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कोरोना के तीसरी लहर से लड़ने के लिए झारखंड कितना है तैयार, बच्चों को स्वास्थ्य रखने के लिए कौन सी डाइट है कितना जरूरी, यहां जानें सब कुछ

रांची. कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में राष्ट्रीय स्तर पर चिंता है, लेकिन झारखंड ने इससे निबटने का पूरा खाका तैयार कर लिया है. कोरोना की दूसरी लहर में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों की पॉजिटिविटी दर का आकलन कर आधारभूत संरचना सुदृढ़ की जा रही है. मेडिकल कॉलेज, सदर अस्पताल, पीएचसी व सीएचसी में बेड की क्षमता बढ़ायी जा रही है. सामान्य के वार्ड के अलावा आइसीयू, एचडीयू व पिक्कू वार्ड भी तैयार किये जा रहे हैं.

Corona 3rd Wave in Jharkhand रांची : कोरोना की संभावित तीसरी लहर में करीब सात लाख बच्चों के संक्रमित होने का अंदेशा लगाया गया है. हालांकि, तीसरी लहर के आने में वक्त है. ऐसे में झारखंड सरकार और स्वास्थ्य विभाग अभी से ही तैयारी में जुट गये हैं. कार्ययोजना बनायी गयी है, जिसके तहत राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल के अलावा सीएचसी स्तर पर चिकित्सा व्यवस्था को सुदृढ़ किया जा रहा है. बच्चों को उनके शहर व घर के नजदीक इलाज मिल सके, इसके लिए ‘तीसरी लहर-तैयारी, योजना और रोकथाम’ को केंद्रित करते हुए तैयारी की जा रही है. पढ़िए राजीव पांडेय की यह विशेष रिपोर्ट.

रांची. कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में राष्ट्रीय स्तर पर चिंता है, लेकिन झारखंड ने इससे निबटने का पूरा खाका तैयार कर लिया है. कोरोना की दूसरी लहर में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों की पॉजिटिविटी दर का आकलन कर आधारभूत संरचना सुदृढ़ की जा रही है. मेडिकल कॉलेज, सदर अस्पताल, पीएचसी व सीएचसी में बेड की क्षमता बढ़ायी जा रही है. सामान्य के वार्ड के अलावा आइसीयू, एचडीयू व पिक्कू वार्ड भी तैयार किये जा रहे हैं.

डॉक्टर, नर्स व पारा मेडिकल स्टाफ को आइसीयू में इलाज के लायक बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है. देश व राज्य के विशेषज्ञ डॉक्टर कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के संक्रमित होने की संभावना इसलिए व्यक्त कर रहे हैं, क्योंकि कोरोना से अधिक उम्र वाले संक्रमित हो चुके हैं और उनका टीकाकरण भी चल रहा है. तीसरी लहर के आते-आते टीका अभियान में राज्य की आबादी दो करोड़ 41 लाख 21 हजार 320 का जो लक्ष्य रखा गया, उसमें काफी प्रगति होगी. ऐसे में खतरा बच्चों पर ही रहेगा. सरकारी को इसी की चिंता है.

दूसरी लहर में 9000 बच्चे हुए थे संक्रमित इसका भी आकलन :

झारखंड में कोरोना की दूसरी लहर में बच्चों के संक्रमित होने की संख्या कम है, लेकिन 14 वर्ष से कम आयु के करीब 9000 बच्चे संक्रमित हुए हैं. विशेषज्ञ ने इसका आकलन भी किया है. बच्चों में कोरोना के अलावा मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम (एमआइएस) की बीमारी भी देखने को मिली है. वहीं, महामारी से पहले राज्य में 43 फीसदी बच्चों को किसी न किसी प्रकार से कुपोषण का शिकार पाया गया था, जो काेविड के संक्रमण के खतरे को बढ़ाता है.

18 वर्ष से नीचे 1.43 करोड़ की आबादी, सात लाख के संक्रमित होने का अनुमान

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 18 साल से नीचे एक करोड़ 43 लाख 49 हजार 680 की आबादी है, जिसमें पांच फीसदी के हिसाब से सात लाख 17 हजार 484 के संक्रमित होने का अनुमान लगाया गया है. इसमें 40 फीसदी (286994 बच्चों) के सिम्टोमैटिक होने, 82 फीसदी (235335 बच्चों) में माइल्ड केस, 15 फीसदी (43049 बच्चों) में मॉडरेट केस व तीन फीसदी (8610 बच्चों) मेें सीवियरिटी का अनुमान है.

