कोरोना का टेस्ट कितना सटीक! जानें, आरटी- पीसीआर, रैपिड एंटीजन, ट्रू नेट और एंटी बॉडी टेस्ट में क्या है अंतर
झारखंड में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. वहीं राज्य में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमितों की संख्या रांची जिला में है. विशेषज्ञों का कहना है कि जांच की संख्या बढ़ाकर ही संक्रमण को कम किया जा सकता है.
झारखंड में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. वहीं राज्य में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमितों की संख्या रांची जिला में है. विशेषज्ञों का कहना है कि जांच की संख्या बढ़ाकर ही संक्रमण को कम किया जा सकता है. जांच के बाद चिन्हित कर लोगों का इलाज किया जा सकता है. इससे वायरस के प्रसार पर रोक लगेगी. साथ ही संक्रमण से होने वाली मौत को भी कम किया जा सकता है. डब्ल्यूएचओ भी लगातार आगाह कर रहा है कि कोरोना से बचाव के लिए जांच ही सबसे बड़ा विकल्प है. इसलिए कोरोना की कौन सी प्रमुख जांच है? कहां-कहां इसकी सुविधा है? इसपर कितना खर्च आता है? इसपर पढ़िए राजीव पांडेय की रिपोर्ट.
राजधानी में रिम्स और पांच निजी लैब में हो रहा है आरटी-पीसीआर टेस्ट
रिम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में आरटी-पीसीआर टेस्ट की सुविधा है. यह नि:शुल्क है. जांच की रिपोर्ट 24 से 48 घंटे में दी जा रही है. जांच के लिए रिम्स व सदर अस्पताल में सैंपल लिया जाता है. वहीं शहर केे पांच निजी जांच लैब भी आरटी-पीसीआर की जांच कर रहे हैं. यहां सरकार ने जांच की दर 2400 रुपये निर्धारित कर दी है. निजी लैब में डॉ एस शरण लैब, मेडिका, पाथकाइंड, माइक्रोप्रैक्सिस, डॉ एस शरण लैब, डॉ लाल पैथोलॉजी शामिल हैं.
सदर अस्पताल और रिम्स में ट्रू नेट से कोरोना की जांच की जा रही है
सदर अस्पताल और रिम्स में ट्रू नेट से कोरोना की जांच की जा रही है. सदर अस्पताल में ट्रू नेट की 14 मशीन लगायी गयी है़ इसमें प्रतिदिन 160 से 180 सैंपल की जांच की जा रही है. वहीं रिम्स में प्रतिदिन करीब 30-40 सैंपल की जांच हो रही है. इसके अलावा डोरंडा औषधालय, सीसीएल में जांच की सुविधा है. ब्लॉक में भी जांच शुरू की जा रही है. अनगड़ा ब्लॉक में मशीन मंगा ली गयी है. इंस्टाॅलेशन का काम चल रहा है.
क्यों करते हैं : वायरस की आरएनए जांच के लिए
जांच का तरीका : नाक या गले से स्वाब लिया जाता है
एक्यूरेसी : 72-84 %
खर्च : 2400 रुपये (झारखंड में तय)
रिपोर्ट का समय : 08 से 12 घंटा
आरटी-पीसीआर (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज चेन रिएक्शन) जांच में व्यक्ति के नाक या लार के कण को स्वाब के माध्यम से लिया जाता है. आरटी-पीसीआर से वायरस के आरएनए जीनोम का पता चलता है. यानी इस जांच से यह पता लगाया जा सकता है कि शरीर में वायरस है या नहीं. इस जांच में ट्रेंड टेक्नीशियन व बेहतर लैब की जरूरत होती है.
यह अन्य जांच से महंगा है. इस टेस्ट की विश्वसनीयता 72-84 % तक है. अब आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए अत्याधुनिक मशीन लायी जा रही है. इसमें आरएनए को अलग करने की सुविधा है. इससे जांच की विश्वसनीयता बढ़ती है. साथ ही समय अवधि में कमी आती है.
ट्रू नेट जांच
कोरोना से पहले इस मशीन का उपयोग टीबी जांच के लिए होता था. जानकारों के अनुसार न्यूक्लियर एम्प्लीफाइड से संक्रमण की जांच की जाती है. इस मशीन से एचआइवी संक्रमण की भी जांच की जाती है. वर्तमान समय में कोरोना का स्क्रीन टेस्ट किया जा रहा है. इसकी जांच से काफी हद तक कोरोना के संक्रमण को पता लगाया जा सकता है.
हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार ट्रू नेट की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर इसे पॉजिटिव मान कर ही इलाज शुरू किया जा रहा है. कोरोना संक्रमितों काे भर्ती कर इलाज करने के बाद ट्रू नेट से जांच कर निगेटिव रिपोर्ट आने पर छुट्टी दी जा रही है. इस जांच की विश्वसनीयता 65-75 फीसदी मानी जा रही है.
