Fact Check: क्या रांची में खुला पहला Corona स्कूल? जानें इस वायरल तस्वीर की सच्चाई
corona school opened in Ranchi, coronavirus fact check no fake news क्या रांची में खुला पहला कोरोना स्कूल? कैसे होगी यहां पढ़ाई, क्या होगी विशेष व्यवस्था आईये जानते हैं. दरअसल, इन दिनों सोशल मीडिया में एक तस्वीर जोर-शोर से वायरल हो रही है, जिसमें साफ-साफ लिखा है "कोरोना यूनिवर्सल स्कूल".
क्या रांची में खुला पहला कोरोना स्कूल? कैसे होगी यहां पढ़ाई, क्या होगी विशेष व्यवस्था आईये जानते हैं. दरअसल, इन दिनों सोशल मीडिया में एक तस्वीर जोर-शोर से वायरल हो रही है, जिसमें साफ-साफ लिखा है “कोरोना यूनिवर्सल स्कूल”.
दरअसल, तस्वीर में एक बिल्डींग दिख रही है और उसके आगे एक बैनर लगा दिख रहा जिसमें उपर की ओर लिखा है “कोरोना यूनिवर्सल स्कूल” और उसके नीचे लिखा है “बेबी नर्सरी टू क्लास 10”, जिसका मतलब है कि यहां नर्सरी से दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है.
उस बैनर में नीचे की ओर इस स्कूल का पता और मोबाइल नंबर भी दिया हुआ है. जब हमने इसकी पड़ताल की तो मालूम चला यह तस्वीर बिल्कुल सही है. वहीं, कॉल करने पर इस स्कूल के प्रिंसिपल ने फोन उठाते हुए बताया कि आपके भी संज्ञान में यह स्कूल आया है? प्रधानाचार्य की बातों से साफ समझा जा सकता था कि इसे लेकर उनके पास कई कॉल पूर्व में भी आ चुके हैं. खैर, उन्होंने विस्तार से समझाते हुए एक पीडीएफ उपलब्ध कराया जिसमें इसकी पूरी जानकारी दी हुई थी.
दरअसल, उस पीडीएफ में कोरोना का सही मतलब, यह स्कूल कब से चल रहा है, पहले इसका क्या नाम था, कब इसका नाम बदला गया आदि सभी जानकारियां मौजूद थी.
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जानें कोरोना का अर्थ
कोरोना एक लैटिन शब्द है जिसका मतलब अंग्रेजी में CROWN और हिंदी में मुकुट होता है. वहीं, यूनिवर्सल का मतलब अंग्रेजी में “common to all” या “covering all a whole” होता है.
क्यों और कब इस स्कूल का रखा गया यह नाम
स्कूल प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार इस विद्यालय का ऐसा नाम रखने के पीछे मकसद था इन दोनों शब्दों में छिपा अर्थ. दरअसल, उनके अनुसार इसका अर्थ है, एक ऐसा विद्यालय जहां अमीर-गरीब सभी के लिए एक समान व्यवहार और अवसर उपलब्ध हो पाएं.
उन्होंने बताया कि “कोरोना यूनिवर्सल स्कूल एजुकेशन ट्रस्ट” 2016 से ही रजिस्टर्ड है और इसके दो और शाखा संचालित है. पहला पंडरा, दूसरा मनातू व तीसरा अरगोड़ा में है. इससे पहले यह क्राउन पब्लिक स्कूल के नाम से जाना जाता था. उन्होंने कहा कि यह महज इत्तेफाक है कि वैश्विक महामारी कोरोना भी इसी नाम से प्रसिद्ध हो गयी.
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विनाशकारी वायरस का नाम इतना सुंदर क्यों रखा गया
आगे मिली जानकारी के अनुसार, इस विनाशकारी वायरस का नाम इतना सुंदर क्यों रखा होगा. दरअसल, उन्होंने बताया कि जिस तरह तूफान नरगीस का नाम लिल्ली रखा गया, वहीं, तूफान हुद-हुद का नाम एक पक्षी पर रखा गया. उसी तरह विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना को मुकूट के नाम पर रखा. इसके पीछे वैज्ञानिकों की मनोवैज्ञानिक मंशा होती है. यही कारण है कि आपदाओं को और भयानक न दिखाया जाए और इससे लोग कम भयाक्रांत हो, इसलिए इसका ऐसा नामांकरण किया जाता है. उन्होंने बताया कि आपदाओं का सुंदर नाम देकर इसकी विकरालता को कोमलता से प्रस्तुत करने की कोशिश की जाती है.
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यूजर्स कमेंट
आपको बता दें कि इस पोस्ट को फेसबुक यूजर अक्षय पाठक ने शेयर किया था. जिसे लेकर लोगों ने एक से एक रिएक्शन दिए हैं. दिलीप ने पूछा “ये कब बना”, वहीं, अक्षय ने लिखा है “ई का है बाबा”. हालांकि, कुछ यूजर्स को इसकी जानकारी थी. उन्होंने कमेंट बॉक्स में भी इसके बारे में बताया है. अरविंद, रवि, कमल, दीपक, आदित्य समेत अन्य यूजर्स ने बताया कि यह पंडरा में स्थित है.