रांची में फैला कोरोना, हुई चूक, अब रहेंगे अलर्ट -प्रभात सवाल
रांची : झारखंड में कोरोना महामारी तेज से पांव पसार रहा है़ राजधानी रांची हाॅट स्पाॅट बन गयी है़ पहले 15 दिन में एक केस के बाद अब एक दिन में 16 केस मिल रहे है़ं राजधानी का अब हर कोना, कोरोना की चपेट में है़ं इसकी वजह प्रशासनिक चूक भी रही है. स्वास्थ्य विभाग […]
रांची : झारखंड में कोरोना महामारी तेज से पांव पसार रहा है़ राजधानी रांची हाॅट स्पाॅट बन गयी है़ पहले 15 दिन में एक केस के बाद अब एक दिन में 16 केस मिल रहे है़ं राजधानी का अब हर कोना, कोरोना की चपेट में है़ं इसकी वजह प्रशासनिक चूक भी रही है. स्वास्थ्य विभाग ने भी सजगता नहीं दिखायी़ कोरोना संदिग्धों की रिपोर्ट आने से पहले ही उन्हें छोड़ दिया गया. क्वरेंटाइन में रखे गये लोगों से काम लिये गये़ ऐसे लाेग दूसरों के संपर्क में आये और मामला बिगड़ता चला गया़ प्रभात खबर ने इस मामले में जवाबदेह लोगों से उनकी राय जाननी चाही तथा उनसे दो सवाल किये गये़
प्रभात सवाल 1 क्या हर स्तर पर हुई चूक
2़ रिपोर्ट आने से पहले संदिग्ध छोड़ दिये जा रहे है़ं ऐसे लोगों ने कोरोना फैलाया़
थोड़ी चूक तो हुई, अब ध्यान रखने की जरूरत (मंत्री बन्ना गुप्ता का जवाब)
जवाब 1 क्या हर स्तर पर चूक हुई है मंत्री : थोड़ी चूक तो हुई है़ दरअसल यह नये किस्म की ऐसी महामारी है, जिसमें काफी ध्यान रखने की जरूरत है़ पूरी रणनीति के साथ इससे लड़ना होगा. आज सभी विभागों की मीटिंग हुई थी़ वर्तमान परिस्थिति में समन्वय के साथ काम करने की जरूरत है. पूरी सावधानी से काम करने की जरूरत है़
जवाब 2़ रिपोर्ट आने से पहले संदिग्ध छोड़ दिये जा रहे है़ं ऐसे लोगों ने कोरोना फैलाया़ मंत्री : इस मामले में चूक हुई है़ एक दो केस में लापरवाही बरती गयी़ विभाग को इस दिशा में कड़े निर्देश दिये गये है़ं आने वाले समय में ध्यान रखने को कहा गया है़ इस तरह की गलती नहीं होनी चाहिए़
अपना सैंपल खुद देकर घर चले जाने वालो की सूचना नहीं मिलती : डीसी
रांची : कोरोना के संदिग्ध मरीजों के सैंपल लेने के बाद उन्हें क्वारेंटाइन नहीं करने के बजाय उन्हें छोड़ देने के सवाल पर उपायुक्त राय महिमापत रे ने कहा कि प्रशासन को जो भी संदिग्ध लगता है. उसकी हम जांच कराते हैं. गंभीर मामले में अस्पताल में भर्ती करवाते हैं. वहीं नॉर्मल रहने पर उसे क्वारेंटाइन किया जाता है, छोड़ा नहीं जाता. लेकिन ऐसे लोगों की संख्या भी अधिक है. जो खुद जाकर अस्पतालों में सैंपल देकर वापस घर आ जाते हैं. ऐसे लोगों की कोई सूचना प्रशासन को नहीं मिलती. सैंपल देने वाले ऐसे लोग बाहर घूमते रहते हैं. इसी में से जब कुछ लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो फिर इसकी सूचना हमें दी जाती है. तब प्रशासन तत्काल जरूरी कदम उठाता है.
देवघर गम्हरिया निवासी एक व्यक्ति को देवघर स्थित आइसोलेशन वार्ड में रखा गया. जांच रिपोर्ट आने से पहले ही उसे घर भेज दिया गया. जब जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आयी, तो स्वास्थ्य पदाधिकारियाें की नींद खुली तथा उसे दोबारा घर से आइसोलेशन में लाकर भर्ती किया गया. वह अपने घर जाकर अपने परिवार से घुलमिल गया. उसके साथ परिजनों को भी साथ लाया गया.
रांची के कांटाटोली चौक स्थित नेताजी नगर में रेंट पर रहने वाले एक लैब संचालक के साथ भी स्वास्थ्य पदाधिकारियों ने एेसा ही किया. दोबारा लॉकडाउन से पहले वह बंगाल स्थित बहरागोड़ा होते हुए बंगाल स्थित अपने गांव गया. वहां से लौटकर वह शहर में घुमता रहा. मौलाना आजाद कॉलोनी के दो लोगों का सैंपल लिया. वहीं काेकर स्थित एक दवा दुकान में जाकर वहां भी जांच के लिए कई लोगों का सैंपल लिया. इसी दौरान उसने रिम्स जाकर कोरोना की जांच के लिए अपना खुद का सैंपल भी दे आया. वहां सैंपल लेने के बाद भी उसे रोका नहीं गया. वह आराम से लैब परिसर में आकर रहा तथा कई लोगों के संपर्क में आया.