रांची : झारखंड में कोरोना के संक्रमण से होने वाली मौतों के बाद शव ले जाने के लिए होने वाली मनमानी पर सरकार ने रोक लगा दी है. झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने शव वाहन का अधिकतम किराया 500 रुपये तय कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग ने एक आदेश में कहा है कि कोरोना से मौत के मामले में अक्सर देखा गया है कि निजी अस्पताल और प्राइवेट एंबुलेंस के चालक और मालिक मृतक के निकट परिजनों से मनमाना किराया वसूल रहे थे. इस मामले में मनमानी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी.
झारखंड सरकार के स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग ने बुधवार (2 सितंबर, 2020) को जारी अपने आदेश में कहा है कि कोई भी निजी अस्पताल या एंबुलेंस का संचालन करने वाला व्यक्ति या संस्था कोरोना से मरने वालों के शव ले जाने के लिए मनमाना किराया नहीं वसूल पायेंगे. विभाग ने कोरोना के इलाज की तरह शव ले जाने के लिए भी किराया तय कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि कोई भी शव वाहन 500 रुपये से अधिक चार्ज नहीं करेगा.
हालांकि, इसमें कुछ अन्य खर्चों को भी जोड़ा गया है. आदेश के मुताबिक, अस्पताल ड्राइवर के लिए पीपीई किट की कीमत 700 रुपये ले सकेंगे. यदि मृतक के परिजन पीपीई किट उपलब्ध करवाते हैं, तो उसका चार्ज अस्पताल उनसे नहीं ले सकेंगे. संबंधित अस्पताल की जिम्मेदारी होगी कि वह शव ले जाने वाले वाहन को सैनिटाइज करवाये. इसके लिए अधिकतम 200 रुपये परिजनों से अस्पताल चार्ज करेंगे.
स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि 10 किलोमीटर की दूरी तक यदि शव ले जाना है, तो गाड़ी का किराया अधिकतम 500 रुपये ही होगा. यदि शव को इससे ज्यादा दूर ले जाना है, तो 10 किलोमीटर के बाद प्रति किलोमीटर 9 रुपये की दर से ट्रांसपोर्टेशन चार्ज मृतक के परिजन को देना होगा. जाने और आने दोनों का खर्च मृतक के परिजनों को वहन करना होगा.
स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि मुश्किल वक्त में लोगों और संस्थानों को संवेदनशील होना होगा. संकट की इस घड़ी में पीड़ितों का दोहन बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों के सिविल सर्जन से कहा है कि वे नियमों को सख्ती से लागू करवायें. सरकार की ओर से जारी नियमों और दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी.
सरकार के आदेश में कहा गया है कि यदि कोरोना से मरने वाले व्यक्ति के परिजन चाहें, तो वह मेडिकल कॉलेज के सुपरिटेंडेंट या जिला के सिविल सर्जन से मोक्ष वाहन की व्यवस्था करने का आग्रह कर सकते हैं. उन्हें इसकी सुविधा उपलब्ध करवायी जायेगी. यहां तक कि जिला के बाहर शव ले जाना हो, तो उसकी भी व्यवस्था की जायेगी.
यदि कोरोना से हुई मौत के मामले में मृतक का परिजन शव लेने नहीं आता है या शव पर दावा नहीं करता है, तो जिला प्रशासन 24 घंटे के अंदर कोविड-19 के मानकों का पालन करते हुए शव का अंतिम संस्कार करवायेगा.
प्राइवेट या सरकारी, जिस अस्पताल में कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत हुई है, उसे शव को 4 दिन तक अपने यहां सुरक्षित रखेगा और उसके लिए मृतक के परिजन से कोई शुल्क नहीं लेगा. 5वें दिन से 500 रुपये प्रतिदिन की दर से चार्ज कर सकेगा, जब तक कि परिजन शव ले जाने के लिए वाहन का इंतजाम नहीं कर लेते.
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यदि मृतक का परिवार बार-बार की कोशिशों के बावजूद शव ले जाने के लिए वाहन का इंतजाम नहीं कर पाता है और मोक्ष वाहन की सुविधा नहीं लेना चाहता, तो संबंधित अस्पताल के प्रबंधन को इमरजेंसी एंबुलेंस को छोड़कर किसी अन्य वाहन का इंतजाम करना होगा.
Posted By : Mithilesh Jha
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