कोरोना का असर : नगर निकायों के बाद अब पंचायत चुनाव भी टलना तय
झारखंड में नगर निकायों के बाद अब त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव टलना भी लगभग तय है. इसी वर्ष नवंबर माह में पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. पूर्व में दिसंबर में चुनाव प्रस्तावित था
रांची : झारखंड में नगर निकायों के बाद अब त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव टलना भी लगभग तय है. इसी वर्ष नवंबर माह में पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. पूर्व में दिसंबर में चुनाव प्रस्तावित था. लेकिन, कोविड-19 के संक्रमण का भय और राज्य निर्वाचन आयुक्त के रिक्त पद की वजह से चुनाव की प्रक्रिया अभी शुरू भी नहीं हो सकी है. चुनाव के पहले आयोग क्षेत्रों का परिसीमन करता है. नया वोटर लिस्ट तैयार किया जाता है. कोटिवार आरक्षण तय होता है.
मतदाताओं से आपत्तियां भी आमंत्रित कर उनका निराकरण किया जाता है. यह पूरी प्रक्रिया तय करने में करीब छह माह का समय लगता है. फिलहाल, राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद रिक्त है. ऐसे में आयोग पूरी तरह ठप है. चुनाव की तैयारी पर ब्रेक लगा हुआ है. राज्य सरकार द्वारा आयुक्त की नियुक्ति के बाद ही चुनाव पूर्व तैयारी की गाड़ी आगे बढ़ेगी.
इस साल चुनाव की उम्मीद नहीं : कोविड संक्रमण को देखते हुए राज्य में पंचायत चुनाव इस वर्ष संभव नहीं है. जानकार राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के बाद तैयारी पूरी करने के बाद भी चुनाव संपन्न कराने में कम से कम छह महीने का समय लगने की संभावना जताते हैं. उनका कहना है कि मार्च 2021 तक चुनाव कराना संभव नहीं लग रहा है. कोविड-19 के संक्रमण की स्थिति सामान्य होने पर चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ायी जा सकती है.
अधिकारियों के हाथ होगी गांवों के विकास की डोर : नवंबर में पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल पूरा होने के बाद राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की डोर अधिकारियों के हाथ में चली जायेगी. कार्यकाल पूरा होने के बाद वार्ड सदस्यों से लेकर मुखिया व जिला परिषद सदस्यों की शक्ति समाप्त हो जायेगी.
उसके बाद वार्ड या ग्राम स्तर पर विकास योजनाओं का चयन, क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग का पूरा कार्य अधिकारियों को सौंप दिया जायेगा. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि राज्य के 14 नगर निकायों का चुनाव पहले ही स्थगित किया जा चुका है. फिलहाल, निकायों में भी अधिकारियों को विकास की बागडोर सौंपी गयी है.
राज्य निर्वाचन आयुक्त की रेस में हैं बीके त्रिपाठी : राज्य निर्वाचन आयुक्त बनने की रेस में पूर्व आइएएस अधिकारी बीके त्रिपाठी सबसे आगे बताये जाते हैं. एनएन पांडेय की सेवानिवृत्ति के बाद पिछले एक महीने से यह पद रिक्त है. सोरेन परिवार से नजदीकी की वजह से श्री त्रिपाठी को इस पद के लिए सबसे सशक्त उम्मीदवार बताया जा रहा है. हालांकि, अब तक श्री त्रिपाठी को राज्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त करने से संबंधित कोई फाइल आगे नहीं बढ़ी है.
Post by : Pritish Sahay