वहीं, अगर 10 फीसदी बच्चे प्रभावित हो जाते हैं, तो 14 लाख 34 हजार 968 बच्चे संक्रमित होंगे. इसमें 40 फीसदी (573987 बच्चों) के सिम्टोमैटिक होने, 82 फीसदी (470670 बच्चों) में माइल्ड केस, 15 फीसदी (86098 बच्चों) में मॉडरेट केस व तीन फीसदी ( 17220 बच्चों) मेें सीवियरिटी का अनुमान है.

राज्य में 4520 ऑक्सीजन सपाेर्डेट बेड व 1004 आइसीयू बेड की तैयारी :

राज्य में पांच फीसदी बच्चों के संक्रमित होने के हिसाब से 717484 बच्चों के संक्रमित होने के अनुमान को देखते हुए ऑक्सीजन बेड, हाइ डिपेंडेंसी बेड व आइसीयू बेड की रूपरेखा तैयार की गयी है. इसके लिए 90 फीसदी यानी 4520 ऑक्सीजन बेड, 10 फीसदी एचडीयू यानी 502 बेड व 1004 बेड के आइसीयू तैयारी की गयी है. वहीं, अगर 10 फीसदी संक्रमित होते हैं, तो 90 फीसदी यानी 9040 ऑक्सीजन बेड, 10 फीसदी एचडीयू यानी 1004 बेड व 2009 बेड के आइसीयू की तैयारी की गयी है.

करीब सात लाख बच्चों के संक्रमित होने का अंदेशा लगाया गया है कोरोना की संभावित तीसरी लहर में

सरकार ने तैयार की गाइडलाइन

कोरोना की पहली व दूसरी लहर में रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में 139 संक्रमित बच्चों का इलाज किया गया़ इसी को अाधार बनाकर राज्य सरकार तीसरी लहर को देखते हुए तैयारी कर रही है़ आधारभूत संरचना व इलाज की गाइडलाइन बनायी गयी है़ गाइडलाइन तैयार करने में राज्य के शिशु रोग विशेषज्ञों का सहयोग लिया गया है. वहीं देश व विश्व में सेवा दे रहे राज्य के डॉक्टरों की सलाह भी ली गयी है. जानकारी के अनुसार दोनाें लहर के दौरान रिम्स में भर्ती 139 बच्चों में 90 बच्चे एसिम्टोमैटिक और 49 सिम्टोमैटिक थे. इसमें एक से पांच साल के छह बच्चे संक्रमित थे़ छह से 10 साल के नौ बच्चे, 11 से 15 साल के 26 बच्चे व 15 साल से ऊपर के नौ संक्रमित बच्चे शामिल थे़

कितना जरूरी प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट
एसिम्टोमैटिक व हल्का संक्रमण वालों का पोषण
मॉडरेट कोरोना संक्रमित
diet plan for coronavirus 3rd wave

बच्चों का पोषण

प्रोटीन 12-15 फीसदी

फैट 25-30 फीसदी

कार्बोहाइड्रेट 55-60 फीसदी

सीवियर कोरोना

संक्रमितों का पोषण

प्रोटीन 15 फीसदी से कम

फैट 25-30 फीसदी

कार्बोहाइड्रेट 50-55 फीसदी

प्रोटीन 10-12 फीसदी

फैट 25-30 फीसदी

कार्बोहाइड्रेट 55-60 फीसदी

एसिम्टोमैटिक व हल्का संक्रमण वालों का पोषण

उम्र वजन माइल्ड संक्रमित मॉडरेट संक्रमित सीवियर के के लिए कैलोरी के लिए कैलोरी लिए कैलोरी

0-6 महीना 5.4 550 605 660

6-12 महीना 8.5 670 737 804

1-3 वर्ष 11.7 1010 1111 1212

4-6वर्ष 18.3 1360 1496 1632

7-9वर्ष 25.3 1700 1870 2040

10 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए

उम्र वजन कैलोरी

10-12 वर्ष (लड़का) 36.4 2220

10-12 वर्ष (लड़की) 34.9 2060

13-15 वर्ष (लड़का) 50.5 2860

13-15 वर्ष (लड़की) 49.6 2400

16-18 वर्ष (लड़का) 64.4 3220

16-18 वर्ष (लड़की) 55.7 2500

बच्चों में कोरोना के लक्षण

बुखार

थकान

सिरदर्द

खांसी

नाक बंद,नाक से पानी अाना

स्वाद या गंध गायब होना

गले में खराश

सांस की तकलीफ या सांस लेने में कठिनाई

पेट में दर्द

दस्त

मतली या उलटी

कम भूख या खराब भोजन

तीसरी लहर में जिला से पीएचसी अस्पताल तक चिकित्सीय सुविधा को बेहतर करना होगा. राज्य में 20 पीडियेट्रिक आइसीयू है, जिसकी संख्या बढ़ानी चाहिए. इसमें सरकार लगी भी हुई है. कुपोषण भी बड़ी समस्या है, जिसके लिए पोषण पर ध्यान देना होगा. डॉक्टर व पारा मेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित किया जा रहा है़

