विशेष संवाददाता (रांची).
भविष्य में पेयजल संकट से बचने के लिए विशेष कार्य योजना बनायें. राज्य में कुछ ऐसे पहाड़ हैं, जहां से झरने गिरते हैं. उन जगहों पर भी जलापूर्ति योजनाएं ली जा सकती हैं. ऐसे पहाड़ों को चिह्नित कर कार्य योजना बनायें. मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने गुरुवार को झारखंड मंत्रालय में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों को उक्त निर्देश दिया है. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कई योजनाओं को लेकर नाराजगी भी जतायी है. श्री सोरेन ने विभाग के अधिकारियों से कहा कि सरायकेला-खरसावां जिला के ईचागढ़ और डूडरा कमलपुर में विश्व बैंक संपोषित जलापूर्ति योजना 2023 में ली गयी थी. लेकिन, एजेंसी की लापरवाही के वजह से यह योजना पूरी नहीं हो सकी. जिस एजेंसी द्वारा लापरवाही बरती गयी है, विभाग उस पर कार्रवाई सुनिश्चित करें और नयी स्वीकृति कराकर इस जलापूर्ति योजना को पूर्ण कराया जाये.जल्द करें शिकायतों का निराकरण :
मुख्यमंत्री ने कहा : विगत दिनों से ऐसी खबरें मिली रही हैं कि कुछ जिलों में ग्रामीण चुआं, तालाब, कुआं व अन्य जल स्रोतों से पीने का पानी ला रहे हैं. जहां से भी ऐसी खबरें मिल रही हैं, वहां जांच कराकर शुद्ध पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करें. पेयजल से जुड़ी शिकायतों का निराकरण हर हाल में करें. ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं को जुलाई-अगस्त 2024 तक हर हाल में पूरा करें.शौचालय के लिए केवल 12 हजार रुपये की समीक्षा करें :
सीएम ने शौचालय निर्माण योजना को अबुआ आवास योजना से जोड़ने का निर्देश दिया. कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण के लिए मात्र 12 हजार रुपये राशि दी जाती है. अधिकारी इसकी भी समीक्षा करें कि इतनी राशि में गुणवत्तापूर्ण शौचालय बनाया जा सकता है या नही.नल से जल की समीक्षा करें :
सीएम ने कहा कि पंचायत स्तर पर स्वीकृत नये नलकूपों के कार्य प्रगति में तेजी लायें. खराब पड़े नलकूपों की मरम्मत भी करायें. बरसात में लोगों को शुद्ध पेयजल की समस्या नहीं होनी चाहिए. हर घर नल से जल योजना को तय समय में पूरा करें. वैसे सभी घर जहां नल से जल पहुंचाया गया है, समीक्षा करें कि योजना के तहत लगाये गये नलों में जल की उपलब्धता है या नहीं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है