रांची : कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया में है. ऐसे में राज्य सरकार उन बीमारियों से भी लड़ रही है जिसका असर लंबे समय से रहा है. झारखंड सरकार ने राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य के 13 जिलो में 10 अगस्त से एमडीए राउंड अभियान प्रारंभ किया है.
इस अभियान के जरिये 13 जिलों में 12 जिले (गोड्डा, गिरिडीह, रांची, खुंटी, गुमला, हजारीबाग, गरवा, चतरा, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, देवघर और दुमका) में दो फ़ाइलेरिया रोधी दवाओं, डीईसी और अल्बेन्डाजोल के साथ एमडीए राउंड चलाया जाना है और सिमडेगा जिले में तीन प्रकार की फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं आईवरमेक्टिन, डीईसी और अल्बेन्डाजोल (आईडीए) के साथ एमडीए राउंड चलाया जायेगा.
झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कार्यक्रम का उदघाटन सोशल मीडिया के माध्यम से करते हुए कहा, “झारखण्ड सरकार हर नागरिक तक स्वास्थ्य सुविधायों को पहुचाने के लिए वचनबद्ध है. इस अभियान के दौरान कोविड-19 के मद्देनजर सोशल डिस्टेसिंग और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जायेगा और तय मानकों के अनुसार प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा दवा खिलाया जायेगा.
उदघाटन समारोह में राज्य कार्यक्रम अधिकारी वेक्टर बोर्न डिजीजेज़ डॉ.बी. मरांडी, अध्यक्ष इंडियन मेडिकल एसोसिएशन झारखण्ड डॉ. शम्भू प्रसाद, अध्यक्ष इंडियन एकेडमी ऑफ़ पीडियाट्रिक्स, डॉ. सुधीर मिश्र, विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य एनटीडी समन्वयक डॉ, देवेन्द्र सिंह तोमर ने भी फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत लोगों से लिम्फैटिक फाइलेरियासिस से बचाव के लिए दवा खाने का अनुरोध किया .
कोलेबिरा के विधायक नमन बिक्सल कोंगाड़ी एवं सिमडेगा के विधायक भूषण बारा ने भी वीडियो के माध्यम से सन्देश दिया कि सभी लोग आगामी 10 अगस्त से प्रारंभ होने वाले एमडीए अभियान में एमडीए दवाइयों यानि फ़ाइलेरिया रोधी दवाइयों का सेवन सुनिश्चित करें. फाइलेरिया या हाथीपांव, रोग देश के 16 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्या है .
यह एक घातक रोग है जिसके कारण शरीर के अंगों में सूजन आती है, हालांकि इस रोग से आसानी से बचा जा सकता है . यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है . आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है .
फाइलेरिया से जुड़ी विकलांगता जैसे लिंफोइडिमा (पैरों में सूजन) और हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन) के कारण पीड़ित लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है . एमडीए अभियान के अंतर्गत, फाइलेरिया रोधी दवा की एकल खुराक 10 से 20 अगस्त के दौरान ऊपर बताये गए जिलों के सभी आंगनवाडी केन्द्रों, वार्ड कार्यालयों, स्वास्थ्य उपकेंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर पहले 3 दिन खिलाई जाएगी .
जो व्यक्ति, इन तिथियों में किसी कारणवश दवा खाने से वंचित रह जायेंगे , उन्हें शेष दिनों में (13 से 20 अगस्त तक) घर- घर जाकर दवा खिलाई जाएगी . इस अभियान में फाइलेरिया से मुक्ति के लिए 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर सभी लोगों को उम्र के अनुसार डाइथेलकार्बामोजाइन साइट्रेट (डीईसी) और अलबेंडाजोल की निर्धारित खुराक प्रशिक्षित स्वस्थ्यकर्मियों द्वारा बिलकुल मुफ्त खिलाई जाएगी . फाइलेरिया से बचाव के साथ ही एमडीए दवाइयों से कई दूसरे लाभ भी हैं, जैसे यह आंत के कृमि का भी इलाज करती है जिससे ख़ासकर बच्चों के पोषण स्तर में सुधार आता है और उनके शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिलती है .
Posted By – Pankaj Kumar Pathak