झारखंड में कोरोना के आंकड़े बढ़ने के साथ ही राजधानी रांची हाॅटस्पाॅट बन गयी है. लॉकडाउन और जिला प्रशासन द्वारा जारी सख्ती के बाद भी पहले के मुकाबले अब ज्यादा की संख्या में मामले आ रहे हैं. शुरुआती दिनों में जहां एक दिन में एक या दो मामले आते थे, वहीं अब एक दिन में 16 मामले तक आने लगे हैं. ऐसे में अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर इतनी तैयारी के बावजूद चूक कहां हुई है. क्या इसके पीछे प्रशासनिक अनदेखी हुई है. स्वास्थ्य विभाग ने भी सजगता नहीं दिखायी़ कोरोना संदिग्धों की रिपोर्ट आने से पहले ही उन्हें छोड़ दिया गया. क्वरेंटाइन में रखे गये लोगों से काम लिये गये ऐसे लाेग दूसरों के संपर्क में आये और मामला बिगड़ता चला गया़. प्रभात खबर ने इस मामले में जवाबदेह लोगों से उनकी राय जाननी चाही तथा उनसे दो सवाल किये गये.
1. थोड़ी चूक तो हुई है़ दरअसल यह नये किस्म की ऐसी महामारी है, जिसमें सभी लोगों को काफी ध्यान रखने की जरूरत है. पूरी रणनीति के साथ इससे लड़ना होगा. सभी विभागों की मीटिंग हुई थी. वर्तमान परिस्थिति में समन्वय के साथ काम करने की जरूरत है. पूरी सावधानी से काम करने की जरूरत है.
2. इस मामले में चूक हुई है. एक दो केस में लापरवाही बरती गयी़ विभाग को इस दिशा में कड़े निर्देश दिये गये है. आने वाले समय में ध्यान रखने को कहा गया है. इस तरह की गलती नहीं होनी चाहिए.
सैंपल देकर घर चले जानेवालों की सूचना नहीं मिलती : उपायुक्त
कोरोना के संदिग्ध मरीजों के सैंपल लेने के बाद उन्हें क्वारेंटाइन नहीं करने के बजाय उन्हें छोड़ देने के सवाल पर उपायुक्त राय महिमापत रे ने कहा कि प्रशासन को जो भी संदिग्ध लगता है. उसकी हम जांच कराते हैं. गंभीर मामले में अस्पताल में भर्ती करवाते हैं. वहीं नॉर्मल रहने पर उसे क्वारेंटाइन किया जाता है, छोड़ा नहीं जाता. लेकिन ऐसे लोगों की संख्या भी अधिक है. जो खुद जाकर अस्पतालों में सैंपल देकर वापस घर आ जाते हैं. ऐसे लोगों की कोई सूचना प्रशासन को नहीं मिलती. सैंपल देने वाले ऐसे लोग बाहर घूमते रहते हैं. इसी में से जब कुछ लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो फिर इसकी सूचना हमें दी जाती है. तब प्रशासन तत्काल जरूरी कदम उठाता है.
इस तरह से हुई चूक : सैंपल लेकर छोड़ा तो घूमते रहे कोरोना संदिग्ध
केस स्टडी :1
बेड़ो में तबलिगी जमात से शामिल होकर लौटे एक व्यक्ति को रांची खेलगांव स्थित आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया था. 14 दिन के भीतर एक जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उसे बेड़ो भेज दिया गया. इसी बीच उसका दोबारा सैंपल लिया गया. इधर रिपोर्ट आने से पहले वह व्यक्ति अपने गांव में दो-तीन दिनों तक रहा तथा उसने कुछ लोगों से मुलाकात भी की. जब उसकी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आयी, तब उसे रिम्स के कोविड-19 अस्पताल में भर्ती किया गया.
केस स्टडी: 2
देवघर गम्हरिया निवासी एक व्यक्ति को देवघर स्थित आइसोलेशन वार्ड में रखा गया. जांच रिपोर्ट आने से पहले ही उसे घर भेज दिया गया. जब जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आयी, तो स्वास्थ्य पदाधिकारियाें की नींद खुली तथा उसे दोबारा घर से आइसोलेशन में लाकर भर्ती किया गया. वह अपने घर जाकर अपने परिवार से घुलमिल गया. उसके साथ परिजनों को भी साथ लाया गया.
केस स्टडी : 3
रांची के कांटाटोली चौक स्थित नेताजी नगर में रेंट पर रहने वाले एक लैब संचालक के साथ भी स्वास्थ्य पदाधिकारियों ने एेसा ही किया. दोबारा लॉकडाउन से पहले वह बंगाल स्थित बहरागोड़ा होते हुए बंगाल स्थित अपने गांव गया. वहां से लौटकर वह शहर में घूमता रहा. मौलाना आजाद कॉलोनी के दो लोगों का सैंपल लिया. वहीं काेकर स्थित एक दवा दुकान में जाकर वहां भी जांच के लिए कई लोगों का सैंपल लिया. इसी दौरान उसने रिम्स जाकर कोरोना की जांच के लिए अपना खुद का सैंपल भी दे आया. वहां सैंपल लेने के बाद भी उसे रोका नहीं गया. वह आराम से लैब परिसर में आकर रहा तथा कई लोगों के संपर्क में आया.