क्यों करते हैं : डीएनए और आरएनए की जांच
जांच का तरीका : नाक या गले से स्वाब लिया जाता
एक्यूरेसी : 65-75 फीसदी
खर्च : सरकार वहन कर रही है
रिपोर्ट का समय : 2:30-03 घंटे
सदर अस्पताल और रिम्स में ट्रू नेट से कोरोना की जांच की जा रही है
सदर अस्पताल और रिम्स में ट्रू नेट से कोरोना की जांच की जा रही है. सदर अस्पताल में ट्रू नेट की 14 मशीन लगायी गयी है़ इसमें प्रतिदिन 160 से 180 सैंपल की जांच की जा रही है. वहीं रिम्स में प्रतिदिन करीब 30-40 सैंपल की जांच हो रही है. इसके अलावा डोरंडा औषधालय, सीसीएल में जांच की सुविधा है. ब्लॉक में भी जांच शुरू की जा रही है. अनगड़ा ब्लॉक में मशीन मंगा ली गयी है. इंस्टाॅलेशन का काम चल रहा है.
क्यों करते हैं : कोरोना वायरस की जांच के लिए
जांच का तरीका : नाक से स्वाब लिया जाता है
एक्यूरेसी : 25 से 30 % मामले में रिपोर्ट गलत हो सकती है
खर्च : 500-550 रुपये
रिपोर्ट का समय : 45-60 मिनट
रैपिड एंटीजन जांच से शरीर में एंटीजन की गणना की जाती है. इसके लिए नाक से स्वाब लिया जाता है. एंटीजन टेस्ट पर 500-550 रुपये खर्च होते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार रैपिड एंटीजन की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव हो, तो इसकी विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता. रिपोर्ट पाॅजिटिव आने पर व्यक्ति को संक्रमित माना जाता है.
हालांकि 25-30 % फीसदी मामलों में इसकी रिपोर्ट गलत हो सकती है, लेकिन यह निगेटिव रिपोर्ट होने पर ही संभव है. अगर व्यक्ति में लक्षण है और उसकी जांच रिपोर्ट निगेटिव है, तो आरटी-पीसीआर जांच करा कर अवश्वस्त हो लेना चाहिए.
एंटी बॉडी टेस्ट
इसकी जांच खून के सैंपल से होती है. कोरोना से स्वस्थ लोगों में इस जांच से पता लगाया जाता है कि संक्रमण के विरुद्ध शरीर में एंटी बॉडी तैयार हुई है या नहीं. एंटी बॉडी सामान्य तौर पर प्रोटीन होती है, जो शरीर में स्वयं तैयार होती है. इससे बैक्टीरिया व वायरस की पहचान होती है. इसे सुरक्षा तंत्र भी कहा जाता है.
एंटी बॉडी शरीर में होनेवाली बीमारियों से बचाती है़ इस जांच से पता चलता है कि पूर्व में व्यक्ति किस वायरस से संक्रमित था. स्वस्थ होने पर व्यक्ति में एक सप्ताह बाद उस वायरस से लड़ने के लिए एंटी बॉडी तैयार होने लगती है. 14 दिनों के अंदर व्यक्ति में एंटी बॉडी पूरी तरह तैयार हो जाती है. जांच में इसकी जानकारी हो जाती है, जिसका उपयोग अन्य संक्रमित व्यक्ति को स्वस्थ करने में किया जा सकता है.
क्यों करते हैं : शरीर में एंडीबॉडी का पता चलता है
जांच का तरीका : खून के सैंपल से जांच होती है
एक्यूरेसी : कोरोना वायरस की मौजूदगी का सीधा पता नहीं चलता, सिर्फ यह बताता है व्यक्ति को कभी इंफेक्शन हो चुका है
खर्च : 500 रुपये
रिपोर्ट का समय : 25-30 मिनट
कहते हैं एक्सपर्ट : कोरोना की जांच में सबसे ज्यादा विश्ववसनीय आरटी-पीसीआर को माना जाता है. इसके बाद ट्रूनेट की जांच को बेहतर माना जा सकता है. रैपिड एंटीजन टेस्ट से स्क्रीनिंग की जा सकती है. इससे फैलाव को रोका जा सकता है, लेकिन राज्य में इसकी अनुमति सरकारी स्तर पर है.
डॉ पूजा सहाय, माइक्रोबायोलॉजिस्ट
कोरोना की जांच में आरटी-पीसीआर की जांच बेहतर है. इसमें आरएनए काे अलग कर दिया जाता है, जिससे रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन का उपयोग किया जाता है. इसकी एक्यूरेसी ज्यादा है. यह जांच काफी विश्वसनीय है. ट्रू नेट जांच भी बेहतर है. रैपिड एंटीजन से मास लेवल पर जांच कर स्क्रीनिंग की जा सकती है.
डॉ शिप्रा शरण, पैथोलॉजिस्ट
Post By : Pritish Sahay