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Ranchi News: सरकारी अस्पतालों में भर्ती Corona Patient स्वस्थ होने के बाद भी नहीं छोड़ रहे बेड, गंभीर रोगियों को नहीं मिल रही जगह, सिविल सर्जन लगा रहें गुहार

Corona Jharkhand Update, Ranchi News, Corona Patient, Sadar Hospital, RIIMS: सरकारी अस्पतालों में भर्ती कोरोना के मरीज हालत बेहतर होने पर भी आइसीयू का बेड छोड़ने को तैयार नहीं हैं. ताजा मामले में सदर अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य के बावजूद जबरन आइसीयू बेड पर कब्जा जमाये मरीजों को प्रशासन ने जबरन बाहर किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 25, 2021 1:03 PM
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रांची: सरकारी अस्पतालों में भर्ती कोरोना के मरीज हालत बेहतर होने पर भी आइसीयू का बेड छोड़ने को तैयार नहीं हैं. ताजा मामले में सदर अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य के बावजूद जबरन आइसीयू बेड पर कब्जा जमाये मरीजों को प्रशासन ने जबरन बाहर किया.

प्रभात खबर को मरीजों द्वारा जबरन आइसीयू के बेड पर कब्जा जमाने की शिकायत मिली थी. प्रभात खबर ने इसकी सूचना उपायुक्त छवि रंजन को दी. उपायुक्त ने तत्काल संज्ञान लेते हुए एसडीओ को जांच के लिए भेजा. इसमें पता चला कि आइसीयू में भर्ती करीब दर्जन भर मरीज स्थिति बेहतर होने के बाद भी बेड खाली नहीं कर रहे हैं. एसडीओ के आग्रह के बाद भी कई मरीजों ने रिपोर्ट निगेटिव आने तक बेड छोड़ने से मना किया. इसके बाद कड़ा रुख अपनाते हुए मरीजों को वहां से अन्यत्र शिफ्ट किया गया.

चार संक्रमितों की मौत: अस्पताल में जरूरत नहीं होने के बावजूद बेड पर कब्जा जमाये लोगों के कारण दूसरी गंभीर मरीजों को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है. उचित सुविधा नहीं मिलने के कारण शनिवार को दोपहर 12 बजे तक सिर्फ सदर अस्पताल में चार संक्रमितों की मौत हो चुकी थी. प्रभात खबर लोगों से अपील करता है कि दूसरों की परेशानी का ध्यान रखें. डॉक्टर की सलाह के मुताबिक व्यवहार करें.

उपायुक्त ने 13 अप्रैल को ही दिया था निर्देश: 13 अप्रैल को इस तरह की शिकायत मिलने पर उपायुक्त छवि रंजन ने सदर अस्पताल का दौरा किया था. तब उन्होंने निरीक्षण के दौरान वीआइपी व आम कोरोना संक्रमितों के बीच भेदभाव नहीं करने की बात कही थी. साथ ही उन्होंने निर्देश दिया था कि वार्ड में भर्ती जो मरीज ठीक हो चुके हैं और जिनका इलाज घर में रहकर हो सकता है, उनसे तुरंत बेड खाली कराया जाये.

सिविल सर्जन को लगानी पड़ी गुहार: एसडीओ उत्कर्ष गुप्ता ने सदर अस्पताल के ड्यूटी डॉक्टरों से कहा कि वैसी मरीजों के बेड को चिह्नित करें, जिन्हें अब इलाज की जरूरत नहीं है. शुक्रवार देर रात ठीक इसी तरह का मामला आया था, जब कोरोना संक्रमित और उनके परिजन अस्पताल के ड्यूटी डॉक्टर और अन्य स्टाफ से उलझ गये. कुछ इसी तरह की नौबत शनिवार देर शाम आयी. इसके बाद सिविल सर्जन ने बेड खाली कराने के लिए उपायुक्त से मदद की गुहार लगायी.

केस स्टडी: कोरोना संक्रमित मुकेश चौधरी को 15 अप्रैल को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन, बेड के अभाव में गंभीर स्थिति के बावजूद उन्हें आइसीयू में जगह नहीं मिल सकी. इधर, शनिवार को 60 बेड वाले आइसीयू में दो संक्रमित ऐसे हैं, जो बिल्कुल ठीक हैं और जिनका ऑक्सीजन लेवल लगातार 98 के आसपास रह रहा है.

कोरोना के नये स्ट्रेन को लेकर लोगों में पैनिक स्थिति है. संक्रमित होने के बाद लोग डर जा रहे हैं. उन्हें लगता है अगर उनसे यह जगह छिन गयी तो वापस बीमार पड़ने पर उन्हें इस तरह की सुविधाएं मिल पायेंगी भी या नहीं. टेली काउंसेलिंग के जरिये मन में बैठा यह भय काफी हद तक दूर किया जा सकता है.

डॉ सिद्धार्थ, सीनियर कंसल्टेंट, न्यूरो साइकेट्रिस्ट, रिनपास

Posted By: Sumit Kumar Verma

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