कोरोना महामारी ने भक्तों से छीन लिया यह मौका, 329 वर्षों में पहली बार मौसी के घर नहीं जा सके भगवान

आषाढ़ मास, शुक्ल पक्ष की द्वितीया. रथोत्सव का यह पावन दिन भगवान जगन्नाथ के भक्तों के लिए साधना-अाराधना और उल्लास का दिन होता. लेकिन, कोरोना महामारी ने भक्तों से यह मौका छीन लिया. न तो भगवान इस बार अपनी मौसी के घर नहीं जा पाये.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 24, 2020 3:37 AM

रांची : आषाढ़ मास, शुक्ल पक्ष की द्वितीया. रथोत्सव का यह पावन दिन भगवान जगन्नाथ के भक्तों के लिए साधना-अाराधना और उल्लास का दिन होता. लेकिन, कोरोना महामारी ने भक्तों से यह मौका छीन लिया. न तो भगवान इस बार अपनी मौसी के घर नहीं जा पाये. राजधानी रांची के जगन्नाथ मंदिर के पवित्र परिसर से मौसी बाड़ी के लिए भव्य रथयात्रा नहीं निकाली जा सकी. हर साल की तरह भक्तों को इस बार भगवान का रथ खींचने का सौभाग्य नहीं मिला.

मंदिर के पुजारी और भक्त बताते हैं कि जगन्नाथपुर मंदिर के 329 वर्षों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब भगवान अपनी मौसी के घर नहीं जा सके. सामान्य स्थिति रहने पर रथयात्रा और मेले में सुबह चार बजे से ही भक्तों का कारवां मंदिर पहुंचने लगता था. लेकिन पहली बार ऐसी लाचारी थी कि भीड़ न हो, इसे रोकने के लिए पुलिस बल की व्यवस्था की गयी थी. जगन्नाथपुर मंदिर और उस इलाके की रौनक गायब रही. दुकानें नहीं सजीं.

जहां मेले में उमड़नेवाली भीड़ में तिल रखने की जगह नहीं होती थी, वहां विरानी थी. जगन्नाथपुर मंदिर परिसर में सुबह छह बजे पूजा अर्चना हुई. गर्भगृह से निकाल भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा को मंदिर परिसर के ही डोल मंडप में विराजमान किया गया. भगवान के दर्शन को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, सांसद संजय सेठ व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय पहुंचे.

  • 1000 से ज्यादा दुकानें सजती हैं हर बार मेले में, इस बार करोड़ों के कारोबार का नुकसान

  • लाखों लोग पहुंचते थे मेला देखने के लिए, दूसरे राज्यों से आते थे व्यवसायी व खरीदार

  • भगवान जगन्नाथ, बलराम व सुभद्रा की मंदिर परिसर के डोल मंडप में ही हुई पूजा

भारी मन से रथयात्रा रोकने का लिया निर्णय, संक्रमण से बाहर निकालने की राह दिखायें भगवान : हेमंत

राज्य और देश सहित पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से प्रभावित है. ऐसी स्थिति में भारी मन से सदियों से चली आ रही प्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा स्थगित करने का निर्णय लेना पड़ा. ऐसे तो पिछले कुछ महीनों में कई त्योहार आये और चले गये. सभी वर्ग के लोगों ने लॉकडाउन की इस घड़ी में त्योहारों के समय लिये गये निर्णय पर भावनात्मक सहयोग देते हुए समाज के साथ खड़ा रहने का साहस दिखाया है. ये बातें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कही. श्री सोरेन रथयात्रा के अवसर पर जगन्नाथपुर स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में पूजा करने के बाद संवाददाताओं के सवालों का जवाब दे रहे थे.

राज्यवासियों के सहयोग से झारखंड संक्रमण से बाहर निकलने की राह पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आज पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है. अपने-अपने आस्था के अनुरूप लोग भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में शामिल होते रहे हैं. परंतु इस वर्ष रथयात्रा कार्यक्रम नहीं हो पाया है, इसके लिए मैंने शीश झुकाकर प्रभु से क्षमा मांगी है. हम सभी प्रभु जगन्नाथ से यह प्रार्थना करते हैं कि राज्य, देश सहित पूरे विश्व में संक्रमण से बाहर निकलने के लिए जो उपाय किये जा रहे हैं, वे कारगर साबित हों.

ऐतिहासिक जगन्नाथ रथ यात्रा हुई शुरू : पुरी. कोरोना वायरस के मद्देनजर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बिना कड़ी सुरक्षा के बीच मंगलवार को भगवान जगन्नाथ की ऐतिहासिक रथ यात्रा शुरू हुई़ सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ वार्षिक यात्रा का आयोजन करने की अनुमति दे दी थी.

Post by : Pritish Sahay

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