उम्रदराज हैं या गंभीर बीमारी से ग्रसित, तो जानलेवा हो सकता है कोरोना, सचेत रहें
तीनों को आइसीयू में हाइफ्लो ऑक्सीजन पर रखा गया है, क्योंकि वह खुद ऑक्सीजन लेने में सक्षम नहीं हैं. इसमें से एक संक्रमित कई गंभीर रोगों से पीड़ित है, जबकि दूसरे की उम्र 90 साल है
राजीव पांडेय, रांची : तीनों को आइसीयू में हाइफ्लो ऑक्सीजन पर रखा गया है, क्योंकि वह खुद ऑक्सीजन लेने में सक्षम नहीं हैं. इसमें से एक संक्रमित कई गंभीर रोगों से पीड़ित है, जबकि दूसरे की उम्र 90 साल है. क्रिटिकल केयर विंग की टीम लगातार इन पर निगरानी रखे हुए है. विशेषज्ञ डॉक्टरों की मानें, तो रिम्स के कोविड-19 अस्पताल में फिलहाल 45 संक्रमितों का इलाज चल रहा है. इनमें से 20 संक्रमितों को गंभीर मान कर उनका इलाज किया जा रहा है.
ये कोरोना से संक्रमित होने के साथ-साथ किडनी, हार्ट, बीपी, डायबिटीज, फेफड़ा समेत कई अन्य रोगों से पीड़ित हैं. पहले से बीमारी होने के कारण उनकी स्थिति गंभीर है. फिलहाल इनकी स्थिति स्थिर है, पर इन्हें कभी भी आइसीयू में शिफ्ट करना पड़ सकता है. तीन दिन पहले दो संक्रमित की स्थिति बिगड़ने पर उनको वेंटिलेटर पर रखना पड़ा था, जिनकी बाद में मौत हो गयी.
अब तक की मौतों में 65 फीसदी की उम्र अधिक, 35 फीसदी गंभीर बीमारी से पीड़ित : राज्य में अबतक 20 कोरोना संक्रमिताें की मौत हुई है. इनमें 65 फीसदी की उम्र 60 साल से अधिक है.उम्र के साथ-साथ यह कई गंभीर बीमारी से पीड़ित थे. इससे डॉक्टरों को बचाने में सफलता नहीं मिल पायी. वहीं, 35 फीसदी की उम्र तो कम थी, लेकिन वह गंभीर बीमारी से पीड़ित थे. बीमारी के कारण ये संक्रमित हो गये, जिनकी इलाज के दौरान मौत हो गयी.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट : कोविड-19 अस्पताल में 20 मरीज होंगे जिनको गंभीर बीमारी है. ये ठीक हो सकते हैं, लेकिन हम उनको गंभीर मानकर इलाज कर रहे हैं. गंभीर बीमारीवाले मरीजों की स्थिति कब बिगड़ जायेगी, यह पता नहीं चलता है. हमारी यही सलाह होगी कि गंभीर बीमारी वाले अनलॉक में ज्यादा सतर्क रहे. सावधानी ज्यादा बढ़ा दें.
– डॉ जेके मित्रा, विभागाध्यक्ष मेडिसिन
रिम्स में अब तक छह मौत हुई हैं, जिसमें कुछ अन्य जिलों के भी हैं. ऐसे मामलों में हमने देखा कि 90 फीसदी की उम्र अधिक थी. साथ में गंभीर बीमारी से पीड़ित थे. गंभीर बीमारी से पीड़ित के लिए कोरोना जानलेवा होता है.