-डॉ राजेश कुमार, शिशु रोग विशेषज्ञ

संक्रमित बच्चों का खानपान ऐसा हो

छह से 12 महीना तक

ब्रेकफास्ट मां का दूध के बाद नाश्ता (दलिया व सूजी का हलवा)

लंच मिक्स खिचड़ी (गाजर, बीन्स, चावल व दाल)

शाम काे मां के दूध के बाद

वेजिटेबल सूप

डीनर मां का दूध के बाद

आलू का लिक्विड

12 महीना से दो वर्ष का डायट

ब्रेकफास्ट दूध, अंडा या अंडा का ऑमलेट.

इसके अलावा

पोहा या दलिया

लंच से पहले फल में सेब, पपीता या

संतरा (मौसम की उपलब्धता के हिसाब से)

लंच चावल, दाल, सब्जी में पनीर या सोयाबीन (नॉनवेज वाले को चिकन, मछली )

डीनर से पहले हलवा या मिल्क से

बना हल्का नाश्ता

डीनर रोटी या मल्टी ग्रेन का चिल्ला व सब्जी (सोने से पहले हल्दी दूध)

दो से पांच साल के बच्चों का डायट

ब्रेकफास्ट से पहले दूध व बादाम

ब्रेकफास्ट उपमा या इडली-सांभर

व अंडा

लंच से पहले सेब, पपीता या संतरा (उपलब्धता के हिसाब से)

लंच चावल, दाल, सब्जी में सोयाबीन (नॉनवेज वाले को चिकन,मछली )

डीनर से पहले पनीर या सोयाबीन कटलेट

डीनर मल्टी ग्रेन आटा का राेटी या रागी रोटी व बेसन का चिल्ला व सब्जी

पांच से नौ वर्ष के बच्चों का डायट

ब्रेकफास्ट से पहले दूध मधु के साथ व बिस्किट

ब्रेकफास्ट उपमा व अंडा व मल्टी ग्रेन आटा की रोटी व अंडा

लंच से पहले सेब, पपीता या संतरा (उपलब्धता के हिसाब से)

लंच खिचड़ी या चावल, दाल, सब्जी व दही

डीनर रोटी या चिल्ला, दाल, सब्जी (नॉनवेज वाले को चिकन, मछली )

सोने से पहले हल्दी दूध

इन बच्चों को रखा जायेगा होम आइसोलेशन में

कोरोना की तीसरी लहर में होम आइसोलेशन के लिए दो तरह के पीड़ित बच्चों को रखा जायेगा. एसिम्टोमैटिक यानी लैब की जांच में पुष्टि होने के बाद भी कोई लक्षण नहीं हो. लक्षण नहीं होने के अलावा ऑक्सीजन लेवल 94 फीसदी हो. वहीं दूसरी श्रेणी में वैसे बच्चे जिनको हल्के लक्षण यानी खांसी, नाक बंद होना, गले में दर्द या बुखार की शिकायत है़ इसमें सांस की तकलीफ नहीं होनी चाहिए और ऑक्सीजन लेवल 94 फीसदी होना चाहिए.

होम आइसोलेशन में इलाज का ऐसा होगा प्लान

कोरोना संक्रमित बच्चे को दवाओं की खुराक निर्देशित की गयी है. डॉक्टर के सलाह के अनुसार होम आइसोलेशन मेंं रहने वालों को दवाएं देनी है. हल्के लक्षण वालों के लिए बुखार होने पर पारासिटामोल 10-15 मिलीग्राम (हर चार से छह घंटे पर दोहरा सकते हैं). खांसी के लिए गर्म व नमकीन पानी का गरारा (बड़े बच्चों व किशोरों में) कराना है. हाइड्रेशन व पौष्टिक आहार को शामिल रखना है. इसके अलावा मल्टीविटामिन सीरप देना है. एंटीबायोटिक्स अपने मन से नहीं लेना है.

बच्चों के कोविड अस्पतालों में ऐसी होगी व्यवस्था

अस्पताल में बच्चों के लिए आउट पेशेंट की सुविधा जरूरी

टीकाकरण और परामर्श की सेवा की अलग व्यवस्था

आपातकालीन ट्राइएज असेसमेंट एंड ट्रीटमेंट की सुविधा

पीडियाट्रिक इनपेशेंट फैसिलिटी, हाई डिपेंडेंसी यूनिट व पीडियाट्रिक आइसोलेशन रूम

ब्लड व रेडियोलॉजी जांच, फार्मेसी की सुविधा और मनोरंजन व हॉस्पिटल किचन की सुविधा

Posted By : Sameer Oraon

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