Loading election data...

Corona Crisis: झारखंड हाइकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव और रिम्स के प्रभारी निदेशक को किया तलब, की गंभीर टिप्पणी

कोरोना वायरस के संक्रमण से निबटने के लिए बनी योजनाओं की जानकारी देने के लिए झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य सचिव और राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) की प्रभारी निदेशक को तलब किया है. कोर्ट ने इन्हें 1 अक्टूबर, 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 18, 2020 3:05 PM
an image

रांची (राणा प्रताप) : कोरोना वायरस के संक्रमण से निबटने के लिए बनी योजनाओं की जानकारी देने के लिए झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य सचिव और राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) की प्रभारी निदेशक को तलब किया है. कोर्ट ने इन्हें 1 अक्टूबर, 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है.

झारखंड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन एवं जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने शुक्रवार (18 सितंबर, 2020) को कोविड-19 से निबटने की योजनाओं की लचर व्यवस्था पर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया. इस मामले में हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान भी लिया था, जिसके साथ इन याचिकाओं को टैग कर दिया गया है.

हाइकोर्ट में जो जनहित याचिकाएं दाखिल की गयी हैं, उनमें कोरोना वायरस के संक्रमण के बेकाबू होने के लिए रिम्स की लचर व्यवस्था और उसके कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया गया है. शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने राज्य सरकार व रिम्स से पूछा कि रिम्स में चिकित्सा पदाधिकारियों, नर्सिंग और पारा मेडिकल स्टाफ्स के कितने पद रिक्त हैं?

Also Read: सीएनटी-एसपीटी एक्ट को खत्म करने के लिए हेमंत सरकार ला रही झारखंड लैंड म्यूटेशन एक्ट 2020!

कोर्ट में जब सरकार ने रिक्त पदों को भरने की बात कही है, तो रिक्तियों को भरने की दिशा में कदम क्यों नहीं उठाये जा रहे हैं? अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान में काफी सुधार की आवश्यकता है. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि मौजूदा स्थिति में रिम्स के ऊपर ही राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था निर्भर करती है. इसलिए कोर्ट का पूरा ध्यान रिम्स की व्यवस्था सुधारने पर केंद्रित है.

खंडपीठ ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि केंद्र व राज्य सरकार के द्वारा लगभग एक अरब रुपये प्रति वर्ष रिम्स पर खर्च किये जाने के बाद भी राज्य के सबसे बड़े अस्पताल में सिर्फ एक सीटी स्कैन मशीन क्यों है? पूछा कि क्या कारण है कि जो भी व्यक्ति कोरोना जांच करा रहे हैं, उनकी रिपोर्ट 10 दिन बाद मिल रही है?

Also Read: मानसून सत्र में स्पीकर : झारखंड में बेरोजगारी बड़ी समस्या और चुनौती, प्रलय के बाद नयी सृष्टि के निर्माण का वक्त

माननीय उच्च न्यायालय ने इन सभी बिंदुओं पर राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए 2 सप्ताह बाद इस मामले में फिर से सुनवाई के लिए एक अक्टूबर की तारीख तय कर दी. अगली सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार के स्वास्थ्य सचिव एवं रिम्स निदेशक (प्रभारी) को भी विस्तृत जवाब के साथ उपस्थित रहने को कहा गया है.

Posted By : Mithilesh Jha

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

Exit mobile version