– डॉ प्रदीप भट्टाचार्य, क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ
ऐसे समझें व हो जायें गंभीर
अब तक की मौत उम्र बीमारी
पहली मौत 75 बीपी, डायबिटीज, फेफड़े की बीमारी
दूसरी मौत 52 किडनी फेल्योर
तीसरी मौत 60 फेफड़े की बीमारी
चौथी मौत 39 फेफड़े की बीमारी
पांचवीं मौत 44 फेफड़े की बीमारी
छठवीं मौत 60 ब्रेन स्ट्रोक
सातवीं मौत 73 किडनी व सांस की समस्या
आठवीं मौत 69 कैंसर
नौवीं मौत — अस्थमा व सीओपीडी
10वीं मौत 25 एमडीआरटीबी
11वीं मौत 47 सीओपीडी
12वीं मौत 78 किडनी फेल्योर
13वीं मौत 65 किडनी
14वीं मौत 24 हार्ट की बीमारी
15वीं मौत 36 सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल
16वीं मौत 66 किडनी की मरीज
17वीं मौत 59 सीओपीडी
18वीं मौत 71 कई गंभीर बीमारी
19वीं मौत 88 सांस की समस्या
चेतावनी : झारखंड में अब तक हुई 20 मरीजों की मौत और
रिम्स में भरती हुए गंभीर लोगों के आकलन का निष्कर्ष
45 लोग रिम्स के कोविड-19 अस्पताल में कोरोना से जंग लड़ रहे
20 लोगों को सीरियस केस मान कर इलाज कर रहे डॉक्टर
संक्रमितों पर भारी पड़ रही बीमारी, इनकी स्थिति ज्यादा गंभीर : केस स्टडी : कोडरमा के 45 साल का व्यक्ति रिम्स के कोविड-19 अस्पताल की आइसीयू में भर्ती है. उसकी उम्र तो कम है, लेकिन वह निमोनिया, डायबिटीज व बीपी से पीड़ित है. कोरोना से संक्रमित होने के बाद उसकी स्थिति गंभीर हो गयी है. उसे हाइफ्लो ऑक्सीजन पर रखा गया है. फेफड़ा काम नहीं कर रहा है.
केस स्टडी : कोडरमा के एक व्यक्ति की उम्र 90 साल है. बुजुर्ग का इलाज रिम्स के कोविड-19 अस्पताल में चल रहा है. उम्र ज्यादा होने के कारण फेफड़ा काम नहीं कर रहा है. मशीन द्वारा फेफड़ा को आॅक्सीजन दिया जा रहा है, जिससे शरीर का महत्वपूर्ण अंग किसी तरह चल रहा है. डॉक्टर बुजुर्ग पर नजर रखे हुए हैं.
हार्ट, किडनी, डायबिटीज व फेफड़ा रोग से पीड़ित रहें अलर्ट, लॉकडाउन ही समझें
रिम्स कोविड-19 अस्पताल के क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ प्रदीप भट्टाचार्य का कहना है कि कोरोना के खतरे को देखते हुए लोगों को अब भी सतर्क रहने की जरूरत है. हार्ट, किडनी, डायबिटीज, बीपी, अस्थमा व फेफड़े की बीमारी से पीड़ित मरीज सतर्कता बरतें. मास्क का उपयोग करें. हाथों की सफाई निरंतर करते रहें. हल्की सी लापरवाही जानलेवा साबित हो रही है. ऐसे मरीजों में कोरोना संक्रमण का फैलाव सामान्य के मुकाबले तेजी से होता है. राज्य में अब तक जितनी मौतें हुई हैं, उसमें ऐसे लोगों की संख्या 90 फीसदी रही है.
झारखंड में प्रतिदिन करीब तीन हजार लोगों की जांच हो रही है. जबकि, बिहार में रोजाना 18 हजार जांच हो रही है. अब तक कोरोना की कोई दवा नहीं आयी है, इसलिए सावधानी जरूरी है. डॉ शेरवाल ने कहा कि गंभीर रोग से पीड़ित व बुजुर्गों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. अगर घर में बुजुर्ग व गंभीर बीमारी के मरीज है तो ऑक्सीजन सेचुरेशन की जांच जरूरी है. घर में सेचुरेशन जांच करने के लिए मशीन रखें.
Post by : Pritish Sahay