राय का समर्थन मिलने के बाद कांग्रेस जीत के आंकड़े से एक कदम और पीछे खिसक गयी.

झामुमो प्रत्याशी शिबू सोरेन के पक्ष में पहले से जीत के आंकड़े हैं. वर्तमान राजनीतिक परिपेक्ष में कांग्रेस के समक्ष महज चुनाव लड़ने औपचारिकता बच गयी है. हालांकि कांग्रेस ने आठ जून को विधायक दल की बैठक कर राज्यसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनायी थी. साथ ही दावा किया था कि समान विचारधारा वाले व निर्दलीय विधायकों से संपर्क साधा जा रहा है.

प्रदेश प्रभारी भी राज्यसभा चुनाव को लेकर लगातार दिल्ली से प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव व विधायक दल के नेता आलमगीर आलम के साथ संपर्क बनाये हुए थे. हालांकि जमीनी स्तर पर समर्थन को लेकर कोई खास प्रयास देखने को नहीं मिला.जीत के आंकड़े से पहले ही पीछे थी कांग्रेसराज्यसभा की दूसरी सीट पर जीत के आंकड़े से पहले ही कांग्रेस पीछे थी.

दूसरी सीट पर जीत के लिए भाजपा या कांग्रेस प्रत्याशी को कम से कम 27 वोट की जरूरत पड़ेगी. अगर हम भाजपा की बात करें तो उसके पास विधायकों की संख्या 25 है. बाबूलाल मरांडी के शामिल होने के बाद यह संख्या बढ़कर 26 हो जाती है. इधर सरयू राय का साथ मिलने के बाद भाजपा की राह आसान हो गयी.

अगर भाजपा को आजसू व निर्दलीय विधायक अमित यादव का समर्थन मिल जाता है, तो उसके वोट 30 हो जायेंगे. इधर बेरमो विधायक राजेंद्र सिंह के निधन व प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के शामिल होने के बाद कांग्रेस के पास फिलहाल 17 विधायकों के वोट हैं.

झामुमो के दो, माले, राजद और एनसीपी के एक-एक वोट मिलने पर विधायकों की संख्या बल बढ़ कर 22 हो जाती है. इसके बावजूद कांग्रेस को जीत के लिए पांच विधायकों की जरूरत पड़ेगी, जो आसान नहीं दिख रहा है.

Posted by : Pritish Sahay

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